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सारणः एक ही भवन में पढ़ने को मजबूर तीन स्कूल के बच्चे, परिसर में है गंदगी का अंबार

बदहाली का आलम यह है कि स्कूल तक जाने वाली सड़क पूरी तरह से कीचड़ से भरी रहती है. इसके साथ ही स्कूल में लगा गंदगी का अंबार कई बीमारियों को दावत दे रहा है. फिर भी प्रशासन या शिक्षा विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

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Published : Mar 1, 2020, 12:50 PM IST

सारणः जिले के छपरा शहर में स्थित एक स्कूल सरकारी कुव्यवस्था की पोल खोल रहा है. यहां गंदगी और सुअरों के बीच बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. इसके साथ ही एक स्कूल की बिल्डिंग में तीन स्कूल संचालित किए जा रहे हैं. लेकिन यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां बच्चों के पढ़ने के लिए पर्याप्त क्लास रूम तक की व्यवस्था भी नहीं है.

बदहाली पर बहा रहा आंसू
बदहाली का आलम यह है कि स्कूल तक जाने वाली सड़क पूरी तरह से कीचड़ से भरी रहती है. इसके साथ ही स्कूल में लगा गंदगी का अंबार कई बिमारियों को दावत दे रहा है. फिर भी प्रशासन या शिक्षा विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जिलाधिकारी से लेकर शिक्षा विभाग के कई वरीय अधिकारी इस स्कूल का निरीक्षण कर चुके हैं और लोक सभा और विधानसभा चुनावों में यहां बूथ भी बनाया जाता है. फिर भी यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

पेश है रिपोर्ट

सुविधाओं का घोर अभाव
टीचर सविता कुमारी ने बताया कि स्कूल में 500 बच्चे और 15 से ज्यादा टीचर है. उन्होंने बताया कि विद्यालय परिसर में बाल ज्योती मध्य विद्यालय, ट्रैफिक कॉलोनी स्कूल और महिला शिल्प प्राथमिक विद्यालय संचालित होते हैं. लेकिन यहां बच्चों को पढ़ाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. सविता कुमारी ने बताया कि यहां दो क्लास रूम और दो टिन शेड हैं जहां बच्चे पढ़ते हैं.

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परिसर में घूमते सुअर

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
वहीं, स्कूल के प्रभारी संन्यव्यक अरविंद सिंह ने बताया की कई बार हमने स्कूल की दशा सुधारने का प्रयास किया और उच्चाधिकारियों से इसे लेकर बात भी की लेकिन इस ओर अबतक कोई ध्यान नहीं दिया गया. स्कूल में बस पढ़ाने का केरम पूरा कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.

सारणः जिले के छपरा शहर में स्थित एक स्कूल सरकारी कुव्यवस्था की पोल खोल रहा है. यहां गंदगी और सुअरों के बीच बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. इसके साथ ही एक स्कूल की बिल्डिंग में तीन स्कूल संचालित किए जा रहे हैं. लेकिन यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां बच्चों के पढ़ने के लिए पर्याप्त क्लास रूम तक की व्यवस्था भी नहीं है.

बदहाली पर बहा रहा आंसू
बदहाली का आलम यह है कि स्कूल तक जाने वाली सड़क पूरी तरह से कीचड़ से भरी रहती है. इसके साथ ही स्कूल में लगा गंदगी का अंबार कई बिमारियों को दावत दे रहा है. फिर भी प्रशासन या शिक्षा विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जिलाधिकारी से लेकर शिक्षा विभाग के कई वरीय अधिकारी इस स्कूल का निरीक्षण कर चुके हैं और लोक सभा और विधानसभा चुनावों में यहां बूथ भी बनाया जाता है. फिर भी यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

पेश है रिपोर्ट

सुविधाओं का घोर अभाव
टीचर सविता कुमारी ने बताया कि स्कूल में 500 बच्चे और 15 से ज्यादा टीचर है. उन्होंने बताया कि विद्यालय परिसर में बाल ज्योती मध्य विद्यालय, ट्रैफिक कॉलोनी स्कूल और महिला शिल्प प्राथमिक विद्यालय संचालित होते हैं. लेकिन यहां बच्चों को पढ़ाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. सविता कुमारी ने बताया कि यहां दो क्लास रूम और दो टिन शेड हैं जहां बच्चे पढ़ते हैं.

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परिसर में घूमते सुअर

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
वहीं, स्कूल के प्रभारी संन्यव्यक अरविंद सिंह ने बताया की कई बार हमने स्कूल की दशा सुधारने का प्रयास किया और उच्चाधिकारियों से इसे लेकर बात भी की लेकिन इस ओर अबतक कोई ध्यान नहीं दिया गया. स्कूल में बस पढ़ाने का केरम पूरा कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.

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