सारण: जेपीयू में जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा लगाने को लेकर काफी विवाद हुआ है. इसको लेकर जेपीयू के कुलपति प्रो हरिकेश सिंह का बयान आया कि मुख्यमंत्री विकास योजना का पैसा अशुद्ध होता है. इस मामले को विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी उठाया गया था. इस पर काफी हंगामा भी हुआ. वहीं, इस मामले पर जेपीयू के कुलपति ने ईटीवी भरात के सामने आकर उनके दिये बयानों का खंडन किया और कहा जिसके द्वारा भी यह बयान दिया गया है वह गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है.
विवि प्रशासन ने नहीं लगाई जेपी की प्रतिमा
कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने बताया कि जेपीयू के बने हुए लगभग 29 साल हो गए हैं. साल 2008 से नए भवन में संचालित भी हो रहा है. लेकिन आज तक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा विश्वविद्यालय प्रशासन ने नहीं लगाई है. जब भी प्रतिमा लगाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है तो जेपीयू से जुड़े प्राध्यापकों और अधिकारियों की ओर से साजिश रच कर व्यवधान कर दिया जा रहा है.
जेपीयू में मेरे कारण किसी को हो रही तकलीफ
कुलपति ने कहा कि जेपीयू में मेरे आने से किसी को काफी तकलीफ हो रही है. जिस कारण प्रशासनिक कार्यों में बेवजह व्यवधान उत्पन्न होता है. मैंने यूनिवर्सिटी के अंदर किसी भी अधिकारी और कर्मचारियों के गलत कदम उठाए जाने पर रोकने का प्रयास करता हूं. इतना ही नहीं जब से कुलपति का प्रभार लिया हूं तब से लेकर आज तक छात्र, शिक्षक और शिक्षकोत्तर कर्मचारियों के लिए सकारात्मक कार्य करता रहता हूं.
विवि को बनाया है शोषण का साधन
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जेपीयू से जुड़े अधिकारियों ने विवि को शोषण का साधन बना दिया है. जितने भी नेता हैं वे सभी लोग बड़ा-बड़ा शिलापट्ट लगाने के अलावा कोई काम नहीं किए हैं. जबकि इतने साल हो गए लेकिन जेपीयू में जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा नहीं लगी है.
विधान परिषद में दी गई गलत जानकारी
प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि इस मामले के बारे में विधान परिषद में गलत जानकारी दी गई. इससे विधायी प्रक्रिया को कलंकित किया गया है. मैं इसकी घोर निंदा करता हूं. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर मैं इस विश्वविद्यालय में रहा तो जरूर लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा लगाऊंगा.
जेपी की प्रतिमा लगाने की हुई थी घोषणा
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2018 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन पर, उनके गांव सिताब दियारा में पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन ने राजनेताओं के सामने कहा था कि जयप्रकाश नारायण के नाम पर अध्ययन पीठ की स्थापना, प्रतिमा लगाना, श्रृंखला व्याख्यान होना चाहिए.