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सारण: UPSC एग्जाम में चयनित दिव्या शक्ति के सम्मान में अभिनंदन समारोह

दिव्या शक्ति ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपनी बेटियों को खूब पढ़ाईए. वहीं, लड़कियों से पढ़ने के लिए जिद करने की अपील की.

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Published : Sep 22, 2020, 5:47 PM IST

दिव्या शक्ति को सम्मान
दिव्या शक्ति को सम्मान

सारण: संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में 79वां स्थान पाने वाली दिव्या शक्ति के सम्मान में उनके कोठियां में अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया. जहां उन्होंने लोगों से बेटियों को पढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने की अपील की.

बेहतर सोच दिलाती है सफलता

अभिनंदन समारोह के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए दिव्या शक्ति ने कहा कि बेहतर सोच हमारी सफलता सुनिश्चित करती है.

बेटियां पा सकती हैं कामयाबी

उन्होंने बेटियों की सफलता के बारे में बताया कि बेटियां किसी से कम नहीं है. यदि परिवार में उन्हें बेटों के समान बढ़ावा मिले तो निश्चित रूप से बेटियां सफलता का परचम लहरा सकती है.

डीपीएस से इंटरमीडिएट

अपने बारे में बताते हुए दिव्या शक्ति ने बताया कि उनकी प्रारंभिक से दसवीं तक की शिक्षा मुजफ्फरपुर में हुई और इंटर की शिक्षा डीपीएस बोकारो में हुई.

अमेरिकन कंपनी में नौकरी

वहीं, बीआईटी पिलानी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. अर्थशास्त्र में एमएससी भी किया. अमेरिकी कंपनी में 2 साल कार्य करने के बाद आईएएस के बारे में सोचना शुरू किया.

पहले प्रयास में सफलता

साल 2019 में यूपीएससी की परीक्षा दी और प्रथम प्रयास में ही उन्हें 79वां स्थान प्राप्त हुआ. अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता और परिवार के लोगों को दिया.

पढ़ने के लिए जिद करो

महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप अपनी बेटियों को खूब पढ़ाईए. बेटियां निश्चित रूप से सफल होंगी. वहीं बेटियों से कहा कि पढ़ने के लिए जिद करो, सफलता तुम्हारा कदम चूमेगी. जबकि उपस्थित युवाओं से कहा कि आप सोच विकसित कीजिए, जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ जाएगा.

सपने आंखों से आंसू बनकर बह जाते.

इस दौरान दिव्या ने अपने पिता द्वारा प्रेरित करने वाली कविता को दोहराते हुए कहा,
'जो तूफानी लहरों में ही आगे बढ़ते जाते,
जो बर्फानी हवा झेलते अविरल बढ़ते जाते.
जो मुश्किलें देखकर और करते हैं, उनमें से ही सोनम और तेनसिंह बनते हैं.
डुबकी लगा उफनते जल में जो फंसते जाते हैं,
वही आखिरकार समंदर से मोती लाते हैं.
मुश्किलें देखकर जो डरते नहीं, वे ही आगे नई राह गढ़ते, वही आगे और बढ़ते.
जो सुहावने मौसम की आशा करते रह जाते हैं,
उनके सपने आंखों से आंसू बनकर बह जाते हैं.'

सारण: संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में 79वां स्थान पाने वाली दिव्या शक्ति के सम्मान में उनके कोठियां में अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया. जहां उन्होंने लोगों से बेटियों को पढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने की अपील की.

बेहतर सोच दिलाती है सफलता

अभिनंदन समारोह के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए दिव्या शक्ति ने कहा कि बेहतर सोच हमारी सफलता सुनिश्चित करती है.

बेटियां पा सकती हैं कामयाबी

उन्होंने बेटियों की सफलता के बारे में बताया कि बेटियां किसी से कम नहीं है. यदि परिवार में उन्हें बेटों के समान बढ़ावा मिले तो निश्चित रूप से बेटियां सफलता का परचम लहरा सकती है.

डीपीएस से इंटरमीडिएट

अपने बारे में बताते हुए दिव्या शक्ति ने बताया कि उनकी प्रारंभिक से दसवीं तक की शिक्षा मुजफ्फरपुर में हुई और इंटर की शिक्षा डीपीएस बोकारो में हुई.

अमेरिकन कंपनी में नौकरी

वहीं, बीआईटी पिलानी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. अर्थशास्त्र में एमएससी भी किया. अमेरिकी कंपनी में 2 साल कार्य करने के बाद आईएएस के बारे में सोचना शुरू किया.

पहले प्रयास में सफलता

साल 2019 में यूपीएससी की परीक्षा दी और प्रथम प्रयास में ही उन्हें 79वां स्थान प्राप्त हुआ. अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता और परिवार के लोगों को दिया.

पढ़ने के लिए जिद करो

महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप अपनी बेटियों को खूब पढ़ाईए. बेटियां निश्चित रूप से सफल होंगी. वहीं बेटियों से कहा कि पढ़ने के लिए जिद करो, सफलता तुम्हारा कदम चूमेगी. जबकि उपस्थित युवाओं से कहा कि आप सोच विकसित कीजिए, जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ जाएगा.

सपने आंखों से आंसू बनकर बह जाते.

इस दौरान दिव्या ने अपने पिता द्वारा प्रेरित करने वाली कविता को दोहराते हुए कहा,
'जो तूफानी लहरों में ही आगे बढ़ते जाते,
जो बर्फानी हवा झेलते अविरल बढ़ते जाते.
जो मुश्किलें देखकर और करते हैं, उनमें से ही सोनम और तेनसिंह बनते हैं.
डुबकी लगा उफनते जल में जो फंसते जाते हैं,
वही आखिरकार समंदर से मोती लाते हैं.
मुश्किलें देखकर जो डरते नहीं, वे ही आगे नई राह गढ़ते, वही आगे और बढ़ते.
जो सुहावने मौसम की आशा करते रह जाते हैं,
उनके सपने आंखों से आंसू बनकर बह जाते हैं.'

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