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सारण: गोरखनाथ की प्रतिभा से प्रभावित थे पं. नेहरू, CM से बात कर बुलाये थे दिल्ली

बिहार के ऐसे कई महान साहित्यकार, अर्थ शास्त्री, कला और संगीत जगत के साथ-साथ खेल से जुड़ी हस्तियां है जो गुमनाम जिन्दगी जीने को विवश है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से इनके ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.

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Published : Nov 29, 2019, 2:00 PM IST

saran
महान अर्थशास्त्री गोरखनाथ सिंह

सारण: इस जिले को महापुरुषोंकी धरती कहा जाता है. इसी धरती ने देश के ऐसे कई महापुरुषों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई है. इस ऐतिहासिक धरती ने महान अर्थशास्त्री गोरखनाथ सिंह को भी जन्म दिया जिन्होंने पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपने राज्य और जिले का नाम रौशन किया. लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण आज उनकी पहचान उपेक्षा का शिकार है.

जिले के मरहौरा अनुमंडल के मरहौरा खुर्द निवासी गोरखनाथ सिंह के पिता बाबु राम सिंह मिडिल स्कूल के हेड मास्टर थे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में ही हुई. इसके बाद आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वो केम्बिरीज चले गये. वहां उन्हें सभी विषयों में अव्वल आने पर TRAIPS की उपाधी से नवाजा गया. यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था जो किसी भारतीय छात्र ने बनाया था. बाद में स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने राबिन्स कॉलेज कटक और पटना विश्वविद्यालय में शिक्षक की नौकरी की.

जानकारी देते स्थानीय

गोरखनाथ सिंह ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की थी पढ़ाई
गोरखनाथ सिंह पटना विश्वविधालय के प्रो वाइस चांसलर भी बने. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इनके साथी रहे नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन हिक्स जब भारत आये तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से गोरखनाथ के बारे में पूछा. जवाहरलाल नेहरु को भी गोरखनाथ के बारे मे जानकारी नहीं थी. इसके बाद नेहरु जी ने बिहार के तत्कालिक मुख्यमंत्री से उनकी जानकारी मांगी. तब प्रधानमंत्री नेहरु ने गोरखनाथ सिंह को दिल्ली बुलाकर जॉन हिक्स से मुलाकात कराई.

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सरकार की अनदेखी

ये भी पढ़ें- पटना एयरपोर्ट का विंटर शेड्यूल जारी, 12 घंटे होगा विमानों का परिचालन

सरकार की उपेक्षा
इसके बाद गोरखनाथ ने बिहार राज्य वित्त निगम सहित कई संस्थानों की कमान संभाला. लेकिन आज इस अर्थ शास्त्री को बिहार की सरकार भुल गयी है. आज बिहार के ऐसे कई महान साहित्यकार, अर्थ शास्त्री, कला और संगीत जगत के साथ-साथ खेल से जुड़ी हस्तियां है जो गुमनाम जिन्दगी जीने को विवश है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से इनके ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. लोगों का कहना है कि इस गांव में गोरखनाथ के धरोहर का असतित्व मिटता जा रहा है. लेकिन सरकार मूक दर्शक बनीं हुई है.

सारण: इस जिले को महापुरुषोंकी धरती कहा जाता है. इसी धरती ने देश के ऐसे कई महापुरुषों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई है. इस ऐतिहासिक धरती ने महान अर्थशास्त्री गोरखनाथ सिंह को भी जन्म दिया जिन्होंने पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपने राज्य और जिले का नाम रौशन किया. लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण आज उनकी पहचान उपेक्षा का शिकार है.

जिले के मरहौरा अनुमंडल के मरहौरा खुर्द निवासी गोरखनाथ सिंह के पिता बाबु राम सिंह मिडिल स्कूल के हेड मास्टर थे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में ही हुई. इसके बाद आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वो केम्बिरीज चले गये. वहां उन्हें सभी विषयों में अव्वल आने पर TRAIPS की उपाधी से नवाजा गया. यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था जो किसी भारतीय छात्र ने बनाया था. बाद में स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने राबिन्स कॉलेज कटक और पटना विश्वविद्यालय में शिक्षक की नौकरी की.

जानकारी देते स्थानीय

गोरखनाथ सिंह ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की थी पढ़ाई
गोरखनाथ सिंह पटना विश्वविधालय के प्रो वाइस चांसलर भी बने. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इनके साथी रहे नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन हिक्स जब भारत आये तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से गोरखनाथ के बारे में पूछा. जवाहरलाल नेहरु को भी गोरखनाथ के बारे मे जानकारी नहीं थी. इसके बाद नेहरु जी ने बिहार के तत्कालिक मुख्यमंत्री से उनकी जानकारी मांगी. तब प्रधानमंत्री नेहरु ने गोरखनाथ सिंह को दिल्ली बुलाकर जॉन हिक्स से मुलाकात कराई.

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सरकार की अनदेखी

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सरकार की उपेक्षा
इसके बाद गोरखनाथ ने बिहार राज्य वित्त निगम सहित कई संस्थानों की कमान संभाला. लेकिन आज इस अर्थ शास्त्री को बिहार की सरकार भुल गयी है. आज बिहार के ऐसे कई महान साहित्यकार, अर्थ शास्त्री, कला और संगीत जगत के साथ-साथ खेल से जुड़ी हस्तियां है जो गुमनाम जिन्दगी जीने को विवश है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से इनके ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. लोगों का कहना है कि इस गांव में गोरखनाथ के धरोहर का असतित्व मिटता जा रहा है. लेकिन सरकार मूक दर्शक बनीं हुई है.

Intro:एक गुमनाम अर्थ शास्त्री गोरख नाथ।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट । छ्परा।सारण जिला महापुरूषो की धरती रही है।इसी जिले से देश के प्रथम राष्ट्रपति और आजादी की लड़ाई मे अहम योगदान देने वाले बाबु राजेन्द्र प्रसाद,लोकनायक जयप्रकाश नारायण,मौलाना मज हरल हक,राहुल ससांस्कृत्यायन और भिखारी ठाकुर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है ।वही इस एतिहासिक धरती ने एक और रत्न दिया है।जिन्होनें अर्थशास्त्र मे उपलब्धि हासिल कर पूरे विश्व मेअपने देश भारत का ही नही पुरे बिहार सहितअपने जिले सारण का नाम भी रौशन किया।


Body:छ्परा जिले के मरहौरा अनुमंडल के मरहौरा खुर्द निवासी गोरखनाथ सिंह के पिता बाबु राम सिंह मिडिल स्कुल के हेड मास्टर थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुयी ।इसके बाद आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए राजपुत स्कुल छ्परा और फिर उसके बाद पटना युनिवर्सिटी मे उन्हे स्कालरशिप मिलने पर आगे की शिक्षा प्राप्त् करनें के लिए केम्बिरीज गये ।व्हा उन्हे सभी विषयों मे टाप करने TRAIPS की उपाधी से नवाजा गया ।इसका मतलब होता है सभी विषयों टाप करना डीकटीनशन के साथ यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था।जो किसी भारतीय छात्र द्वारा बनाया गया था ।बाद मे स्वदेश लौटने राबिन्स न कालेज कटक और उसके बाद पटना विश्वविद्यालय मे शिक्षक की नौकरी की ।बाद मे ये पटना विश्व विधालय के प्रो वाइस चांसलर भी बने।कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय मे इनके साथी रहे। नोबेल पुरस्कार विजेता जान हिक्स ने जब भारत आये ।तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से गोरखनाथ के बारे मे पुछा।तो जवाहरलाल नेहरु को भी गोरखनाथ के बारे मे जानकारी नही थी की इतना बडा अर्थ शास्त्री बिहार का है ।तो नेहरु जी ने बिहार के तत्कालिक मुख्यमंत्री से उनकी जानकारी मागी।और मुख्यमंत्री से कहा की ततकाल गोरखनाथ को दिल्ली भेजे। तब प्रधान-मंत्री नेहरु ने गोरखनाथ सिह को दिल्ली बुला कर जान हिक्स से मुलाकात कराई।


Conclusion:इसके बाद उन्हे बिहार राज्य वित्त निगम स हित कई संस्थानों की कमान सभाली ।लेकीन आज इस अर्थ शास्त्री को बिहार की सरकार भुल गयी है । वही आज बिहार के कई महान साहित्यकार और अर्थ शास्त्री के साथ कला और संगीत जगत के साथ खेल से जुड़ी हुयी कई ऐसी हस्तिया है जो गुमनाम जिन्दगी जीने को विवश है।लेकिन राज्य सरकार द्वारा इनके ऊपर कोई ध्यान नही दिया जाता है।प्रत्यक्ष उदाहरण गणितज्ञ बशीस्ठ बाबू के निधन के बाद देखने को मिला जब उन्हे एक एम्बुलेन्स तक उप्लब्ध नही कराया गया। बाईट स्थानीय लोगों की
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