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सारण: आस्था का केंद्र बना गड़खा का सूर्य मंदिर, महापर्व छठ पर लगती है भारी भीड़ - सूर्य षष्ठी का व्रत

छपरा शहर से 15 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड स्थित गंडकी तट कैलाश आश्रम के पास सूर्य मंदिर बना है. लगभग चार वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण हुआ था. गण्डकी नदी के तट पर स्थानीय लोग सूर्य षष्ठी का व्रत करने भी आते हैं.

आस्था का केंद्र बना गड़खा का सूर्य मंदिर
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Published : Nov 1, 2019, 7:14 PM IST

Updated : Nov 1, 2019, 7:38 PM IST

सारण: महापर्व छठ पूजा के लिए गड़खा के गण्डकी नदी तट पर स्थित सूर्य मंदिर को प्रमुख माना जाता है. यहां छठ महापर्व के अवसर पर दर्जनों गांवों से हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. वहीं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय स्तर पर छठ व्रती ही सुरक्षा की व्यवस्था करते हैं. जबकि प्रशासनिक स्तर पर किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिलता है.

सूर्य षष्ठी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़
बता दें कि छपरा शहर से 15 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड स्थित गंडकी तट कैलाश आश्रम के पास सूर्य मंदिर बना है. यह लगभग चार वर्ष पहले अस्तित्व में आया था. गण्डकी नदी के तट पर स्थानीय लोग सूर्य षष्ठी का व्रत करने भी आते हैं. इस दिन नदी के तट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मंदिर में स्थापित प्रतिमा यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. सात विशालकाय घोडों से सुसज्जित रथ पर विराजमान सूर्य देव और रथ के सबसे ऊपरी भाग पर ध्वज पकड़े हनुमान जी की प्रतिमा अपनी भव्यता के लिए पूरे जिले में चर्चित है.

आस्था का केंद्र बना गड़खा का सूर्य मंदिर

प्रतिमा में होता है भगवान भास्कर का दर्शन
सूर्य की स्थापित विशाल प्रतिमा में कई खासियत छुपी हुई है. जिसमें प्रतिमा की बनावट इस प्रकार है कि सूर्योदय के समय इस प्रतिमा के सामने देखने से सूर्य का दर्शन होता है. छठ व्रत के समय उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने वाले श्रद्धालुओं को इस प्रतिमा के साथ भगवान भास्कर का दर्शन हो जाता है. इस नदी तट पर सालों से छठ पूजा के लिए आस-पास के दर्जनों गांव से श्रद्धालु पहुंचते हैं. लेकिन जबसे घाट के पास इस विशाल मंदिर का निर्माण हुआ है. लोगों की आस्था और उत्साह में काफी बढ़ोतरी हुई है.

Saran
सुरक्षा की व्यवस्था करते स्थानीय

सारण: महापर्व छठ पूजा के लिए गड़खा के गण्डकी नदी तट पर स्थित सूर्य मंदिर को प्रमुख माना जाता है. यहां छठ महापर्व के अवसर पर दर्जनों गांवों से हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. वहीं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय स्तर पर छठ व्रती ही सुरक्षा की व्यवस्था करते हैं. जबकि प्रशासनिक स्तर पर किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिलता है.

सूर्य षष्ठी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़
बता दें कि छपरा शहर से 15 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड स्थित गंडकी तट कैलाश आश्रम के पास सूर्य मंदिर बना है. यह लगभग चार वर्ष पहले अस्तित्व में आया था. गण्डकी नदी के तट पर स्थानीय लोग सूर्य षष्ठी का व्रत करने भी आते हैं. इस दिन नदी के तट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मंदिर में स्थापित प्रतिमा यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. सात विशालकाय घोडों से सुसज्जित रथ पर विराजमान सूर्य देव और रथ के सबसे ऊपरी भाग पर ध्वज पकड़े हनुमान जी की प्रतिमा अपनी भव्यता के लिए पूरे जिले में चर्चित है.

आस्था का केंद्र बना गड़खा का सूर्य मंदिर

प्रतिमा में होता है भगवान भास्कर का दर्शन
सूर्य की स्थापित विशाल प्रतिमा में कई खासियत छुपी हुई है. जिसमें प्रतिमा की बनावट इस प्रकार है कि सूर्योदय के समय इस प्रतिमा के सामने देखने से सूर्य का दर्शन होता है. छठ व्रत के समय उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने वाले श्रद्धालुओं को इस प्रतिमा के साथ भगवान भास्कर का दर्शन हो जाता है. इस नदी तट पर सालों से छठ पूजा के लिए आस-पास के दर्जनों गांव से श्रद्धालु पहुंचते हैं. लेकिन जबसे घाट के पास इस विशाल मंदिर का निर्माण हुआ है. लोगों की आस्था और उत्साह में काफी बढ़ोतरी हुई है.

Saran
सुरक्षा की व्यवस्था करते स्थानीय
Intro:SLUG:-GADKHA'S SUN TEMPLE
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR


Anchor:-लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र गड़खा के गण्डकी नदी तट पर स्थित सूर्य मंदिर हैं जहां छठ महापर्व के अवसर पर दर्जनों गांवों के हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है वही श्रद्धालुओं की आपार भीड़ को देखते हुए स्थानीय स्तर पर ही छठ व्रतियों द्वारा ही व्यवस्था किया जाता हैं लेकिन प्रशासनिक स्तर पर किसी भी तरह से कोई सहयोग नहीं मिलता हैं जबकि क्षेत्रीय श्रद्धालुओं के अलावे दूर दराज से भी पूजा करने लिए छठ व्रती आते हैं.




Body:छपरा शहर से 15 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड स्थित गंडकी तट कैलाश आश्रम के परिसर में बना यह सूर्य मंदिर लगभग चार वर्ष पहले अस्तित्व में आया था इसके पहले से भी गण्डकी नदी के तट पर स्थानीय लोग यहां सूर्य षष्ठी व्रत करते आ रहे थे जिस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ भक्ति और आस्था का विहंगम दृश्य प्रदर्शित करती रही है.

मंदिर में स्थापित प्रतिमा यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है क्योंकि सात विशालकाय घोडों से सुसज्जित रथ पर विराजमान सूर्य देव और सत्य का मार्ग प्रशस्त करते रथ के सबसे ऊपरी भाग पर ध्वज पकड़े हनुमान जी की प्रतिमा अपनी भव्यता के लिए पूरे जिले में चर्चित हैं.

Byte to Byte:-
प्रकाश बाबा, सन्यासी, कैलाश आश्रम ( सूर्य मंदिर )
अशोक कुमार गुप्ता, मुखिया प्रतिनिधि, गड़खा पंचायत
स्थानीय युवा




Conclusion:सूर्य की स्थापित विशाल प्रतिमा में कई खासियत छुपी हुई है जिसमें प्रतिमा की बनावट इस प्रकार है कि सूर्योदय के समय सूर्य के दर्शन ठीक इस प्रतिमा के सामने देखने से होते हैं. छठ व्रत के समय उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने वाले श्रद्धालुओं को सूर्य की इस प्रतिमा के साथ-साथ साक्षात भगवान भास्कर के भी दर्शन होते हैं.

इस नदी तट पर वर्षों से छठ पूजा के लिए आसपास के दर्जनों गांव से श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन जबसे घाट के पास इस विशाल मंदिर का निर्माण हुआ है लोगों की आस्था और उत्साह में काफी वृद्धि देखने को मिली है. वैसे इस मंदिर को बने अभी मात्र चार वर्ष ही हुए हैं लेकिन अपनी भव्यता के कारण यह पूरे जिले में चर्चा का केंद्र बना रहता है.
Last Updated : Nov 1, 2019, 7:38 PM IST
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