सारण: महापर्व छठ पूजा के लिए गड़खा के गण्डकी नदी तट पर स्थित सूर्य मंदिर को प्रमुख माना जाता है. यहां छठ महापर्व के अवसर पर दर्जनों गांवों से हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. वहीं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय स्तर पर छठ व्रती ही सुरक्षा की व्यवस्था करते हैं. जबकि प्रशासनिक स्तर पर किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिलता है.
सूर्य षष्ठी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़
बता दें कि छपरा शहर से 15 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड स्थित गंडकी तट कैलाश आश्रम के पास सूर्य मंदिर बना है. यह लगभग चार वर्ष पहले अस्तित्व में आया था. गण्डकी नदी के तट पर स्थानीय लोग सूर्य षष्ठी का व्रत करने भी आते हैं. इस दिन नदी के तट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मंदिर में स्थापित प्रतिमा यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. सात विशालकाय घोडों से सुसज्जित रथ पर विराजमान सूर्य देव और रथ के सबसे ऊपरी भाग पर ध्वज पकड़े हनुमान जी की प्रतिमा अपनी भव्यता के लिए पूरे जिले में चर्चित है.
प्रतिमा में होता है भगवान भास्कर का दर्शन
सूर्य की स्थापित विशाल प्रतिमा में कई खासियत छुपी हुई है. जिसमें प्रतिमा की बनावट इस प्रकार है कि सूर्योदय के समय इस प्रतिमा के सामने देखने से सूर्य का दर्शन होता है. छठ व्रत के समय उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने वाले श्रद्धालुओं को इस प्रतिमा के साथ भगवान भास्कर का दर्शन हो जाता है. इस नदी तट पर सालों से छठ पूजा के लिए आस-पास के दर्जनों गांव से श्रद्धालु पहुंचते हैं. लेकिन जबसे घाट के पास इस विशाल मंदिर का निर्माण हुआ है. लोगों की आस्था और उत्साह में काफी बढ़ोतरी हुई है.