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सारणः 'तीस्ता' को पहली पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि, बिहार की तीजनबाई के रूप में थीं मशहूर

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Published : Aug 29, 2019, 2:47 PM IST

तीस्ता गायन शैली और भावपूर्ण नृत्य की प्रस्तुति से सबका दिल जीत लेती थीं. लोग उन्हें बिहार की तीजनबाई भी कहते थे.

अनुभूति शांडिल्य

सारणः अनुभूति शांडिल्य 'तीस्ता' की पहली पुण्यतिथि पर मौलाना मजरूल हक एकता भवन में बुधवार को श्रद्धा के फूल कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. जय प्रकाश विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह कार्यक्रम के मुख्यअतिथि के रूप में मौजूद थे. इस मौके पर लोक गीतों की भी प्रस्तुती दी गई. जिसमें कलाकारों ने अपनी रचनाओं से तीस्ता को श्रद्धांजलि दी.

तीस्ता को श्रद्धांजलि देते कुलपति


छोटी उम्र में कमा चुकी थी बड़ा नाम
हरिकेश सिंह तीस्ता की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके बाद अनुभूति शांडिल्य को याद करते हुए वो भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि इतनी कम उम्र में तीस्ता का चला जाना लोक कला के लिए अपूरणीय क्षति है. महज 17 साल की उम्र में गीत गाने और नृत्य की जो प्रतिभा वो रखती थीं, ये असाधारण बात है.

प्रस्तुति देते कलाकार


अपनी कलाओं से दिल जीत लेती थी
ईटीवी से बात करते हुए कुलपति ने कहा कि वीर रस का एक बेहरीन कलाकार हमने खो दिया है. उनकी प्रतिभा से मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत प्रभावित था. लोक कलाओं से अपने लगाव की वजह से वो हमेशा याद रखी जाएंगी. बताया जाता है कि तीस्ता गायन शैली और भावपूर्ण नृत्य की प्रस्तुति से सबका दिल जीत लेती थीं. लोग उन्हें बिहार की तीजनबाई भी कहते थे.

सारणः अनुभूति शांडिल्य 'तीस्ता' की पहली पुण्यतिथि पर मौलाना मजरूल हक एकता भवन में बुधवार को श्रद्धा के फूल कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. जय प्रकाश विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह कार्यक्रम के मुख्यअतिथि के रूप में मौजूद थे. इस मौके पर लोक गीतों की भी प्रस्तुती दी गई. जिसमें कलाकारों ने अपनी रचनाओं से तीस्ता को श्रद्धांजलि दी.

तीस्ता को श्रद्धांजलि देते कुलपति


छोटी उम्र में कमा चुकी थी बड़ा नाम
हरिकेश सिंह तीस्ता की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके बाद अनुभूति शांडिल्य को याद करते हुए वो भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि इतनी कम उम्र में तीस्ता का चला जाना लोक कला के लिए अपूरणीय क्षति है. महज 17 साल की उम्र में गीत गाने और नृत्य की जो प्रतिभा वो रखती थीं, ये असाधारण बात है.

प्रस्तुति देते कलाकार


अपनी कलाओं से दिल जीत लेती थी
ईटीवी से बात करते हुए कुलपति ने कहा कि वीर रस का एक बेहरीन कलाकार हमने खो दिया है. उनकी प्रतिभा से मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत प्रभावित था. लोक कलाओं से अपने लगाव की वजह से वो हमेशा याद रखी जाएंगी. बताया जाता है कि तीस्ता गायन शैली और भावपूर्ण नृत्य की प्रस्तुति से सबका दिल जीत लेती थीं. लोग उन्हें बिहार की तीजनबाई भी कहते थे.

Intro:भोजपुरी की पढाई जल्द ही।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट छ्परा भोजपुरी के गौरैया तिस्ता की पहली पुण्यतिथि पर स्थानीय मौलाना मजरूल हक एकता भवन मे आयोजित सरधा के फुल कार्यक्रम मे अपनी श्रधान्जली अर्पित करते हुये जय प्रकाश विश्व विद्यालय के कुलपति ने कहा की तिस्ता की याद करते हुये कहा कि वे अब ब्रहम लीन हो चुकी है।और वे भावुक हो कर बोले की वे मेरी बेटी थी।


Body: वही इस कार्यक्रम मे छ्परा स्थित जय प्रकाश विश्व विद्यालय मे भोजपुरी की पढाई बंद होने पर उपस्थित जन समूह ने पुन भोजपुरी की पढाई शुरु करने की बात कुलपति से कही।इस बात पर कुलपति ने कहा की वे दो महिने मे सेवानिवृत होने वाले है।और अपने कार्यकाल के अन्तिम दिनो वे भोजपुरी की पढाई को चालू करवा देगे।सीनेट और सिडीकेट की बैठक मे इसे पास कर दिया गया है।और राज भवन से जल्द ही इसे हरी झंडी मिल जायेगी।


Conclusion:वही इस कार्यक्रम मे शामिल कुलपति भी अनुभूति शाडिलय उर्फ तिस्ता के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए काफ़ी भावुक हो गये।इस अवसर पर कई कवियों ने अपनी रचना के माध्यम तिस्ता को श्रधा सुमन अर्पित किया।गौरतलब है की वीर रस की इस गायिका जो बाबु कुवँर सिंह की वीर गाथा को कई मंचो पर गया था।वे कम उम्र मे ही बिहार के रंगमंच की एक मजबूत स्तंभ बन गयी थी।और पिछ्ले वर्ष आज ही दिन वे हमारे बीच से चली गयी। बाईट प्रोफेसर हरिकेश सिंह कुलपति जयप्रकाश विश्व विद्यालय छ्परा।
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