सारण: जिले में खेती के लिए पानी की समस्या बढ़ रही है. नहरों में पानी नहीं होने से किसान सिंचाई को लेकर काफी चिंतित है. साथ ही किसानों को उत्पादन की चिंता भी सता रही है. किसान अपनी साल भर की गाढ़ी कमाई बर्बाद होता देख काफी परेशान हैं. हालांकि, कुछ संपन्न किसान व्यवस्था के अनुसार अपनी फसल बचाने की जुगाड़ में लगे हुए हैं.
किसानों को हो रहा है आर्थिक नुकसान
बता दें कि इन दिनों गेहूं की सिंचाई को लेकर किसान काफी परेशान हैं. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अक्टूबर और दिसंबर महीने में बारिश होने से खेतों में पर्याप्त नमी बनने से किसानों को थोड़ी सहूलियत रही. बावजूद इसके कई क्षेत्रों में गेहूं की पटवन को लेकर किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं के पौधों को 3 से 4 बार सिंचाई करने पर ऊपज अच्छी होती है. लेकिन ऐन वक्त पर नहरों से पानी गायब होना और विभागीय स्तर पर सिंचाई की सुविधा नदारद होने से किसान पम्पिंग सेट चलाकर महज एक से दो सिंचाई ही कर पा रहे हैं.
'पम्पिंग सेट पर पूरी तरह निर्भर हो रहे हैं किसान'
स्थानीय किसान बृज किशोर सिंह ने बताया कि फसल के पटवन के समय यदि नहरों में पानी होता तो उन्हें इसका लाभ मिलने के साथ ही पैदावार भी बढ़ता. उन्होंने कहा कि नहरों के सूखे होने से किसानों को पम्पिंग सेट पर पूर्णतः निर्भर होना पड़ रहा है.