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सारण: नहरों में पानी नहीं आने से फसलों के पटवन के लिए हलकान हैं किसान

पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अक्टूबर और दिसंबर महीने में बारिश होने से खेतों में पर्याप्त नमी बनने से किसानों को थोड़ी सहूलियत रही. बावजूद इसके कई क्षेत्रों में गेहूं की पटवन को लेकर किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.

सारण
पटवन के लिए हलकान हैं किसान
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Published : Feb 8, 2020, 8:05 PM IST

सारण: जिले में खेती के लिए पानी की समस्या बढ़ रही है. नहरों में पानी नहीं होने से किसान सिंचाई को लेकर काफी चिंतित है. साथ ही किसानों को उत्पादन की चिंता भी सता रही है. किसान अपनी साल भर की गाढ़ी कमाई बर्बाद होता देख काफी परेशान हैं. हालांकि, कुछ संपन्न किसान व्यवस्था के अनुसार अपनी फसल बचाने की जुगाड़ में लगे हुए हैं.

सारण
सूखे नहर

किसानों को हो रहा है आर्थिक नुकसान
बता दें कि इन दिनों गेहूं की सिंचाई को लेकर किसान काफी परेशान हैं. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अक्टूबर और दिसंबर महीने में बारिश होने से खेतों में पर्याप्त नमी बनने से किसानों को थोड़ी सहूलियत रही. बावजूद इसके कई क्षेत्रों में गेहूं की पटवन को लेकर किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं के पौधों को 3 से 4 बार सिंचाई करने पर ऊपज अच्छी होती है. लेकिन ऐन वक्त पर नहरों से पानी गायब होना और विभागीय स्तर पर सिंचाई की सुविधा नदारद होने से किसान पम्पिंग सेट चलाकर महज एक से दो सिंचाई ही कर पा रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

'पम्पिंग सेट पर पूरी तरह निर्भर हो रहे हैं किसान'
स्थानीय किसान बृज किशोर सिंह ने बताया कि फसल के पटवन के समय यदि नहरों में पानी होता तो उन्हें इसका लाभ मिलने के साथ ही पैदावार भी बढ़ता. उन्होंने कहा कि नहरों के सूखे होने से किसानों को पम्पिंग सेट पर पूर्णतः निर्भर होना पड़ रहा है.

सारण: जिले में खेती के लिए पानी की समस्या बढ़ रही है. नहरों में पानी नहीं होने से किसान सिंचाई को लेकर काफी चिंतित है. साथ ही किसानों को उत्पादन की चिंता भी सता रही है. किसान अपनी साल भर की गाढ़ी कमाई बर्बाद होता देख काफी परेशान हैं. हालांकि, कुछ संपन्न किसान व्यवस्था के अनुसार अपनी फसल बचाने की जुगाड़ में लगे हुए हैं.

सारण
सूखे नहर

किसानों को हो रहा है आर्थिक नुकसान
बता दें कि इन दिनों गेहूं की सिंचाई को लेकर किसान काफी परेशान हैं. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अक्टूबर और दिसंबर महीने में बारिश होने से खेतों में पर्याप्त नमी बनने से किसानों को थोड़ी सहूलियत रही. बावजूद इसके कई क्षेत्रों में गेहूं की पटवन को लेकर किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं के पौधों को 3 से 4 बार सिंचाई करने पर ऊपज अच्छी होती है. लेकिन ऐन वक्त पर नहरों से पानी गायब होना और विभागीय स्तर पर सिंचाई की सुविधा नदारद होने से किसान पम्पिंग सेट चलाकर महज एक से दो सिंचाई ही कर पा रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

'पम्पिंग सेट पर पूरी तरह निर्भर हो रहे हैं किसान'
स्थानीय किसान बृज किशोर सिंह ने बताया कि फसल के पटवन के समय यदि नहरों में पानी होता तो उन्हें इसका लाभ मिलने के साथ ही पैदावार भी बढ़ता. उन्होंने कहा कि नहरों के सूखे होने से किसानों को पम्पिंग सेट पर पूर्णतः निर्भर होना पड़ रहा है.

Intro:छपरा :  किसानों की हर सुविधा उपलब्ध कराने की दावा कितना सत्य है इसे छपरा में देखा जा सकता है। इनदिनों गेहूँ की सिंचाई को लेकर किसान काफी परेशान हैं। गत वर्ष की तुलना में इस बार अक्टूबर और दिसम्बर महीने में बारिस होने से खेतों में पर्याप्त नमी बनी। जिससे किसानों को सिंचाई के दौरान थोड़ी सहूलियत रही। बावजूद इसके कई क्षेत्रों में गेहूं की पटवन को लेकर किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

Body:बिशेषज्ञो की माने तो गेहूँ के पौधों की 3-4 सिंचाई करने पर ऊपज अच्छी होती है। परन्तु ऐन वक्त पर नहरों से पानी गायब होना तथा विभागीय स्तर पर सिंचाई की सुविधा नदारद होने से किसान पम्पिंग सेट चलाकर महज एक से दो सिंचाई ही कर पाते है। राजकीय नलकूप  भी बेकार पड़े है। नहरो में पानी नहीं आने से किसानो को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। कुछ किसान सिंचाई कर चुके है तो कुछ प्रथम सिंचाई करने में जुटे हुए है। राजकीय नलकूप और नहर का लाभ नहीं मिल पाने से एक ओर किसान चिंतित है तो दूसरी ओर पम्पिंग सेट से सिचाई करने में आर्थिक बाधा उत्पन्न हो रही है। इन सब परेशानियो के बिच किसान अपने बल-बुते सिंचाई का कार्य धीरे-धीरे निबटा रहे है।

Conclusion:स्थानीय किसान वृज किशोर सिंह तथा सूर्य देव सिंह ने बताया की फ़सल की पटवन के समय यदि नहरों में पानी होता तो उन्हें इसका लाभ मिलता और पैदावार भी बढ़ता। नहरों के सूखे होने से किसानों को पम्पिंग सेट पर पूर्णतः निर्भर होना पड़ गया है। 


बाइट--- 1. सूर्यदेव सिंह, किसान
2. वृज किशोर सिंह, किसान
( मफलर वाला)
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