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गंगा में कटाव से दिघवारा प्रखंड के दर्जनों गांव गायब, डर के साए में जी रहे ग्रामीण - Water Level Rise In Ganga River

छपरा के दिघवारा प्रखंड में बाढ़ (Flood In Saran) की स्थिति बन गयी है. यहां गंगा में लगातार जलस्तर की वृद्धि से मिट्टी का कटाव तेजी से हो रहा है. ऐसे में पूर्व मुखिया के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर सरकार से जल्द कटाव निरोधी कार्य करवाने की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर...

सारण में गंगा नदी की धारा से मिट्टी का कटाव
सारण में गंगा नदी की धारा से मिट्टी का कटाव
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Published : Aug 8, 2022, 6:21 PM IST

सारण(छपरा): बिहार में बाढ़ (FLood In Bihar) के कारण कई जिलों के हालात खराब हैं. सारण जिले के दिघवारा प्रखंड के बतरौली मौजे में गंगा नदी में तेज बहाव और जलस्तर में वृद्धि के कारण मिट्टी का कटाव हो रहा. ऐसे में यहां के ग्रामीणों को बाढ़ का डर सताने लगा है. प्रशासन की तरफ से मिट्टी कटाव (Erosion in Bihar) रोकने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. जिसको लेकर पंचायत के पूर्व मुखिया एल संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने शंकरपुर पट्टी गंगा तट पर विरोध प्रदर्शन किया. उनकी मांग कटाव निरोधी कार्य शुरू कराने की है.

यह भी पढ़ें: गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने से जलमग्न हुआ छपरा का सगुनी गांव, पलायन शुरू

डर के साए में स्थानीय ग्रामीण: गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी (Water Level Rise In Ganga River) से जहां एक ओर प्रखंड के अकिलपुर पंचायत के लोगों में बाढ़ का डर सता रहा तो राजस्व ग्राम के जमीनों मालिकों को अपनी भूमि के कटाव का नुकसान उठना पड़ता है. गंगा नदी के दक्षिण दिशा में स्थित इस पंचायत के कई गांव में हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. जिनमें राजस्व ग्राम बतरौली, फरहद्दा स्लहली और अन्य गांव शामिल है. हर साल मिट्टी के कटाव से प्रति वर्ष सैकड़ों बीघे की जमीन गंगा नदी में समा गयी है.

दियारा क्षेत्र के कई गांव हुए गायब: पूर्व में दियारे की कई गांव गंगा में समा चुके हैं. गंगा नदी के दक्षिणी और उत्तरी किनारे पर अवस्थित गांव हाबसपुर, हेतनपुर, गंगाहारा, शंकरपुर, फरहदा, अनुचक समेत दर्जनों गांव गंगा नदी के कटाव में विलीन हो चुके हैं. इन गांवों के बासिंदो को अपना नया ठिकाना तलाश करना पड़ा है. अकीलपुर दियारे की लाइफलाइन शंकरपुर पट्टी घाट पर बनी ढलाई सड़क, जो पूरे दियारे तक जाने-आने का पहुंच पथ है, वह सड़क भी अब कटाव के कारण ध्वस्त हो रहा है.

गांव पर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा: पूर्व मुखिया संजय सिंह के अनुसार गांव की तरफ यह कटाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है. समय रहते अगर सरकारी तंत्र कटाव निरोधक कार्य शुरू नहीं करते हो तो भयावह स्थित देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि भू-स्वामी किसान पहले तो सरकार द्वारा टोपो भूमि बताकर सरकारी रसीद अधिकार से वंचित किए जा चुके हैं. रसीद के अभाव में भी किसान अपनी जमीन को जोत आबाद करने का प्रयास कर रहे हैं. अब उनकी यह जमीन गंगा के कटाव में विलीन होती जा रही है.


सारण(छपरा): बिहार में बाढ़ (FLood In Bihar) के कारण कई जिलों के हालात खराब हैं. सारण जिले के दिघवारा प्रखंड के बतरौली मौजे में गंगा नदी में तेज बहाव और जलस्तर में वृद्धि के कारण मिट्टी का कटाव हो रहा. ऐसे में यहां के ग्रामीणों को बाढ़ का डर सताने लगा है. प्रशासन की तरफ से मिट्टी कटाव (Erosion in Bihar) रोकने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. जिसको लेकर पंचायत के पूर्व मुखिया एल संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने शंकरपुर पट्टी गंगा तट पर विरोध प्रदर्शन किया. उनकी मांग कटाव निरोधी कार्य शुरू कराने की है.

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डर के साए में स्थानीय ग्रामीण: गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी (Water Level Rise In Ganga River) से जहां एक ओर प्रखंड के अकिलपुर पंचायत के लोगों में बाढ़ का डर सता रहा तो राजस्व ग्राम के जमीनों मालिकों को अपनी भूमि के कटाव का नुकसान उठना पड़ता है. गंगा नदी के दक्षिण दिशा में स्थित इस पंचायत के कई गांव में हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. जिनमें राजस्व ग्राम बतरौली, फरहद्दा स्लहली और अन्य गांव शामिल है. हर साल मिट्टी के कटाव से प्रति वर्ष सैकड़ों बीघे की जमीन गंगा नदी में समा गयी है.

दियारा क्षेत्र के कई गांव हुए गायब: पूर्व में दियारे की कई गांव गंगा में समा चुके हैं. गंगा नदी के दक्षिणी और उत्तरी किनारे पर अवस्थित गांव हाबसपुर, हेतनपुर, गंगाहारा, शंकरपुर, फरहदा, अनुचक समेत दर्जनों गांव गंगा नदी के कटाव में विलीन हो चुके हैं. इन गांवों के बासिंदो को अपना नया ठिकाना तलाश करना पड़ा है. अकीलपुर दियारे की लाइफलाइन शंकरपुर पट्टी घाट पर बनी ढलाई सड़क, जो पूरे दियारे तक जाने-आने का पहुंच पथ है, वह सड़क भी अब कटाव के कारण ध्वस्त हो रहा है.

गांव पर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा: पूर्व मुखिया संजय सिंह के अनुसार गांव की तरफ यह कटाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है. समय रहते अगर सरकारी तंत्र कटाव निरोधक कार्य शुरू नहीं करते हो तो भयावह स्थित देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि भू-स्वामी किसान पहले तो सरकार द्वारा टोपो भूमि बताकर सरकारी रसीद अधिकार से वंचित किए जा चुके हैं. रसीद के अभाव में भी किसान अपनी जमीन को जोत आबाद करने का प्रयास कर रहे हैं. अब उनकी यह जमीन गंगा के कटाव में विलीन होती जा रही है.


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