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छपरा: ट्रेड यूनियनों के हड़ताल का असर, ATM में पैसे नहीं होने से लोग परेशान

निजीकरण के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का भारत बंद (Trade Union Nationwide Strike)दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रहा. छपरा में इस हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला. ज्यादातर बैंकों में कामकाज ठप रहा. एटीएम में भी पैसे निकासी करने गए लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा. पढ़ें पूरी खबर..

छपरा में ट्रेड यूनियन की हड़ताल
छपरा में ट्रेड यूनियन की हड़ताल
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Published : Mar 29, 2022, 4:20 PM IST

सारण(छपरा): बिहार के छपरा में ट्रे़ड यूनियनों की हड़ताल (Trade unions strike in Chapra) दूसरे दिन भी जारी है. इस दौरान बैंक और एलआईसी जैसी संस्थाओं के ताले नहीं खुले. जिससे कामकाज पूरी तरह से ठप रहा. कर्मचारी संगठनों ने संस्थानों के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस हड़ताल में स्टेट बैंक शामिल नहीं है, फिर भी हड़ताल का असर वहां भी देखने को मिला.

यह भी पढ़ें: ट्रेड यूनियन की राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल, एक्सपर्ट बोले- 'बिहार को होगा करोड़ों का नुकसान'

हड़ताल से राजस्व को नुकसान: हड़ताल से सरकार को अरबों का राजस्व का नुकसान हुआ है. केवल सारण जिले में दो सौ करोड़ का लेन देन प्रभावित हुआ है. आम जनता पर भी इस हड़ताल का असर पड़ा है. लगातार चार दिनों से बैंक बंद होने के कारण व्यापारियों को भारी नुकसान उठा पड़ा है. अधिकांश बैंकों के एटीएम में कैश नहीं होने के कारण लोगों को पैसे के लिए भटकना पड़ा.

प्राइवेट बैंकों को बंद कराया: छपरा में हड़ताली बैंक कर्मियों ने सभी प्राइवेट बैंकों को भी बंद करवाया. स्थिति यह रही कि बैंक और एलआईसी के ताले तक नहीं खुले. बता दें कि इस हड़ताल में पब्लिक सेक्टर की बैंक, एलआईसी, बीएसएनएल और पोस्ट आफिस के कर्मचारी शामिल है. प्रदर्शनकारी कर्मचारी केन्द्र सरकार की प्राइवेटाइजेशन पॉलिसी, एफडीआइ और लेंबर कानून में हुए बदलाव को लेकर विरोध प्रदर्शन (Trade Unions Strike Against Privatization) कर रहे है.

यह भी पढ़ें: पटना में LIC कर्मियों ने किया हड़ताल, सरकार से IPO वापस लेने की मांग

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सारण(छपरा): बिहार के छपरा में ट्रे़ड यूनियनों की हड़ताल (Trade unions strike in Chapra) दूसरे दिन भी जारी है. इस दौरान बैंक और एलआईसी जैसी संस्थाओं के ताले नहीं खुले. जिससे कामकाज पूरी तरह से ठप रहा. कर्मचारी संगठनों ने संस्थानों के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस हड़ताल में स्टेट बैंक शामिल नहीं है, फिर भी हड़ताल का असर वहां भी देखने को मिला.

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हड़ताल से राजस्व को नुकसान: हड़ताल से सरकार को अरबों का राजस्व का नुकसान हुआ है. केवल सारण जिले में दो सौ करोड़ का लेन देन प्रभावित हुआ है. आम जनता पर भी इस हड़ताल का असर पड़ा है. लगातार चार दिनों से बैंक बंद होने के कारण व्यापारियों को भारी नुकसान उठा पड़ा है. अधिकांश बैंकों के एटीएम में कैश नहीं होने के कारण लोगों को पैसे के लिए भटकना पड़ा.

प्राइवेट बैंकों को बंद कराया: छपरा में हड़ताली बैंक कर्मियों ने सभी प्राइवेट बैंकों को भी बंद करवाया. स्थिति यह रही कि बैंक और एलआईसी के ताले तक नहीं खुले. बता दें कि इस हड़ताल में पब्लिक सेक्टर की बैंक, एलआईसी, बीएसएनएल और पोस्ट आफिस के कर्मचारी शामिल है. प्रदर्शनकारी कर्मचारी केन्द्र सरकार की प्राइवेटाइजेशन पॉलिसी, एफडीआइ और लेंबर कानून में हुए बदलाव को लेकर विरोध प्रदर्शन (Trade Unions Strike Against Privatization) कर रहे है.

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