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छपरा कालीबाड़ी में माता का पट खुला, दर्शनार्थियों की उमड़ी भीड़

छपरा कालीबाड़ी में माता के स्थापना के 100 साल पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. बिहार की सबसे प्राचीन काली बाड़ी में से छपरा काली बाड़ी को माना जाता है. इस कालीबाड़ी की कई बातें खास (Many Things Special About Chapra Kalibari) है. जैसे जो यहां माता की मूर्ति बनाते हैं, वो ही पीढ़ी दर पीढ़ी मां की मूर्ती हर साल बनाएंगे. जो पंड़ित पूजा कराते हैं, उन्हीं के बच्चे आगे भी यहां पूजा कराएंगे. पढ़ें पूरी खबर...

छपरा कालीबाड़ी में माता के स्थापना के 100 साल पूरे
छपरा कालीबाड़ी में माता के स्थापना के 100 साल पूरे
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Published : Oct 1, 2022, 10:50 PM IST

सारण: बिहार की सबसे प्राचीन काली बाड़ी में से छपरा काली बाड़ी में इस बार बड़े धूमधाम और श्रद्धा पूर्वक माहौल में दुर्गा पूजा मनाया (Durga Puja Special of Chhapra Kalibari) जा रहा है. बंगाली समाज के द्वारा अपने स्थापना काल के समय से ही यहां पर का दुर्गा पूजा बडे़ ही धूमधाम से कराया जाता है. इस बार यहां पर दुर्गा पूजा स्थापना के 100 साल पूरे हो चुके हैं. 101 साल में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए इस बार उमंग के साथ पूजा का आयोजन किया गया है. इस कालीबाड़ी की सबसे खासियत यह है कि एक ही परिवार के द्वारा मूर्ति का निर्माण किया जाता है और उसी मूर्तिकार के पीढ़ी दर पीढ़ी के द्वारा माता की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है.

ये भी पढ़ें- पटना गांधी मैदान में पहुंचे कमिश्नर और SSP, रावण दहन स्थल का किया निरीक्षण

छपरा कालीबाड़ी की दुर्गा पूजा खास : इसके साथ ही यहां पर जो भी पंडित होते हैं, उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस पूजा को कराते हैं. यहां पर पूजा कराने वाले पंडित से लेकर मूर्ति बनाने वाले कलाकार सभी पैतृक रूप से यह काम करते आ रहे हैं. आज षष्टी के दिन माता का पट खुल गया है. बंगाल से आए कलाकारों द्वारा ढाकी और ढोल की थाप पर माता की आरती का आयोजन किया गया.

माता का पट खुला : षष्टी, सप्तमी अष्टमी और नवमी को भी माता की प्रत्येक शाम आरती होगी. अष्टमी एवं नवमी को संधी पूजा होगी. दशमी को सिंदूर खेला के साथ ही माता की विदाई होगी. इसमें बंगाली समुदाय के सबसे बुजुर्ग महिलाओं के द्वारा माता को सिंदूर लगाकर विदा किया जाएगा. तीनों दिन माता को खिचड़ी का भोग लगेगा और खिचड़ी स्वरूप प्रसाद लोगों में वितरण किया जाएगा.

सारण: बिहार की सबसे प्राचीन काली बाड़ी में से छपरा काली बाड़ी में इस बार बड़े धूमधाम और श्रद्धा पूर्वक माहौल में दुर्गा पूजा मनाया (Durga Puja Special of Chhapra Kalibari) जा रहा है. बंगाली समाज के द्वारा अपने स्थापना काल के समय से ही यहां पर का दुर्गा पूजा बडे़ ही धूमधाम से कराया जाता है. इस बार यहां पर दुर्गा पूजा स्थापना के 100 साल पूरे हो चुके हैं. 101 साल में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए इस बार उमंग के साथ पूजा का आयोजन किया गया है. इस कालीबाड़ी की सबसे खासियत यह है कि एक ही परिवार के द्वारा मूर्ति का निर्माण किया जाता है और उसी मूर्तिकार के पीढ़ी दर पीढ़ी के द्वारा माता की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है.

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छपरा कालीबाड़ी की दुर्गा पूजा खास : इसके साथ ही यहां पर जो भी पंडित होते हैं, उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस पूजा को कराते हैं. यहां पर पूजा कराने वाले पंडित से लेकर मूर्ति बनाने वाले कलाकार सभी पैतृक रूप से यह काम करते आ रहे हैं. आज षष्टी के दिन माता का पट खुल गया है. बंगाल से आए कलाकारों द्वारा ढाकी और ढोल की थाप पर माता की आरती का आयोजन किया गया.

माता का पट खुला : षष्टी, सप्तमी अष्टमी और नवमी को भी माता की प्रत्येक शाम आरती होगी. अष्टमी एवं नवमी को संधी पूजा होगी. दशमी को सिंदूर खेला के साथ ही माता की विदाई होगी. इसमें बंगाली समुदाय के सबसे बुजुर्ग महिलाओं के द्वारा माता को सिंदूर लगाकर विदा किया जाएगा. तीनों दिन माता को खिचड़ी का भोग लगेगा और खिचड़ी स्वरूप प्रसाद लोगों में वितरण किया जाएगा.

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