छपरा: सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से इस बार प्रोफेसर डॉ. लाल बाबू यादव अपनी किस्मत आजमाएंगे. वे लगातार तीन टर्म से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद रहे केदार पांडेय के खिलाफ राजद से उम्मीदवार होंगे. प्रोफेसर डॉ. लाल बाबू यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वे सारण जिले के लिए एक ऐसा चेहरा हैं, जिन्होंने जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में कूदने के बाद कई बार जेल यात्रा की.
राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं
डॉ. लाल बाबू यादव जय प्रकाश विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष के साथ-साथ कई समाचार-पत्र और पत्रिका के हेड भी रहे हैं. जय प्रकाश विश्व विद्यालय से रिटायर होने के बाद सक्रिय राजनीति में उतरने के उद्देश्य से वे शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. ये राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं और लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी रहे हैं.
1971 से हैं सक्रिय राजनीति में
लाल बाबू यादव 1971 से ही सक्रिय राजनीति में है. इसके साथ ही छात्रों और शिक्षकों की लम्बित मांगों के मामले में इन्होंने कई बार आंदोलन का नेतृत्व किया है. इसके पहले वे जय प्रकाश विश्व विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक के साथ प्रभारी कुल सचिव और विश्व विधालय के परि संपदा पदाधिकारी भी रह चुके हैं.
'शिक्षकों की आवाज जन-जन तक पहुंचाई जाए'
हमेशा पुस्तकों के बीच रहने वाले डॉ. लाल बाबू यादव छात्र जीवन से ही पढ़ने में काफी तेज थे. साधारण से परिवार में जन्मे डॉ. लाल बाबू यादव के पिता भी शिक्षक थे. इसलिए उनके लिए शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम बना रहा है. वो चाहते हैं कि शिक्षकों की आवाज जन-जन तक पहुंचाई जाए. इसके लिये एक बड़ा प्लेटफॉर्म चाहिये. उन्होंने कहा कि विधान परिषद में जो कई टर्म से बैठे हैं, वो इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसको लेकर वे भी काफी सक्रिय भूमिका में आ चुके हैं और कई जिलों का दौरा कर वहा मतदाता सूची तैयार करने के उद्देश्य से लगातार लगे हुए हैं.
मिल रहा समर्थन
उनका कहना है कि सारण प्रमंडल समेत अन्य जगहों से उन्हें जनसमूह का समर्थन मिल रहा है. वहीं इस बार सारण प्रमंडल में होने वाला शिक्षक निर्वाचन चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प होगा. क्योंकि यह चुनाव इस तरह का होता है, जिसमें सभी पक्ष बुद्धिजीवि वर्ग से होते हैं. चाहे वह प्रत्याशी हो ता वोटर. वहीं बाबू यादव के एमएलसी का चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद काफी बड़ा वर्ग उनके समर्थन में आ गया है.