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छपरा: सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से डॉ. लाल बाबू यादव होंगे राजद के उम्मीदवार

डॉ. लाल बाबू यादव जय प्रकाश विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष के साथ-साथ कई समाचार-पत्र और पत्रिका के हेड भी रहे हैं. जय प्रकाश विश्व विद्यालय से रिटायर होने के बाद सक्रिय राजनीति में उतरने के उद्देश्य से वे शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे.

डॉ लाल बाबू, प्रोफेसर
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Published : Oct 6, 2019, 10:58 AM IST

छपरा: सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से इस बार प्रोफेसर डॉ. लाल बाबू यादव अपनी किस्मत आजमाएंगे. वे लगातार तीन टर्म से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद रहे केदार पांडेय के खिलाफ राजद से उम्मीदवार होंगे. प्रोफेसर डॉ. लाल बाबू यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वे सारण जिले के लिए एक ऐसा चेहरा हैं, जिन्होंने जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में कूदने के बाद कई बार जेल यात्रा की.
राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं
डॉ. लाल बाबू यादव जय प्रकाश विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष के साथ-साथ कई समाचार-पत्र और पत्रिका के हेड भी रहे हैं. जय प्रकाश विश्व विद्यालय से रिटायर होने के बाद सक्रिय राजनीति में उतरने के उद्देश्य से वे शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. ये राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं और लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी रहे हैं.

डॉ. लाल बाबू यादव का बयान

1971 से हैं सक्रिय राजनीति में
लाल बाबू यादव 1971 से ही सक्रिय राजनीति में है. इसके साथ ही छात्रों और शिक्षकों की लम्बित मांगों के मामले में इन्होंने कई बार आंदोलन का नेतृत्व किया है. इसके पहले वे जय प्रकाश विश्व विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक के साथ प्रभारी कुल सचिव और विश्व विधालय के परि संपदा पदाधिकारी भी रह चुके हैं.

'शिक्षकों की आवाज जन-जन तक पहुंचाई जाए'
हमेशा पुस्तकों के बीच रहने वाले डॉ. लाल बाबू यादव छात्र जीवन से ही पढ़ने में काफी तेज थे. साधारण से परिवार में जन्मे डॉ. लाल बाबू यादव के पिता भी शिक्षक थे. इसलिए उनके लिए शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम बना रहा है. वो चाहते हैं कि शिक्षकों की आवाज जन-जन तक पहुंचाई जाए. इसके लिये एक बड़ा प्लेटफॉर्म चाहिये. उन्होंने कहा कि विधान परिषद में जो कई टर्म से बैठे हैं, वो इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसको लेकर वे भी काफी सक्रिय भूमिका में आ चुके हैं और कई जिलों का दौरा कर वहा मतदाता सूची तैयार करने के उद्देश्य से लगातार लगे हुए हैं.

मिल रहा समर्थन
उनका कहना है कि सारण प्रमंडल समेत अन्य जगहों से उन्हें जनसमूह का समर्थन मिल रहा है. वहीं इस बार सारण प्रमंडल में होने वाला शिक्षक निर्वाचन चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प होगा. क्योंकि यह चुनाव इस तरह का होता है, जिसमें सभी पक्ष बुद्धिजीवि वर्ग से होते हैं. चाहे वह प्रत्याशी हो ता वोटर. वहीं बाबू यादव के एमएलसी का चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद काफी बड़ा वर्ग उनके समर्थन में आ गया है.

छपरा: सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से इस बार प्रोफेसर डॉ. लाल बाबू यादव अपनी किस्मत आजमाएंगे. वे लगातार तीन टर्म से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद रहे केदार पांडेय के खिलाफ राजद से उम्मीदवार होंगे. प्रोफेसर डॉ. लाल बाबू यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वे सारण जिले के लिए एक ऐसा चेहरा हैं, जिन्होंने जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में कूदने के बाद कई बार जेल यात्रा की.
राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं
डॉ. लाल बाबू यादव जय प्रकाश विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष के साथ-साथ कई समाचार-पत्र और पत्रिका के हेड भी रहे हैं. जय प्रकाश विश्व विद्यालय से रिटायर होने के बाद सक्रिय राजनीति में उतरने के उद्देश्य से वे शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. ये राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं और लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी रहे हैं.

डॉ. लाल बाबू यादव का बयान

1971 से हैं सक्रिय राजनीति में
लाल बाबू यादव 1971 से ही सक्रिय राजनीति में है. इसके साथ ही छात्रों और शिक्षकों की लम्बित मांगों के मामले में इन्होंने कई बार आंदोलन का नेतृत्व किया है. इसके पहले वे जय प्रकाश विश्व विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक के साथ प्रभारी कुल सचिव और विश्व विधालय के परि संपदा पदाधिकारी भी रह चुके हैं.

'शिक्षकों की आवाज जन-जन तक पहुंचाई जाए'
हमेशा पुस्तकों के बीच रहने वाले डॉ. लाल बाबू यादव छात्र जीवन से ही पढ़ने में काफी तेज थे. साधारण से परिवार में जन्मे डॉ. लाल बाबू यादव के पिता भी शिक्षक थे. इसलिए उनके लिए शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम बना रहा है. वो चाहते हैं कि शिक्षकों की आवाज जन-जन तक पहुंचाई जाए. इसके लिये एक बड़ा प्लेटफॉर्म चाहिये. उन्होंने कहा कि विधान परिषद में जो कई टर्म से बैठे हैं, वो इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसको लेकर वे भी काफी सक्रिय भूमिका में आ चुके हैं और कई जिलों का दौरा कर वहा मतदाता सूची तैयार करने के उद्देश्य से लगातार लगे हुए हैं.

मिल रहा समर्थन
उनका कहना है कि सारण प्रमंडल समेत अन्य जगहों से उन्हें जनसमूह का समर्थन मिल रहा है. वहीं इस बार सारण प्रमंडल में होने वाला शिक्षक निर्वाचन चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प होगा. क्योंकि यह चुनाव इस तरह का होता है, जिसमें सभी पक्ष बुद्धिजीवि वर्ग से होते हैं. चाहे वह प्रत्याशी हो ता वोटर. वहीं बाबू यादव के एमएलसी का चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद काफी बड़ा वर्ग उनके समर्थन में आ गया है.

Intro:शिक्षक चुनाव।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट । छ्परा। सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से अबकी बार प्रोफेसर डा लाल बाबु यादव अपनी किस्मत अजमायेगे।वे लगातार तीन टर्म से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में से विधान पार्षद केदार पांडेय के खिलाफ राजद से उम्मीद वार होगे।1974जेपी आंदोलन के उपज रहे प्रोफेसर डा लाल बाबु यादव आज किसी परिचय के मोहताज नही है।वे सारण जिले के लिये एक एसा चेहरा है। जिन्होने जय प्रकाश नारायण के आदोलन मे कूदने के बाद कई बार जेल यात्रा की ।वे छ्परा मे ही नही बल्कि प्रदेश स्तर और देश स्तर पर भी काफी विख्यात रहे है।वे जय प्रकाश विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष के साथ-साथ कई समाचार-पत्र और पत्रिका के बिहार के हेड भी रहे है।और सामाजिक-आर्थिक और साहित्यिक संस्थानो से जुड़े रहे है।साहित्यिक गतिविधियों के कारण एक बड़े वुधिजीवी वर्ग मे इनकी अच्छी पैठ है।एक प्रोफेसर,पत्रकार और समाजसेवी के रुप मे ये काफी लोक प्रिय है ।और अब जय प्रकाश विश्व विद्यालय से सेवानिवर्त होने के बाद सक्रिय राजनीति मे उतरने के उद्देश्य से वे शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडेंगे ।


Body: अपने इन्ही विशेषता के कारण राजद सुप्रीमों लालूप्रसाद यादव ने इन्हे पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है।और ये राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं । और लालूप्रसाद यादव के काफी करीबी रहे है। इसके साथ ही छात्रो और शिक्षकों की लम्बित मांगों के मामले मे इन्होने कई बार आंदोलन का नेतृत्व किया है ।ये 1971से ही सक्रिय राजनीति मे है।71मे छात्र नेता के रुप मे गिरफ्तार किया गया और बक्सर केन्द्रीय कारा मे नजरबंद रहे।।उसके बाद 74जेपी आंदोलन मे जेल गये।1982और 1986शिक्षक आंदोलन मे गिरफ्तार हुए ।उन्होने भारतीय वामपंथी आंदोलन और राजद के कार्यक्रम मे सक्रिय भूमिका निभाई है ।इसके अलावा डा लाल बाबू यादव को1983मे विश्व शांती सद्भावना पुरस्कार,विश्व राष्ट्र भाषा परिषद द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र मे2005मे साहित्य स्म्म्मान पुरस्कार से नवाजा गया ।इसके साथ ही2015 डा लाल बाबू यादव को भिखारी ठाकुर स्मृति सम्मान से भी नवाजा गया है।वर्तमान मे वह छ्परा से मान्यता प्राप्त पत्रकार है।और पीटीआई और भाषा के ब्यूरो है।इसके पहले वे जय प्रकाश विश्व विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक के साथ प्रभारी कुल सचिव और विश्व विधालय के परि संपदा पदाधिकारी भी रह चुके है।


Conclusion:हमेशा पुस्तकों के बीच रहने वाले डा लाल बाबू यादव छात्र जीवन से ही पढने मे काफी तेज थे।साधारण से परिवार मे जन्मे डा लाल बाबू यादव कहते है की उनके पिता जी भी शिक्षक ही थे ।इसलिए उनके लिये शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम बना रहा हैं ।और आज इसी के बदौलत वे इस मुकाम तक पहुंचे है।वे अब वे चाहतें हैकि शिक्षकों की आवाज कल जन जन तक पहुँचाया जाये।तो इसके लिये एक बडा प्लेटफार्म चाहिये ।जो की विधान परिषद है।और उसमे कई टर्म से बैठे लोग इसकी ओर कोई ध्यान नही दे रहे है।इसको लेकर वे भी काफी सक्रिय भूमिका मे आ चुके हैं और कई जिलों का दौरा कर वहा मतदाता सूची तैयार करने के उद्देश्य से लगातार लगे हुए है।उनका कहना है कि सारण प्रमंडल समेत अन्य जगहों से उन्हे काफी जनसमूह का जन समर्थन मिल रहा है ।वही इस बार सारण प्रमंडल मे होने वाला शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र मे होने वाला चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प होगा।कयोंकि यह चुनाव इस तरह का होता है की जिसमे सभी पक्ष बुधिजीवी वर्ग से होते है।चाहे वह प्रत्याशी हो ता वोटर ।वही प्रो डा लाल बाबू यादव के एमएलसी का चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद काफी बड़ा वर्ग उनके समर्थन मे आ गया है। बाईट 1/2/3/प्रोफेसर डा लाल बाबू यादव पूर्व विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग जयप्रकाश विश्वविधालय छ्परा
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