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Bihari cuisine: हां बाबू ई बिहार का Atom Bomb है.. देखते ही मुंह में आ जाएगा पानी.. 70 साल से स्वाद के दिवाने हैं लोग

Atom Bomb का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन बिहार के Atom Bomb को देखकर ऐसा कुछ नहीं होगा, उल्टे मुंह में पानी आ जाएगा. बिहार के सारण में एटम बम नाम से मिठाई का स्वाद देश विदेशों तक मशहूर है. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 7, 2023, 6:06 AM IST

बिहार का Atom Bomb मिठाई

सारणः बिहार का प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी चोखा, चुरा दही, मालपुआ, सत्तू आदि का नाम तो खूब सुने होंगे और स्वाद भी चखे होंगे, लेकिन बिहार के सारण का एटम बम मिठाई (Atom Bomb Sweet) का कोई जोड़ नहीं है. सारण में बुधवार को डीएम अमन समीर ने इस मिठाई का स्वाद चखा तो वे भी इसके दिवाने हो गए. इसके बाद डीएम ने जीआई टैग दिलाने की बात कही. इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. मिठाई की प्रमाणिकता से जुड़े दस्तावेज को जमा किया जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः लिट्टी-चोखा के शौकीन लोग ऑनलाइन मंगवा रहे हैं गोइठा, पटना के खटाल मालिकों की चांदी


सारण के अन्य मिठाई भी मशहूरः बता दें कि सारण जिला का ऐतिहासिक, पौराणिक और राजनीतिक इतिहास रहा है. यहां के लोग खाने-पीने के शौकीन रहे हैं. यहां छोटे-छोटे कस्बों में एक से एक बढ़कर लजीज व्यंजन बनाया जाता है. सबसे पहले दिघवारा की खुरचन मिठाई, परसा की मुर्की मिठाई, शीतलपुर के बैसाखी शाह और महावीर शाह के रसगुल्ले तथा नयागांव का कलाकंद अपने आप में बेजोड़ और सुस्वाद है. सभी मिठाइयों को बनाने में दूध और खोआ का प्रयोग किया जाता है.

ताजपुर में बनता है एटम बमः इधर, सारण जिले के मांझी प्रखंड में ताजपुर का एटम बम भी अपने आप में अनूठी मिठाई है. यह मिठाई शुद्ध दूध से बनाई जाती है. मांझी के ताजपुर निवासी प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह उर्फ दादा के द्वारा वर्ष 1953 में एटम बम नामक मिठाई बनाने की शुरुआत की गई थी. आज पूरे सारण जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश, देश और विदेशों में भी इसकी अलग पहचान है.

तीन पीढियों बन रही है मिठाईः कई पीढियां से यहां एटम बम एक ही परिवार के लोग बना रहे हैं. इस समय उनकी तीसरी पीढ़ी यह काम कर रही है. इस समय स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह के पोते और पर पोता इस दुकान का संचालन कर रहे हैं. दुकान के संचालक नंदन कुमार ने बताया कि हम किसी भी प्रकार से मिठाई की गुणवत्ता से समझौता नहीं करते हैं इसलिए इस मिठाई की पहचान बनी हुई है.

ईटीवी भारत GFX
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"दादा के द्वारा वर्ष 1953 से लगभग चार दशक तक प्रतिदिन मार्च 5 किलो एटम बम ही बनाए जाते थे. मिठाई को इच्छुक व चिह्नित ग्राहकों को ही बेचते थे. बाद में उनके पिता स्वर्गीय विजय सिंह लगभग 3 दशक तक लगभग 30 किलो मिठाई बेचे. आज इस मिठाई की इतनी ज्यादा मांग है कि अब ग्राहकों की संख्या को देखते हुए प्रतिदिन 70 किलो से लेकर 1 क्विंटल मिठाई बनाई जाती है." -नंदन कुमार, संचालक

एटम बम कैसे बनता है? यह मिठाई शुद्ध दूध से बनाई जाती है. सबसे पहले दूध को गर्म करके उसे फाड़ जाता है और छेना तैयार किया जाता है. छेना को फेटा जाता है और उसका सारा पानी निकाल दिया जाता है. इसके बाद इसकी गोली बनाई जाती है और उसको वनस्पति तेल में छान लिया जाता है. छानने के बाद इसे चीनी की चासनी में डाला जाता है. इसके बाद यह मिठाई खाने के लिए तैयार है.

बिहार का Atom Bomb मिठाई

सारणः बिहार का प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी चोखा, चुरा दही, मालपुआ, सत्तू आदि का नाम तो खूब सुने होंगे और स्वाद भी चखे होंगे, लेकिन बिहार के सारण का एटम बम मिठाई (Atom Bomb Sweet) का कोई जोड़ नहीं है. सारण में बुधवार को डीएम अमन समीर ने इस मिठाई का स्वाद चखा तो वे भी इसके दिवाने हो गए. इसके बाद डीएम ने जीआई टैग दिलाने की बात कही. इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. मिठाई की प्रमाणिकता से जुड़े दस्तावेज को जमा किया जा रहा है.

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सारण के अन्य मिठाई भी मशहूरः बता दें कि सारण जिला का ऐतिहासिक, पौराणिक और राजनीतिक इतिहास रहा है. यहां के लोग खाने-पीने के शौकीन रहे हैं. यहां छोटे-छोटे कस्बों में एक से एक बढ़कर लजीज व्यंजन बनाया जाता है. सबसे पहले दिघवारा की खुरचन मिठाई, परसा की मुर्की मिठाई, शीतलपुर के बैसाखी शाह और महावीर शाह के रसगुल्ले तथा नयागांव का कलाकंद अपने आप में बेजोड़ और सुस्वाद है. सभी मिठाइयों को बनाने में दूध और खोआ का प्रयोग किया जाता है.

ताजपुर में बनता है एटम बमः इधर, सारण जिले के मांझी प्रखंड में ताजपुर का एटम बम भी अपने आप में अनूठी मिठाई है. यह मिठाई शुद्ध दूध से बनाई जाती है. मांझी के ताजपुर निवासी प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह उर्फ दादा के द्वारा वर्ष 1953 में एटम बम नामक मिठाई बनाने की शुरुआत की गई थी. आज पूरे सारण जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश, देश और विदेशों में भी इसकी अलग पहचान है.

तीन पीढियों बन रही है मिठाईः कई पीढियां से यहां एटम बम एक ही परिवार के लोग बना रहे हैं. इस समय उनकी तीसरी पीढ़ी यह काम कर रही है. इस समय स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह के पोते और पर पोता इस दुकान का संचालन कर रहे हैं. दुकान के संचालक नंदन कुमार ने बताया कि हम किसी भी प्रकार से मिठाई की गुणवत्ता से समझौता नहीं करते हैं इसलिए इस मिठाई की पहचान बनी हुई है.

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"दादा के द्वारा वर्ष 1953 से लगभग चार दशक तक प्रतिदिन मार्च 5 किलो एटम बम ही बनाए जाते थे. मिठाई को इच्छुक व चिह्नित ग्राहकों को ही बेचते थे. बाद में उनके पिता स्वर्गीय विजय सिंह लगभग 3 दशक तक लगभग 30 किलो मिठाई बेचे. आज इस मिठाई की इतनी ज्यादा मांग है कि अब ग्राहकों की संख्या को देखते हुए प्रतिदिन 70 किलो से लेकर 1 क्विंटल मिठाई बनाई जाती है." -नंदन कुमार, संचालक

एटम बम कैसे बनता है? यह मिठाई शुद्ध दूध से बनाई जाती है. सबसे पहले दूध को गर्म करके उसे फाड़ जाता है और छेना तैयार किया जाता है. छेना को फेटा जाता है और उसका सारा पानी निकाल दिया जाता है. इसके बाद इसकी गोली बनाई जाती है और उसको वनस्पति तेल में छान लिया जाता है. छानने के बाद इसे चीनी की चासनी में डाला जाता है. इसके बाद यह मिठाई खाने के लिए तैयार है.

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