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शोपीस बनकर रह गया है कोविड केयर रैक, नहीं आ रहा लोगों के काम

12 बोगी की इस ट्रेन में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. लेकिन शहर से काफी दूर होने के कारण इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. लोगों का कहना है कि इस कोविड केयर रैक को छपरा या छपरा कचहरी या अन्य स्टेशनों पर लगाया जाता तो इसकी काफी उपयोगिता होती.

कोविड केयर रैक
कोविड केयर रैक
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Published : May 18, 2021, 11:04 PM IST

छपराः भारतीय रेल ने भी कोविड मरीजों के लिए अपनी 4000 से ज्यादा कोचों को कोविड स्पेशल केयर रैक में बदल कर देश और राज्य के कई स्टेशनों पर खड़ा कर दिया है. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी होने पर स्वास्थ्य मंत्रालय और जिला प्रशासन इन कोविड केयर रैक का इस्तेमाल अस्पताल के तौर पर कर सकता है.

पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल ने भी एक कोविड केयर रैक बना कर छपरा के एक छोटे से वीरान स्टेशन पटेहरी पर खड़ा कर दिया है. यह रैक इस स्टेशन पर कई दिनों से खड़ा है.

ना ही यहां मरीज हैं ना डॉक्टर
12 बोगी की इस ट्रेन में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. लेकिन इस छोटे स्टेशन पटेहरी में जो छपरा शहर से लगभग 20 किमी दूर है इस जगह पर न तो कोई स्वास्थ्यकर्मी हैं और न ही कोई मरीज.

जानकारी देते संवाददाता

ये भी पढ़ेः इंतजार करते रह गए! 6 घंटे में मात्र 10 लोगों को टीका... ये हाल है बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के गांव का

मरीजों के काम नहीं आ रहा रैक
लोगों का कहना है कि इस कोविड केयर रैक को छपरा या छपरा कचहरी या अन्य स्टेशनों पर लगाया जाता तो इसकी काफी उपयोगिता होती. लेकिन एक वीरान और छोटे से स्टेशन पर कोविड रैक लगाकर रेलवे ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है. वहीं, यह कोविड केयर रैक कोविड मरीजों के काम आने के बजाए केवल शो पीस बन कर रह गई है.

छपराः भारतीय रेल ने भी कोविड मरीजों के लिए अपनी 4000 से ज्यादा कोचों को कोविड स्पेशल केयर रैक में बदल कर देश और राज्य के कई स्टेशनों पर खड़ा कर दिया है. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी होने पर स्वास्थ्य मंत्रालय और जिला प्रशासन इन कोविड केयर रैक का इस्तेमाल अस्पताल के तौर पर कर सकता है.

पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल ने भी एक कोविड केयर रैक बना कर छपरा के एक छोटे से वीरान स्टेशन पटेहरी पर खड़ा कर दिया है. यह रैक इस स्टेशन पर कई दिनों से खड़ा है.

ना ही यहां मरीज हैं ना डॉक्टर
12 बोगी की इस ट्रेन में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. लेकिन इस छोटे स्टेशन पटेहरी में जो छपरा शहर से लगभग 20 किमी दूर है इस जगह पर न तो कोई स्वास्थ्यकर्मी हैं और न ही कोई मरीज.

जानकारी देते संवाददाता

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मरीजों के काम नहीं आ रहा रैक
लोगों का कहना है कि इस कोविड केयर रैक को छपरा या छपरा कचहरी या अन्य स्टेशनों पर लगाया जाता तो इसकी काफी उपयोगिता होती. लेकिन एक वीरान और छोटे से स्टेशन पर कोविड रैक लगाकर रेलवे ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है. वहीं, यह कोविड केयर रैक कोविड मरीजों के काम आने के बजाए केवल शो पीस बन कर रह गई है.

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