सारण:अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मिशन साहसी अभियान का समापन 19 नवंबर को रानी लक्ष्मीबाई जयंती मनाकर किया गया. इस अवसर पर स्कूली बच्चियों द्वारा आत्मरक्षा के कला का बेहतर प्रदर्शन किया गया. वही, छात्राओं को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया.
मिशन साहसी कार्यक्रम का आयोजन
जिले में 9 नवंबर से मिशन साहसी कार्यक्रम का शहर के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, आरएन सिंह डिग्री इवनिंग कॉलेज, आर्य समाज कन्या गर्ल्स स्कूल, सेंट्रल पब्लिक स्कूल और गुरुकुल पब्लिक स्कूल की छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. 10 दिनों तक चले इस कार्यक्रम में छात्राओं ने जबरदस्त तरीके से अपने साहस को दिखाया हैं.
'कार्य करने की जरुरत'
एआईएफ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह जेपीयू की प्राध्यापक डॉ० पूनम सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में नारी सशक्तिकरण की बातें तो कही जाती है, लेकिन केवल बातें करने से नहीं होगा, बल्कि उस दिशा में कार्य भी करने पड़ेगा, और इसी दिशा में विद्यार्थी परिषद द्वारा मिशन साहसी कार्यक्रम चलाया गया हैं.
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'महिलाओं को साहसी बनाने का प्रयास'
डॉ० पूनम सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्राओं को सबल, निडर और साहसी बनाने का प्रयास किया जाता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत में महिलाएं, बच्चियां जब तक शारिरिक और मानसिक रूप से सशक्त नही होंगी, तब तक महिलाओं की सुरक्षा और विकास संभव नहीं होगा.
'मनचलों से कर सकते है मुकाबला'
वहीं, प्रशिक्षण ले रही छात्राओं का कहना है कि अब किसी भी तरह के असामाजिक तत्वों से निडर होकर सामना कर सकते है. प्रियंका कुमारी और तान्या सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि मिशन साहसी ट्रेनिंग के बाद अभाविप ने हमलोगों में जो साहस भरा है और जो गुण हमको सिखाया है, उससे हम किसी भी विकट परिस्थिति में मनचलों का डटकर मुकाबला कर सकते हैं.