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सारण: मशरक में छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को दिया पहला अर्घ्य

सारण के मशरक क्षेत्र में भादो माष के छठ व्रत में गीत के साथ व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया. व्रती महिलाओं के मुताबिक इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

Gave the first arghya to sun
सूर्य को दिया पहला अर्घ्य
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Published : Aug 25, 2020, 7:22 PM IST

सारण: जिले में मशरक के कवलपुरा पंचायत के छठ व्रतियों ने चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ्य दिया. मशरक क्षेत्र की महिलाएं छठ पर्व का गीत गाकर घाट बनाकर पूजा मे व्यस्त हैं. वहीं, दिनेश कुमार सिंह अपने कवलपुरा पंचायत के व्रतियों के व्यवस्था में लगे नजर आ रहे हैं. मशरक प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ का पानी आ जाने से ज्यादात्तर छठघाटों पर छठ व्रती घाट पर नहीं पहुंच पाई हैं. ऐसे में व्रती महिलाओं ने अपने घर के दरवाजे से ही अर्घ्य दे दिया.

उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य
कवलपुरा पंचायत के भावी मुखिया प्रत्याशी दिनेश सिंह ने व्रतियों के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि लोगों इस बाढ़ के समय किसी प्रकार की परेशानी न हो. दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि नहाय-खाय के साथ ही यह अनुष्ठान शुरू हो गया था. क्षेत्र की महिलाएं लगातार छठ पर्व का गीत गाकर पर्व को सफल बनाने में लगी हुई हैं. मशरक, डुमरसन, कवलपुरा बड़वाघाट, चान्न, कवलपुरा, चान्दबरवां,चैनपुर, चरिहारा, सोनौली, खजूरी, चैनपुर चमरिया, मदारपुर, बहरौली, मशरक तख़्त, गंगौली, देवरिया सहित दर्जनों गांवों में छठ व्रतियों ने अर्घ्य दिया. छठ व्रती मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेंगी.

छठ पर्व का महत्व
छठ पर्व पर पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. इस समय जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं. छठ का पहला अर्घ्य मंगलवार को दिया जाएगा. डूबते सूर्य की उपासना का पौराणिक महत्व है और इस व्रत को करने से कई मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

सारण: जिले में मशरक के कवलपुरा पंचायत के छठ व्रतियों ने चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ्य दिया. मशरक क्षेत्र की महिलाएं छठ पर्व का गीत गाकर घाट बनाकर पूजा मे व्यस्त हैं. वहीं, दिनेश कुमार सिंह अपने कवलपुरा पंचायत के व्रतियों के व्यवस्था में लगे नजर आ रहे हैं. मशरक प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ का पानी आ जाने से ज्यादात्तर छठघाटों पर छठ व्रती घाट पर नहीं पहुंच पाई हैं. ऐसे में व्रती महिलाओं ने अपने घर के दरवाजे से ही अर्घ्य दे दिया.

उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य
कवलपुरा पंचायत के भावी मुखिया प्रत्याशी दिनेश सिंह ने व्रतियों के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि लोगों इस बाढ़ के समय किसी प्रकार की परेशानी न हो. दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि नहाय-खाय के साथ ही यह अनुष्ठान शुरू हो गया था. क्षेत्र की महिलाएं लगातार छठ पर्व का गीत गाकर पर्व को सफल बनाने में लगी हुई हैं. मशरक, डुमरसन, कवलपुरा बड़वाघाट, चान्न, कवलपुरा, चान्दबरवां,चैनपुर, चरिहारा, सोनौली, खजूरी, चैनपुर चमरिया, मदारपुर, बहरौली, मशरक तख़्त, गंगौली, देवरिया सहित दर्जनों गांवों में छठ व्रतियों ने अर्घ्य दिया. छठ व्रती मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेंगी.

छठ पर्व का महत्व
छठ पर्व पर पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. इस समय जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं. छठ का पहला अर्घ्य मंगलवार को दिया जाएगा. डूबते सूर्य की उपासना का पौराणिक महत्व है और इस व्रत को करने से कई मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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