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सारण: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती के मौके पर जिला स्कूल में सम्मान समारोह का आयोजन - Dr. Rajendra Prasad

कार्यक्रम का शुभारंभ सम्मानित अतिथियों ने राजेंद्र बाबू के चित्र पर माल्यार्पण कर किया. इसके बाद छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया.

सारण
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का सम्मान समारोह
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Published : Dec 3, 2019, 6:22 PM IST

सारण: जिले में मंगलवार को राजेंद्र बाबू की जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इसी क्रम में जिला स्कूल में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का सम्मान समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में जिला स्कूल के छात्र-छात्राओं और अध्यापकों को सारण डीआईजी विजय कुमार वर्मा ने सम्मानित किया. मौके पर सम्मान समारोह में जिला स्कूल के सभी टीचर और स्कूली बच्चे उपस्थित रहे.

स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति
कार्यक्रम का शुभारंभ सम्मानित अतिथियों ने राजेंद्र बाबू के चित्र पर माल्यार्पण कर किया. इसके बाद छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया. गौरतलब है कि राजेन्द्र बाबू इसी विद्यालय के छात्र थे. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा यहीं रहकर हासिल की और आगे की उच्च शिक्षा के लिये पटना चले गए. डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे. स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने का गौरव भी उन्हें प्राप्त हुआ. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद लगभग 12 साल तक राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का सम्मान समारोह

'परिवार का भी झेलना पड़ा विरोध'
वहीं, डीआईजी विजय कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राजेंद्र बाबू का जीवन हमेशा प्रेरणा देता है. राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भी उनके लिए सादगी, ईमानदारी, कर्तव्य और निष्ठा ही सर्वोपरि रहा. उन्होंने किसी भी परिस्थिति में कभी समझौता नहीं किया. जमींदारी प्रथा खत्म करने को लेकर उनको अपने परिवार का भी विरोध झेलना पड़ा. हालांकि, इससे विचलित न होकर दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ उन्होंने कानून लागू कराया.

सारण: जिले में मंगलवार को राजेंद्र बाबू की जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इसी क्रम में जिला स्कूल में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का सम्मान समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में जिला स्कूल के छात्र-छात्राओं और अध्यापकों को सारण डीआईजी विजय कुमार वर्मा ने सम्मानित किया. मौके पर सम्मान समारोह में जिला स्कूल के सभी टीचर और स्कूली बच्चे उपस्थित रहे.

स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति
कार्यक्रम का शुभारंभ सम्मानित अतिथियों ने राजेंद्र बाबू के चित्र पर माल्यार्पण कर किया. इसके बाद छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया. गौरतलब है कि राजेन्द्र बाबू इसी विद्यालय के छात्र थे. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा यहीं रहकर हासिल की और आगे की उच्च शिक्षा के लिये पटना चले गए. डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे. स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने का गौरव भी उन्हें प्राप्त हुआ. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद लगभग 12 साल तक राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का सम्मान समारोह

'परिवार का भी झेलना पड़ा विरोध'
वहीं, डीआईजी विजय कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राजेंद्र बाबू का जीवन हमेशा प्रेरणा देता है. राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भी उनके लिए सादगी, ईमानदारी, कर्तव्य और निष्ठा ही सर्वोपरि रहा. उन्होंने किसी भी परिस्थिति में कभी समझौता नहीं किया. जमींदारी प्रथा खत्म करने को लेकर उनको अपने परिवार का भी विरोध झेलना पड़ा. हालांकि, इससे विचलित न होकर दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ उन्होंने कानून लागू कराया.

Intro:सम्मान समारोह ।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट । छ्परा।छ्परा मे आज राजेंद्र बाबू की जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रम के आयोजन किया गया है।जिसमे आज छ्परा के जिला स्कुल मे सम्मानसमारोह का आयोजन हुआ।इस कार्यक्रम मे जिला स्कुल के छात्र छात्राओं और स्कुल के टीचरों को सारण रेंज के डीआइजी विजय कुमार वर्मा ने सम्मानित किया । वही इस सम्मान समारोह मे जिला स्कुल के सभी टीचर और स्कूली बच्चे उपस्थित थे ।



Body: इसके पहले जिला स्कुल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया।और सभी ने राजेंद्र बाबू के चित्र पर माल्यार्पण किया ।वही राजेन्द्र बाबू इसी स्कुल के छात्र थे।और यही रहकर उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा हासिल की।और उसके बाद आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिये पटना गये।डा राजेन्द्र प्रसाद भारतीय सविधान सभा के अध्यक्ष थे।और स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति भी बने।वे लगभग 12साल तक राष्टपति के पद पर रहे।



Conclusion:वही डीआइजी विजय कुमार वर्मा ने अपने सम्बोधन कहा की राजेंद्र बाबू का जीवन हमेशा हमे प्रेरणा देता है।राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भी उनकी सादगी और इमानदारी और कर्तव्य निस्ठा सर्वोपरि रही है।उन्होनें कभी भी और किसी भी परिस्थिति मे कयो नहो कभी समझौता नहीं किया ।वही जमीदारी प्रथा खतम करने को लेकर उनको अपने परिवार का भी विरोध झेलना पड़ा था।लेकिन वे इससे विचलित नहीं हुये।और पूरी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ वे इस कानून को लागू करने मे सफ़ल रहे। बाईट विजय कुमार वर्मा डी आई जी सारण
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