छपरा: बिहार के गन्ना और विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने बुधवार को छपरा में कहा कि मठों और मंदिरों की जमीन का सर्वे हो रहा है. जमीन संरक्षित करने के लिए उसकी जमाबंदी और घेराबंदी कराई जा रही है. सभी जिलाधिकारियों, राजस्व कर्मियों और राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सभी धार्मिक स्थलों की संपत्तियों का सर्वे कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
यह भी पढ़ें- गोपालगंज: नाली के निर्माण कार्य में धांधली, BDO ने कहा- जांच के बाद होगी कार्रवाई
मंदिरों और मठों की जमीन पर अवैध तरीके से अतिक्रमण कर निर्माण कराने और उस पर स्थायी कब्जा करने के प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि कोई भी हो कानून सबके लिए बराबर है. किसी को बख्शा नहीं जाएगा. कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. छपरा के सारण समाहरणालय स्थित सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक के बाद मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये बातें कहीं. समीक्षा बैठक में सारण की आयुक्त पूनम, सारण, सिवान, गोपालगंज के जिलाधिकारी समेत राजस्व अधिकारी, सीओ और बीडीओ उपस्थित थे.
गोपालगंज के सासामुसा चीनी मिल के बकाया भुगतान के संबंध में मंत्री ने कहा 'चीनी मिल के पास काफी चल और अचल संपत्ति है. मैंने गोपालगंज के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि चीनी मिल की संपत्ति बेचकर किसानों के बकाया का अविलंब भुगतान किया जाए. मिल के पास किसानों का 50 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है.' सारण के मरहौरा स्थित चीनी मिल के पास किसानों के बकाया के संबंध में मंत्री ने कहा कि मामला कोर्ट में है.
"मरहौरा चीनी मिल बीआईसी (ब्रिटिश कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) का है. यह कपड़ा विभाग के अधीन है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस चीनी मिल के लिक्विडेशन का केस चल रहा है. मामला कोर्ट के अधीन है. कोर्ट के आदेश के बाद सरकार इस संबंध में पहल करेगी."- प्रमोद कुमार, मंत्री, गन्ना और विधि विभाग
मरहौरा चीनी मिल के पास काफी मात्रा में चल और अचल संपत्ति है. मिल पर किसानों का करोड़ों रुपए बकाया है. वहां से मशीनों और अन्य संपत्तियों की लगातार चोरी हो रही है. इस सवाल पर मंत्री ने कहा कि मिल की संपत्ति की रक्षा जिला प्रशासन का काम है. जिला प्रशासन को मेरा निर्देश है कि मिल की संपत्ति का संरक्षण करें.
बता दें कि बिहार सरकार ने प्रदेश के 20 जिलों में एक विशेष सर्वेक्षण शुरू किया है. इसके तहत मंदिर, मठ और अन्य धार्मिक देवता या मंदिर को दान में दी गई जमीन की पहचान की जा रही है. पहचान के बाद उस जमीन का स्वामित्व मंदिर के नाम कर दिया जाएगा. अब ऐसी जमीन किसी व्यक्ति या निजी संस्था के नाम नहीं रहेगी. 1905 के बाद बिहार में पहली बार मठ और मंदिरों की जमीन का सर्वे हो रहा है.
यह भी पढ़ें- दूसरी शादी के लिए पत्नी को पीट-पीटकर मार डाला, फिर शौचालय की टंकी में फेंका