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Chapra Khanua Nala Encroachment : छपरा के खनुआ नाला की 300 दुकानों पर चला बुलडोजर, NGT के निर्देश पर तोड़ा - NGT के आदेश पर कार्रवाई

छपरा के खनुआ नाला पर बनी 300 दुकानों को प्रशासन ने NGT के आदेश पर तोड़ दिया. इस कार्रवाई से जिनकी दुकानें टूटीं हैं उन्होंने आक्रोश जताया और कहा कि उन्हें प्रशासन ने बेरोजगार कर सड़क पर ला दिया.

छपरा
खनुआ नाला पर अतिक्रमण के खिलाफ एक्शन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 5, 2023, 4:56 PM IST

छपरा खनुआ नाला पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का देखें VIDEO

सारण : NGT के आदेश के बाद छपरा के खनुआ नाला पर बनी लगभग 300 दुकानों को बुलडोजर से ढहा दिया गया. यह कार्रवाई पिछले 2 साल से एनजीटी के आदेश के बाद से चल रही है. इससे पहले 100 दुकानों को तोड़ा गया था. इस दौरान यह मामला दबा रहा लेकिन उसके बाद एक बार फिर 15 दिनों में छपरा शहर के खनुआ नाला पर बने सभी 330 दुकानों को तोड़ने का काम जारी है.

ये भी पढ़ें- Chapra News: छपरा के खनुआ नाला पर बने दुकानों पर चला पीला पंजा, तोड़ी गईं 186 दुकानें

बुलडोजर से ढहा दी गई दुकान : लगातार चलता पीला पंजा और ध्वस्त होती 25 वर्ष पुरानी दुकानें. यह उन लोग के लिए एक बड़ी समस्या है जो 25 वर्ष से अपना रोजगार चला कर अपने और अपने परिवार का पेट पाल रहे थे. आज यह सभी 300 दुकानदार सड़कों पर आ गए हैं. उनके सामने सबसे बड़ी समस्या भुखमरी की है. क्योंकि इनका रोजगार छिन चुका है और उनके सामने 2 जून की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

''1999 से हमारी दुकान चल रही थी. अब तोड़ दी गई है. हम तो रोड पर आ गए. हमारी मांग है कि नगर निगम हमें कहीं दुकान बनाकर दें नहीं तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी. इसी दुकान से ही हमारी फैमिली का पेट पलता था''- स्थानीय पीड़ित दुकानदार


सड़क पर आए 300 दुकानदार : अगर बात की जाए छपरा शहर की तो, छपरा शहर में एक ऐसा नाल है जो सरयू नदी से मिलता है. सरयू नदी में जब पानी अधिक होता है तो अधिक पानी छपरा जिले के चवर में चला जाता था. आज से लगभग 25 से 30 साल पहले सारण जिले के वर्तमान जिलाधिकारी आर के श्रीवास्तव के द्वारा इस नाले के ऊपर 286 दुकान बनाकर दुकानदारों को आवंटित कर दिया गया. उसके बाद छपरा शहर की पानी की निकासी धीरे-धीरे बंद होने लगी. छपरा शहर बरसात के दिनों में पूरी तरह से जल जमाव से ग्रसित हो गया.

NGT के आदेश पर कार्रवाई : स्थानीय लोगों द्वारा इस मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे. एनजीटी में मामला दायर किया गया. एनजीटी ने स्पष्ट किया की दुकानों को हटाया जाए और खनुआ नाला का जीर्णोद्धार कर पुराने स्वरूप में लाया जाए. उसके बाद जिला प्रशासन ने इन दुकानों को तोड़ना शुरू किया है. लेकिन स्थानीय दुकानदार इस बात से लेकर काफी आक्रोशित हैं कि उन्हें बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये, जिला प्रशासन ने सड़क पर लाकर छोड़ दिया.

छपरा खनुआ नाला पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का देखें VIDEO

सारण : NGT के आदेश के बाद छपरा के खनुआ नाला पर बनी लगभग 300 दुकानों को बुलडोजर से ढहा दिया गया. यह कार्रवाई पिछले 2 साल से एनजीटी के आदेश के बाद से चल रही है. इससे पहले 100 दुकानों को तोड़ा गया था. इस दौरान यह मामला दबा रहा लेकिन उसके बाद एक बार फिर 15 दिनों में छपरा शहर के खनुआ नाला पर बने सभी 330 दुकानों को तोड़ने का काम जारी है.

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बुलडोजर से ढहा दी गई दुकान : लगातार चलता पीला पंजा और ध्वस्त होती 25 वर्ष पुरानी दुकानें. यह उन लोग के लिए एक बड़ी समस्या है जो 25 वर्ष से अपना रोजगार चला कर अपने और अपने परिवार का पेट पाल रहे थे. आज यह सभी 300 दुकानदार सड़कों पर आ गए हैं. उनके सामने सबसे बड़ी समस्या भुखमरी की है. क्योंकि इनका रोजगार छिन चुका है और उनके सामने 2 जून की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

''1999 से हमारी दुकान चल रही थी. अब तोड़ दी गई है. हम तो रोड पर आ गए. हमारी मांग है कि नगर निगम हमें कहीं दुकान बनाकर दें नहीं तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी. इसी दुकान से ही हमारी फैमिली का पेट पलता था''- स्थानीय पीड़ित दुकानदार


सड़क पर आए 300 दुकानदार : अगर बात की जाए छपरा शहर की तो, छपरा शहर में एक ऐसा नाल है जो सरयू नदी से मिलता है. सरयू नदी में जब पानी अधिक होता है तो अधिक पानी छपरा जिले के चवर में चला जाता था. आज से लगभग 25 से 30 साल पहले सारण जिले के वर्तमान जिलाधिकारी आर के श्रीवास्तव के द्वारा इस नाले के ऊपर 286 दुकान बनाकर दुकानदारों को आवंटित कर दिया गया. उसके बाद छपरा शहर की पानी की निकासी धीरे-धीरे बंद होने लगी. छपरा शहर बरसात के दिनों में पूरी तरह से जल जमाव से ग्रसित हो गया.

NGT के आदेश पर कार्रवाई : स्थानीय लोगों द्वारा इस मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे. एनजीटी में मामला दायर किया गया. एनजीटी ने स्पष्ट किया की दुकानों को हटाया जाए और खनुआ नाला का जीर्णोद्धार कर पुराने स्वरूप में लाया जाए. उसके बाद जिला प्रशासन ने इन दुकानों को तोड़ना शुरू किया है. लेकिन स्थानीय दुकानदार इस बात से लेकर काफी आक्रोशित हैं कि उन्हें बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये, जिला प्रशासन ने सड़क पर लाकर छोड़ दिया.

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