छपरा (सारण) : यूं तो बिहार में कोरोना संक्रमण को बढ़ता देख 31 जुलाई तक लॉकडाउन लगाया गया है. लेकिन पापी पेट की भूख मिटाने के लिए इंसान अपने घर से बाहर निकल रहा है. ऐसे में सबसे ज्यादा निचला वर्ग प्रभावित हुआ है. इसकी बानगी सारण में देखने को मिलती है, जब एक महिला अपनी बेटी के साथ सड़कों पर भीख मांगती दिखाई गई.
ईटीवी भारत रिपोर्टर ने उससे बात करने की कोशिश की, तो महिला ने अपनी बेबसी बतायी. महिला अपनी 7 सात वर्षीय मासूम बच्ची के साथ सड़कों पर अपनी हारमोनियम और ढोलक लेकर गाना गाती है. इसके एवज में लोग खुश होकर उसे कुछ पैसे दे देते हैं. इस पारितोषिक से ही इनका गुजर बसर होता है.
'डर से ज्यादा पेट भरने की चिंता है साहेब'
सड़को पर गीत गाती हुई इस महिला ने अपना नाम सरिता देवी बताया. सरिता कहती है, 'कोरोना संक्रमण काल में डर से ज्यादा चिंता पेट भरने की है. अगर काम नहीं करूंगी, तो बच्चों को पालेगा कौन. गांव वालों से ईनाम स्वरूप कुछ राशि मिल जाती है. उसी से परिवार का गुजर बसर हो जाता है. एक दिन में कभी 200 रुपये मिल जाते हैं. तो कभी 20 से 30 रुपये में ही तसल्ली करनी पड़ती है.'
बच्ची को भी दे रही हूं तालीम
मासूम बच्ची को अपने साथ क्यो लाई है? इस सवाल के जवाब में सरिता कहती हैं, 'इसे अकेला कैसे छोड़ सकती हूं. यह साथ रहेगी, तो कुछ गीत संगीत सीख जाएगी. जो जीवन मे इसके काम आएगा.'
मास्क नहीं है...
सड़कों पर गीत संगीत गा अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली सरिता और उसकी बिना मास्क के ही दिखाई दी. हालांकि, सरिता ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बारे में उसे पूरी जानकारी है. वो आगे से मास्क लगाएगी. अभी फिलहाल कपड़े से मुंह ढकती है.
बहरहाल, सरिता जैसी न जाने कितनी महिलाएं आज सड़कों पर इस तरह गीत गाकर अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिखाई देती हैं. जरूरत है कि सरकार और प्रशासन इनके परिवार की आर्थिक स्थिति के अनुसार मदद करे. कोरोना से अगर ये संक्रमित होते हैं, जो न जाने कितने लोग संक्रमित होंगे. ये किसी से छिपा नहीं है.