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22 वर्ष पुराने हत्या के मामले में 4 आरोपियों को आजीवन कारावास

छपरा व्यवहार न्यायालय के एडीजे-11 ने 22 वर्ष पूर्व के हत्या के एक मामले में 4 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा और 25-25 हजार का अर्थदंड लगाया है.

व्यवहार न्यायालय
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Published : Apr 19, 2021, 8:47 PM IST

सारणः छपरा व्यवहार न्यायालय के एडीजे 11 सुमन कुमार दिवाकर ने 22 वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में आज सजा सुनायी. 22 साल पुराने हत्या के मामले में पानापुर के चकिया निवासी ब्रह्मा सिंह, सुनील कुंवर, अवधेश कुंवर, साहेब कुंवर को आजीवन कारावास की सजा सुनायी और 25-25 हजार अर्थ दंड भी लगाया. इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक राम नारायण प्रसाद एवं उनके सहायक सुशांत शेखर व सूचक की ओर से सतीश कुमार एवं बचाव पक्ष से राजू कुमार सिंह ने न्यायालय में अपना-अपना पक्ष रखा.

ये भी पढ़ें: लालू की रिहाई पर सैंड आर्टिस्ट अशोक ने बालू पर उकेरी राजद सुप्रीमो की कलाकृति

20 सितंबर 1996 को हुई थी घटना
अभियोजन पक्ष की ओर से चिकित्सक एवं अनुसंधानकर्ता समेत कुल नौ लोगों की गवाही न्यायालय में करवाई गयी. थाना कांड के सूचक पानापुर थाना के चकिया निवासी मनन सिंह ने अपने फर्द बयान में बताया कि 20 सितंबर 1996 को अपने परिवार वालों के साथ बच्चे के इलाज के लिये जा रहे थे.

जब वह गांव से ब्रह्मा स्थान के पास पहुंचे तो सभी अभियुक्त हाथ में बरछी, भाला, देसी बंदूक लिए उन्हें तथा उनके भाई को घेर लिए और गाली-गलौज व मारपीट करने लगे.

रास्ते में हुई थी मौत
इस दौरान अभियुक्त सुनील कुंवर और ब्रह्मा सिंह ने भाई चितरंजन सिंह उर्फ चिंतन की छाती एवं गर्दन पर बरछी से वार दिया जिससे वे गिर गए. सूचक बचाने गया तो उसको भी घायल कर दिए. शोर-शराबा सुनने के बाद गांव वाले पहुंचे तो दोनों को पिकअप पर लाद कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मशरख लाए.

वहां से उचित इलाज के लिये छपरा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. रास्ते में चितरंजन सिंह उर्फ चिंतन की मृत्यु हो गई. सुनवायी के दौरान अभियोजन एवं बचाव पक्ष के लोग कोर्ट में उपस्थित रहे. सजा सुनाये जाने के बाद अभियोजन पक्ष के लोगों ने न्यायालय में आस्था जताई. वहीं, बचाव पक्ष के लोगों ने पटना हाईकोर्ट में अपील की बात कही.

सारणः छपरा व्यवहार न्यायालय के एडीजे 11 सुमन कुमार दिवाकर ने 22 वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में आज सजा सुनायी. 22 साल पुराने हत्या के मामले में पानापुर के चकिया निवासी ब्रह्मा सिंह, सुनील कुंवर, अवधेश कुंवर, साहेब कुंवर को आजीवन कारावास की सजा सुनायी और 25-25 हजार अर्थ दंड भी लगाया. इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक राम नारायण प्रसाद एवं उनके सहायक सुशांत शेखर व सूचक की ओर से सतीश कुमार एवं बचाव पक्ष से राजू कुमार सिंह ने न्यायालय में अपना-अपना पक्ष रखा.

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20 सितंबर 1996 को हुई थी घटना
अभियोजन पक्ष की ओर से चिकित्सक एवं अनुसंधानकर्ता समेत कुल नौ लोगों की गवाही न्यायालय में करवाई गयी. थाना कांड के सूचक पानापुर थाना के चकिया निवासी मनन सिंह ने अपने फर्द बयान में बताया कि 20 सितंबर 1996 को अपने परिवार वालों के साथ बच्चे के इलाज के लिये जा रहे थे.

जब वह गांव से ब्रह्मा स्थान के पास पहुंचे तो सभी अभियुक्त हाथ में बरछी, भाला, देसी बंदूक लिए उन्हें तथा उनके भाई को घेर लिए और गाली-गलौज व मारपीट करने लगे.

रास्ते में हुई थी मौत
इस दौरान अभियुक्त सुनील कुंवर और ब्रह्मा सिंह ने भाई चितरंजन सिंह उर्फ चिंतन की छाती एवं गर्दन पर बरछी से वार दिया जिससे वे गिर गए. सूचक बचाने गया तो उसको भी घायल कर दिए. शोर-शराबा सुनने के बाद गांव वाले पहुंचे तो दोनों को पिकअप पर लाद कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मशरख लाए.

वहां से उचित इलाज के लिये छपरा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. रास्ते में चितरंजन सिंह उर्फ चिंतन की मृत्यु हो गई. सुनवायी के दौरान अभियोजन एवं बचाव पक्ष के लोग कोर्ट में उपस्थित रहे. सजा सुनाये जाने के बाद अभियोजन पक्ष के लोगों ने न्यायालय में आस्था जताई. वहीं, बचाव पक्ष के लोगों ने पटना हाईकोर्ट में अपील की बात कही.

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