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लॉकडाउन के दौरान घर से बेघर हुए ये बुजुर्ग, उम्र के इस पड़ाव पर भी जद्दोजहद जारी

बुजुर्गों ने कहा कि सब पता है हुजूर, जीने के लिए तो करना पड़ेगा. भूख मिटाने के लिए ही ये काम कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि लॉकडाउन की वजह से यहां फंस गए हैं.

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Published : Apr 28, 2020, 3:53 PM IST

समस्तीपुर: लॉकडाउन ने गरीब और मजदूरों की परेशानी काफी बढ़ा दी है. जिले के रोसड़ा में बेगूसराय के दो सगे भाई गली-मोहल्लों में घूम गुब्बारा बेच अपनी जिंदगी काट रहे हैं. लॉकडाउन लगने की वजह से दोनों बुजुर्ग भाई अपने घर बेगूसराय नहीं जा पा रहे हैं. उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी ये दोनों भाई एक दूजे के लिए हैं.

कोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम के लिए जहां पूरे देश में लॉकडाउन है. इस दौर में घर से बेघर हुए लोग भुखमरी की जिंदगी जीने को विवश हैं. फिर भी उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी जिंदगी की जंग जीतने के लिए इन दोनों भाईयों की जद्दोजहद मिसाल कायम कर रहा है.

गली-मोहल्ले में बेच रहे गुब्बारा
एक दूजे का सहारा लेकर ये बुजुर्ग गली-मोहल्ले में बलून बेचकर अपनी भूख मिटाने को विवश हैं. शहर के गली-मोहल्लों में लॉकडाउन के दौरान भी एक दूसरे का हाथ थामे गली-मोहल्ले में घूम-घूमकर बच्चों के बीच बलून बेचते नजर आ रहे हैं.

'भूख मिटाने के लिए कर रहे काम'
ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि सब पता है हुजूर, जीने के लिए तो करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भूख मिटाने के लिए ही काम कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि लॉकडाउन की वजह से यहां फंस गए हैं. मालूम हो कि ऐसे लोगों के लिए सरकार की ओर से सामुदायिक किचेन की व्यवस्था भी की गई है, लेकिन ये दोनों भाई इन सुविधाओं से वंचित हैं.

समस्तीपुर: लॉकडाउन ने गरीब और मजदूरों की परेशानी काफी बढ़ा दी है. जिले के रोसड़ा में बेगूसराय के दो सगे भाई गली-मोहल्लों में घूम गुब्बारा बेच अपनी जिंदगी काट रहे हैं. लॉकडाउन लगने की वजह से दोनों बुजुर्ग भाई अपने घर बेगूसराय नहीं जा पा रहे हैं. उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी ये दोनों भाई एक दूजे के लिए हैं.

कोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम के लिए जहां पूरे देश में लॉकडाउन है. इस दौर में घर से बेघर हुए लोग भुखमरी की जिंदगी जीने को विवश हैं. फिर भी उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी जिंदगी की जंग जीतने के लिए इन दोनों भाईयों की जद्दोजहद मिसाल कायम कर रहा है.

गली-मोहल्ले में बेच रहे गुब्बारा
एक दूजे का सहारा लेकर ये बुजुर्ग गली-मोहल्ले में बलून बेचकर अपनी भूख मिटाने को विवश हैं. शहर के गली-मोहल्लों में लॉकडाउन के दौरान भी एक दूसरे का हाथ थामे गली-मोहल्ले में घूम-घूमकर बच्चों के बीच बलून बेचते नजर आ रहे हैं.

'भूख मिटाने के लिए कर रहे काम'
ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि सब पता है हुजूर, जीने के लिए तो करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भूख मिटाने के लिए ही काम कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि लॉकडाउन की वजह से यहां फंस गए हैं. मालूम हो कि ऐसे लोगों के लिए सरकार की ओर से सामुदायिक किचेन की व्यवस्था भी की गई है, लेकिन ये दोनों भाई इन सुविधाओं से वंचित हैं.

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