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Rajendra Agricultural University: महिलाओं के स्व-रोजगार में मशरूम ने किया कमाल, कृषि विश्वविद्यालय ने महिलाओं को दी ट्रेनिंग - राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय

समस्तीपुर के राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा (Rajendra Prasad Central Agricultural University) में मशरूम के उत्पादन के जरिए जिले की महिलाओं को स्व-रोजगार का बड़ा अवसर दिया है. कृषि विश्वविद्यालय इसमे खास भूमिका निभा रहा है. वंही अब यह युवा एंटरप्रेन्योर भी मशरूम की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 24, 2023, 2:00 PM IST

राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा

समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में आधी आबादी को स्व-रोजगार का बेहतर जरिया देने के क्षेत्र राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा विभिन्न योजनाओं को चला रहा है. मकसद है सभी जिलों की महिलाएं इस मशरूम उत्पादन के जरिए खुद अपना एक मुकाम बना सके. इस संस्थान में मशरूम विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर और वैज्ञानिक डॉ. दयाराम की माने तो यह कृषि यूनिवर्सिटी विभिन्न ट्रेनिंग कार्यक्रम के जरिए महिलाओं को मशरूम उत्पादन के अलावा इससे बनने वाले अन्य प्रोडक्ट की ट्रेनिंग दे रहा है.

पढ़ें-Samastipur News : बिहार में एवोकैडो की खेती की संभावना तलाशेगा पूसा केंद्रीय विवि, होगा अनुसंधान

मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं ने बनाई पहचान: इस क्षेत्र में महिलाएं बेहतर कर सके इसको लेकर अन्य कई तरह की मदद भी उन्हे दी जा रही. बहरहाल इसका असर भी दिख रहा है. सिर्फ समस्तीपुर ही नहीं बिहार के कई हिस्सों में महिलायें मशरुम उत्पादन के क्षेत्र में अपना अलग स्थान बना रही हैं. खास यह है कि वर्तमान में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में आधी आबादी का रुझान बढ़ा है. वहीं अब मशरूम के परंपरागत उत्पादन के साथ वे इसका आचार, पनीर , समौसा, बिस्किट आदि बनाकर अलग करोबार कर रही हैं.

"मशरुम की जो खेती है उसके लिए कृषि भूमि की जरूरत नहीं होती है. कम लागात में आप मशरूम की खेती कर सकते हैं. हमरा हमरा महिला प्रधान समाज है. यहां महिलाओं को मशरूम उत्पादन से स्व रोजगार के लिए ट्रेनिंग दी जाती है." - डॉ. दयाराम, वैज्ञानिक व प्रोजेक्ट मैनेजर, मशरूम विभाग

सरकार दे रही है अनुदान: वहीं अब यह युवा एंटरप्रेन्योर को भी आकर्षित कर रहा है. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय से मशरूम उत्पादन की ट्रेनिग प्राप्त युवाओं की माने तो वे अपने-अपने जिले मे बड़े स्तर पर इसके उत्पादन को लेकर काम कर रहे हैं. गौरतलब हो कि सूबे में मशरूम उत्पादन स्व-रोजगार का सशक्त जरिया बने इसको लेकर राज्य सरकार भी इस क्षेत्र में अनुदान दे रही. वैसे जिले में बीते कुछ वर्षों के अंदर चाहे महिलाएं हो या फिर युवा, मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में काफी तेजी से जुड़ रहे हैं.

"अभी मैनें मशरुम उत्पादन के क्षेत्र में ट्रेनिंग ली है, मैं वर्तमान बाजार को समझते हुए मशरुम को एक अलग मुकाम पर ले जाना चाहता हूं 20 से 27 सितंबर तक मैंने यहां ट्रेनिंग ली है. साथ ही खाद बनाना भी सिखाया गया है."-मशरूम उत्पादक

राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा

समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में आधी आबादी को स्व-रोजगार का बेहतर जरिया देने के क्षेत्र राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा विभिन्न योजनाओं को चला रहा है. मकसद है सभी जिलों की महिलाएं इस मशरूम उत्पादन के जरिए खुद अपना एक मुकाम बना सके. इस संस्थान में मशरूम विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर और वैज्ञानिक डॉ. दयाराम की माने तो यह कृषि यूनिवर्सिटी विभिन्न ट्रेनिंग कार्यक्रम के जरिए महिलाओं को मशरूम उत्पादन के अलावा इससे बनने वाले अन्य प्रोडक्ट की ट्रेनिंग दे रहा है.

पढ़ें-Samastipur News : बिहार में एवोकैडो की खेती की संभावना तलाशेगा पूसा केंद्रीय विवि, होगा अनुसंधान

मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं ने बनाई पहचान: इस क्षेत्र में महिलाएं बेहतर कर सके इसको लेकर अन्य कई तरह की मदद भी उन्हे दी जा रही. बहरहाल इसका असर भी दिख रहा है. सिर्फ समस्तीपुर ही नहीं बिहार के कई हिस्सों में महिलायें मशरुम उत्पादन के क्षेत्र में अपना अलग स्थान बना रही हैं. खास यह है कि वर्तमान में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में आधी आबादी का रुझान बढ़ा है. वहीं अब मशरूम के परंपरागत उत्पादन के साथ वे इसका आचार, पनीर , समौसा, बिस्किट आदि बनाकर अलग करोबार कर रही हैं.

"मशरुम की जो खेती है उसके लिए कृषि भूमि की जरूरत नहीं होती है. कम लागात में आप मशरूम की खेती कर सकते हैं. हमरा हमरा महिला प्रधान समाज है. यहां महिलाओं को मशरूम उत्पादन से स्व रोजगार के लिए ट्रेनिंग दी जाती है." - डॉ. दयाराम, वैज्ञानिक व प्रोजेक्ट मैनेजर, मशरूम विभाग

सरकार दे रही है अनुदान: वहीं अब यह युवा एंटरप्रेन्योर को भी आकर्षित कर रहा है. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय से मशरूम उत्पादन की ट्रेनिग प्राप्त युवाओं की माने तो वे अपने-अपने जिले मे बड़े स्तर पर इसके उत्पादन को लेकर काम कर रहे हैं. गौरतलब हो कि सूबे में मशरूम उत्पादन स्व-रोजगार का सशक्त जरिया बने इसको लेकर राज्य सरकार भी इस क्षेत्र में अनुदान दे रही. वैसे जिले में बीते कुछ वर्षों के अंदर चाहे महिलाएं हो या फिर युवा, मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में काफी तेजी से जुड़ रहे हैं.

"अभी मैनें मशरुम उत्पादन के क्षेत्र में ट्रेनिंग ली है, मैं वर्तमान बाजार को समझते हुए मशरुम को एक अलग मुकाम पर ले जाना चाहता हूं 20 से 27 सितंबर तक मैंने यहां ट्रेनिंग ली है. साथ ही खाद बनाना भी सिखाया गया है."-मशरूम उत्पादक

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