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अब बच्चों को उनके घर में जाकर पढ़ाएंगे टोला शिक्षक, निरक्षर महिलाओं को भी करेंगे साक्षर - Bihar education campaign

जिले में टोला शिक्षक अब बच्चों को उनके घर जाकर पढ़ाएंगे. इसको लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि संक्रमण को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

Samastipur
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Published : Sep 16, 2020, 11:09 PM IST

समस्तीपुर: कोरोना संकट के कारण स्कूल से दूर बच्चों को अब उनके घर पर ही पढ़ाया जाएगा. जिला शिक्षा विभाग ने बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी टोला शिक्षकों को दी है. ये शिक्षक बच्चों के साथ निरक्षर महिलाओं को भी साक्षर करने का काम करेंगे.

6 से 14 साल के बच्चों को पढ़ाया जाएगा

इसको लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि संक्रमण को लेकर बच्चे स्कूल से दूर है इस वजह से पूरा शिक्षक 6 से लेकर 14 साल के बच्चों को उनके क्षेत्र में जाकर पढ़ाएंगे. ने बताया कि टोला शिक्षक बच्चों को ऊंची आवाज में पहाड़ा, रोचक कहानियां के साथ-साथ कविताओं का अभ्यास कराएंगे.

निरक्षर महिलाओं को भी किया जाएगा साक्षर

जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बच्चों को पढ़ाने के दौरान टोला शिक्षक इलाके के निरीक्षण महिलाओं को भी साक्षर करेंगे. कौन बताया कि 15 से 45 वर्ष की महिलाओं को नाम और अपना पता लिखने का अभ्यास किया जाएगा.

गौरतलब है की सूबे के कई जिलों में ‘कोई बच्चा पीछे नहीं, माता भी पीछे नहीं’ कार्यक्रम काफी सफल हुआ है. इसी के तहत कोरोना संकट और लागू लॉक डाउन के दौरान- बच्चे और महिलाओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी टोला शिक्षकों को दिया गया है.

समस्तीपुर: कोरोना संकट के कारण स्कूल से दूर बच्चों को अब उनके घर पर ही पढ़ाया जाएगा. जिला शिक्षा विभाग ने बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी टोला शिक्षकों को दी है. ये शिक्षक बच्चों के साथ निरक्षर महिलाओं को भी साक्षर करने का काम करेंगे.

6 से 14 साल के बच्चों को पढ़ाया जाएगा

इसको लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि संक्रमण को लेकर बच्चे स्कूल से दूर है इस वजह से पूरा शिक्षक 6 से लेकर 14 साल के बच्चों को उनके क्षेत्र में जाकर पढ़ाएंगे. ने बताया कि टोला शिक्षक बच्चों को ऊंची आवाज में पहाड़ा, रोचक कहानियां के साथ-साथ कविताओं का अभ्यास कराएंगे.

निरक्षर महिलाओं को भी किया जाएगा साक्षर

जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बच्चों को पढ़ाने के दौरान टोला शिक्षक इलाके के निरीक्षण महिलाओं को भी साक्षर करेंगे. कौन बताया कि 15 से 45 वर्ष की महिलाओं को नाम और अपना पता लिखने का अभ्यास किया जाएगा.

गौरतलब है की सूबे के कई जिलों में ‘कोई बच्चा पीछे नहीं, माता भी पीछे नहीं’ कार्यक्रम काफी सफल हुआ है. इसी के तहत कोरोना संकट और लागू लॉक डाउन के दौरान- बच्चे और महिलाओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी टोला शिक्षकों को दिया गया है.

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