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सरकारी स्कूलों में आज तक नहीं शुरू हो पाया 'शाला सिद्धि योजना' - समस्तीपुर समाचार

इस योजना का मकसद स्कूलों में सत्र के दौरान विद्यार्थियों को भयमुक्त वातावरण में सीखने के अवसर और स्कूलों को इस तरह से तैयार करना है कि विद्यार्थी अपनी आयु के अनुरूप आसानी से ज्ञान को अर्जित कर सकें है

शाला सिद्धि योजना
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Published : Aug 20, 2019, 10:26 PM IST

समस्तीपुर: सूबे के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूलों के मूल्यांकन और विकास के लिए शाला सिद्धि योजना शुरू हुई थी. इस योजना के तहत राज्य स्तर पर सभी जिलों के सरकारी स्कूलों को अपने स्कूल का मूल्यांकन करते हुए रिपोर्ट देनी थी. योजना को आरंभ हुए लगभग 3 साल बीत गए, लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में यह आज तक लागू नहीं हो पाया.

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे

'बेहतर स्कूल तैयार करने का है मकसद'
इस योजना का मकसद स्कूलों में सत्र के दौरान विद्यार्थियों को भयमुक्त वातावरण में सीखने के अवसर और स्कूलों को इस तरह से तैयार करना है कि विद्यार्थी अपनी आयु के अनुरूप आसानी से ज्ञान को अर्जित कर सकें.

सरकारी स्कूलों में आज तक नहीं शुरू हो पाया' शाला सिद्धि योजना'

जल्द ही लागू होगा योजना-डीईओ
वहीं, इस मामले पर डीईओ का कहना है कि इस योजना का मुख्य मकसद वर्तमान शिक्षा व्यवस्था से शिक्षक व छात्र को जोड़ने की है , जल्द इसको लेकर विभाग संज्ञान लेगा.वहीं , जिले के हेडमास्टरों का मानना है कि यह काफी बेहतर योजना है इस योजना से सरकारी विद्यालय निजी स्कूलों के समानांतर आ सकता है. यह योजना शिक्षकों के सकारात्मक सोच के जरिये लागू हो सकता. लेकिन इस योजना के राह में अभी बहुत बाधाए हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है.

सरकारी स्कूल उजियारपुर
सरकारी स्कूल उजियारपुर

क्या है 'शाला सिद्धि योजना'
योजना के तहत सरकारी विद्यालयों को निजी विद्यालयों की तरह किया जाना है. इसके तहत उच्च शैक्षणिक गुणवत्ता, बेहतर पर्यावरण, स्वच्छ कक्षा, पेयजल, शौचालय के साथ शिक्षकों का बेहतर इंतजाम करना है. कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य स्कूलों के क्रियाकलापों में सकारात्मक बदलाव लाना है.

सरकारी स्कूल उजियारपुर की छात्राएं
सरकारी स्कूल उजियारपुर की छात्राएं

समस्तीपुर: सूबे के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूलों के मूल्यांकन और विकास के लिए शाला सिद्धि योजना शुरू हुई थी. इस योजना के तहत राज्य स्तर पर सभी जिलों के सरकारी स्कूलों को अपने स्कूल का मूल्यांकन करते हुए रिपोर्ट देनी थी. योजना को आरंभ हुए लगभग 3 साल बीत गए, लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में यह आज तक लागू नहीं हो पाया.

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे

'बेहतर स्कूल तैयार करने का है मकसद'
इस योजना का मकसद स्कूलों में सत्र के दौरान विद्यार्थियों को भयमुक्त वातावरण में सीखने के अवसर और स्कूलों को इस तरह से तैयार करना है कि विद्यार्थी अपनी आयु के अनुरूप आसानी से ज्ञान को अर्जित कर सकें.

सरकारी स्कूलों में आज तक नहीं शुरू हो पाया' शाला सिद्धि योजना'

जल्द ही लागू होगा योजना-डीईओ
वहीं, इस मामले पर डीईओ का कहना है कि इस योजना का मुख्य मकसद वर्तमान शिक्षा व्यवस्था से शिक्षक व छात्र को जोड़ने की है , जल्द इसको लेकर विभाग संज्ञान लेगा.वहीं , जिले के हेडमास्टरों का मानना है कि यह काफी बेहतर योजना है इस योजना से सरकारी विद्यालय निजी स्कूलों के समानांतर आ सकता है. यह योजना शिक्षकों के सकारात्मक सोच के जरिये लागू हो सकता. लेकिन इस योजना के राह में अभी बहुत बाधाए हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है.

सरकारी स्कूल उजियारपुर
सरकारी स्कूल उजियारपुर

क्या है 'शाला सिद्धि योजना'
योजना के तहत सरकारी विद्यालयों को निजी विद्यालयों की तरह किया जाना है. इसके तहत उच्च शैक्षणिक गुणवत्ता, बेहतर पर्यावरण, स्वच्छ कक्षा, पेयजल, शौचालय के साथ शिक्षकों का बेहतर इंतजाम करना है. कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य स्कूलों के क्रियाकलापों में सकारात्मक बदलाव लाना है.

सरकारी स्कूल उजियारपुर की छात्राएं
सरकारी स्कूल उजियारपुर की छात्राएं
Intro:छात्र नही शिक्षकों के भी शैक्षणिक सुधार एव स्कूलों में बेहतर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मद्देनजर शुरू , शाला सिद्धि योजना । लेकिन इसका दुर्भाग्य देखिए , वर्षो से इस योजना को जिले के सरकारी विद्यालयों में लागू करने का , नही बन सका सिद्ध योग ।


Body:विद्यालयों में बच्चों को कैसे पढ़ाया जाये , कक्षा में कमजोर बच्चों का कैसे बेहतर विकास हो , साथ ही शिक्षक को वर्तमान शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने के मकसद से शुरू हुआ था , शाला सिद्धि योजना। इस योजना के तहत जिले के मध्य व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में इसे लागू करने को लेकर जारी निर्देश पर कोई अमल नही । यही नही इस योजना के तहत स्कूलों के बाहरी अन्य गतिविधियों को लेकर भी मूल्यांकन रिपोर्ट बनाना था , जैसे की , स्कूल का बिल्डिंग , क्लास रूम का हाल , पेयजल , शौचालय आदि । लेकिन वर्षो बीत गए , शिक्षा विभाग व जिला शिक्षा विभाग के हुड़की का यंहा कोई असर होता नही दिख रहा । वैसे इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा की , इस योजना का मकसद वर्तमान शिक्षा व्यवस्था से शिक्षक व छात्र को जोड़ने की है , जल्द इसको लेकर विभाग संज्ञान लेगा । वंही स्कूलों के एचएम का मानना है की , यह बेहतर योजना है , जो शिक्षकों के सकारात्मक सोच के जरिये ही लागू हो सकता । लेकिन कुछ बाधा इसके राह में है , उसे दूर करने की जरूरत है ।

बाईट - वीरेंद्र नारायण , डीईओ , समस्तीपुर ।

बाईट - विनय कुमार चौधरी , एच एम , मिडिल स्कूल ।



Conclusion:गौरतलब है की , इस योजना का मकसद , सरकारी विद्यालयों को नीजि स्कूलों के समानांतर लाने की है । जंहा बेहतर शैक्षणिक गुणवत्ता के साथ साथ स्कूलों का बेहतर माहौल भी हो । जंहा सिर्फ छात्र ही नही शिक्षक भी अच्छा प्रदर्शन करे ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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