समस्तीपुर: भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक सामा चकेवा जिला समेत रोसड़ा में भी बड़े उत्साह के साथ भाई की सुरक्षा के लिए मनाया जा रहा है. मिथिलांचल अपनी परंपरा के साथ लोक संस्कृति और त्योहार के लिए प्रसिद्ध है.
मूर्तियां बनाकर होती है पूजा
छठ पर्व समाप्त होने के साथ ही सामा चकेवा पर्व की शुरुआत हो चुकी है. सामा चकेवा त्योहार में महिलाएं 7 दिनों तक सामा चकेवा, चुगला और दूसरी मूर्तियां बनाकर उन्हें पूजती हैं. मिथिलांचल में भाइयों के कल्याण के लिए बहनें यह पर्व मनाती हैं. बता दें इसकी चर्चा पुराणों में भी है.
भाइयों के लिए मंगल कामना
सामा चकेवा की समाप्ति कार्तिक मास के पूर्णिमा के दिन होती है. इस पर्व के दौरान बहनें सामा चकेवा, चुगला, सतभैया को डलिया में सजाकर पारंपरिक लोकगीत के जरिए भाइयों के लिए मंगल कामना करती हैं. शाम होते ही क्षेत्र में सामा चकेवा के लोकगीतों से गुंजायमान हो रहा है.
भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक
पूर्णिमा के अवसर पर आज भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक सामा चकेवा के मूर्ति का विसर्जन होगा. सूर्योपासना का महापर्व छठ समाप्ति के बाद पूर्णिमा तक खेले जाने वाला सामा चकेवा की विधि-विधान के साथ पूजा के बाद रविवार को सामा चकेवा की विदाई कर नदियों में प्रवाहित किया जाएगा.