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समस्तीपुर में 65 वर्षों का टूटा रिकॉर्ड, जितवारपुर मैदान में नहीं जलेगा रावण

समस्तीपुर में इस बार जितवारपुर मैदान में रावण दहन कार्यक्रम नहीं होगा. कोरोना वायरस की वजह से इस वर्ष करीब 65 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया है.

samastipur
जितवारपुर मैदान
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Published : Oct 25, 2020, 4:06 PM IST

समस्तीपुर: विजयादशमी को रावण वध का आयोजन जिले में काफी खास होता रहा है. लेकिन कोरोना संक्रमण और बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रभावी आचार संहिता को देखते हुए इस वर्ष करीब 65 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया है.

लाखों लोग पहुंचते थे देखने
करीब पचास से साठ फीट ऊंचे रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण का पुतला दहन को देखने के लिए जिले के लगभग सभी हिस्सों से लाखों लोग जितवारपुर मैदान पंहुचते थे. लेकिन इस बार जितवारपुर मैदान में रावण नहीं जलेगा.

मंदिर में बनाया जा रहा पुतला
इस वर्ष दशहरा कमिटी रावण वध कार्यक्रम के वर्षों पुराने परंपरा को आगे बढाते हुए महज दस फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन शहर के पंजाबी कॉलनी स्थित लक्ष्मी नारायण ठाकुरबाड़ी के करीब करेगा. वैसे इसको लेकर मंदिर के ही प्रांगण में रावण वध को लेकर पुतले बनाये जा रहे हैं.

कभी नहीं रद्द हुआ आयोजन
बीते करीब चालीस वर्षों से रावण दहन को लेकर पुतला बनाने वाले कारीगर का कहना है कि इसके पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि रावण दहन का आयोजन रद्द हुआ हो. बता दें वर्षों से रावण दहन का आयोजन खासतौर पर पंजाबी समुदाय की तरफ से किया जाता है.

शुरुआती समय में शहर के पटेल मैदान में इसका आयोजन होता था. लेकिन बढ़ती भीड़ को देखते हुए करीब चालीस वर्षों से यह कार्यक्रम जितवारपुर के बड़े मैदान में होता है.

समस्तीपुर: विजयादशमी को रावण वध का आयोजन जिले में काफी खास होता रहा है. लेकिन कोरोना संक्रमण और बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रभावी आचार संहिता को देखते हुए इस वर्ष करीब 65 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया है.

लाखों लोग पहुंचते थे देखने
करीब पचास से साठ फीट ऊंचे रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण का पुतला दहन को देखने के लिए जिले के लगभग सभी हिस्सों से लाखों लोग जितवारपुर मैदान पंहुचते थे. लेकिन इस बार जितवारपुर मैदान में रावण नहीं जलेगा.

मंदिर में बनाया जा रहा पुतला
इस वर्ष दशहरा कमिटी रावण वध कार्यक्रम के वर्षों पुराने परंपरा को आगे बढाते हुए महज दस फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन शहर के पंजाबी कॉलनी स्थित लक्ष्मी नारायण ठाकुरबाड़ी के करीब करेगा. वैसे इसको लेकर मंदिर के ही प्रांगण में रावण वध को लेकर पुतले बनाये जा रहे हैं.

कभी नहीं रद्द हुआ आयोजन
बीते करीब चालीस वर्षों से रावण दहन को लेकर पुतला बनाने वाले कारीगर का कहना है कि इसके पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि रावण दहन का आयोजन रद्द हुआ हो. बता दें वर्षों से रावण दहन का आयोजन खासतौर पर पंजाबी समुदाय की तरफ से किया जाता है.

शुरुआती समय में शहर के पटेल मैदान में इसका आयोजन होता था. लेकिन बढ़ती भीड़ को देखते हुए करीब चालीस वर्षों से यह कार्यक्रम जितवारपुर के बड़े मैदान में होता है.

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