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समस्तीपुर में प्रकृति और प्रशासनिक बेरुखी की भेंट चढ़ी रबी की फसल, किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी

समस्तीपुर में प्रकृति की बेरुखी और प्रशासन की अनदेखी की वजह से रबी की फसल लक्ष्य से काफी कम हुई है. किसानों की मेहनत व उम्मीदों पर पानी फिर गया है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

समस्तीपुर में रबी फसल
समस्तीपुर में रबी फसल
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Published : Jan 10, 2022, 9:20 AM IST

समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर में रबी फसल (Rabi Crop in Samastipur) को लेकर किसानों की मेहनत व उम्मीद प्रकृति और प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गई है. दरअसल, जलजमाव और अन्य कई वजहों से जिले में अब तक रबी की खेती लक्ष्य से काफी कम हुई है.

ये भी पढ़ें- बारिश में डूबी किसानों की 'किस्मत', खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद

जिले में रबी फसल आच्छादन को लेकर कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में करीब 118834.63 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है. वहीं, वर्तमान महीने के शुरुआती दिनों तक यहां महज 94,399 हेक्टेयर में ही रबी की खेती हुई है. लक्ष्य से पीछे रहने की वजहों पर गौर करें तो, इसमें प्रकृति की जहां बेरुखी है, वहीं प्रशासन भी कम दोषी नहीं है.

दरअसल, बीते कई महीनों से जिले के कई हिस्सों में उपजाऊ जमीन का बड़ा हिस्सा जलजमाव से प्रभावित है. बहुत से किसानों ने काफी मुश्किल से अपने खेतों को खेती लायक जरूर बनाया है, लेकिन अभी हजारों हेक्टेयर जमीन में कई महीनों से पानी जमा है. जल निकासी को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर नहीं होने की वजहों से बेबस किसानों ने रबी की खेती ही नहीं की.

ये भी पढ़ें- बक्सर में खाद के लिए हाहाकार, यूरिया के लिए UP का चक्कर लगा रहे किसान

गौरतलब है कि जिले में बीते साल भारी बारिश और बाढ़ की वजह से खरीफ फसल का हाल भी बेहाल रहा है. विभागीय आंकलन के अनुसार यहां इस साल 61.13 फीसदी खरीफ फसल की क्षति हुई है. वहीं, मौसम व विभागीय उदासीनता का असर अब अन्नदाताओं के रबी की खेती पर भी साफ दिख रहा है.

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समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर में रबी फसल (Rabi Crop in Samastipur) को लेकर किसानों की मेहनत व उम्मीद प्रकृति और प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गई है. दरअसल, जलजमाव और अन्य कई वजहों से जिले में अब तक रबी की खेती लक्ष्य से काफी कम हुई है.

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जिले में रबी फसल आच्छादन को लेकर कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में करीब 118834.63 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है. वहीं, वर्तमान महीने के शुरुआती दिनों तक यहां महज 94,399 हेक्टेयर में ही रबी की खेती हुई है. लक्ष्य से पीछे रहने की वजहों पर गौर करें तो, इसमें प्रकृति की जहां बेरुखी है, वहीं प्रशासन भी कम दोषी नहीं है.

दरअसल, बीते कई महीनों से जिले के कई हिस्सों में उपजाऊ जमीन का बड़ा हिस्सा जलजमाव से प्रभावित है. बहुत से किसानों ने काफी मुश्किल से अपने खेतों को खेती लायक जरूर बनाया है, लेकिन अभी हजारों हेक्टेयर जमीन में कई महीनों से पानी जमा है. जल निकासी को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर नहीं होने की वजहों से बेबस किसानों ने रबी की खेती ही नहीं की.

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गौरतलब है कि जिले में बीते साल भारी बारिश और बाढ़ की वजह से खरीफ फसल का हाल भी बेहाल रहा है. विभागीय आंकलन के अनुसार यहां इस साल 61.13 फीसदी खरीफ फसल की क्षति हुई है. वहीं, मौसम व विभागीय उदासीनता का असर अब अन्नदाताओं के रबी की खेती पर भी साफ दिख रहा है.

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