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समस्तीपुर: कुम्हारों के खिले चेहरे, चाइनीज सामानों के बंद होने से भेजे गए 30 लाख दीये - samastipur

जिले के उजियारपुर प्रखंड के बिदुलिया पंचायत में कुम्हार अपने पूर्वजों की तरह मिट्टी के दीये और अन्य सामान बनाते हैं. इस बार 25 से 30 लाख दीये बनाकर बाजार भेजने की तैयारी है. चाइनीज सामान बंद होने से दीयों की बिक्री बढ़ गई है.

समस्तीपुर में कुम्हारों के खिले चेहरे
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Published : Oct 26, 2019, 3:24 PM IST

समस्तीपुर: दीपावली का पर्व नजदीक आ गया है. कुम्हार इस अवसर पर जलने वाले मिट्टी के दीये को अंतिम रूप देने में लगे हैं. बाजार में आकर्षक और रंग-बिरंगे रेडीमेड दीये उपलब्ध हैं, लेकिन मिट्टी के दिये जलाने का अलग महत्व है.

पूर्वजों की तरह बनाते हैं मिट्टी के दीये
जिले के उजियारपुर प्रखंड के बिदुलिया पंचायत में कुम्हारों की घनी आबादी है. वे लोग अपने पूर्वजों की तरह मिट्टी के दीये और अन्य सामान बनाते हैं. आज के समय में मिट्टी के दीये का प्रचलन कम होने लगा है. इसकी जगह लोग बिजली से चलने वाली एलईडी और लेजर लाइट का प्रयोग करने लगे हैं. इसके बावजूद लोग अपनी पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए दीयों की खरीदारी करते हैं.

samastipur
दीये बनाते कुम्हार

चाइनीज सामान बंद होने से दीयों की बिक्री बढ़ी
बिदुलिया पंचायत के कुम्हार ने बताया कि दीयों की पकाई का काम शुरू हो चुका है. इस बार 25 से 30 लाख दीये बनाकर बाजार भेजने की तैयारी है. चाइनीज सामान बंद होने से दीयों की बिक्री बढ़ गई है. जिससे यहां के सभी परिवार दीये बनाने में लगे हैं.

समस्तीपुर में कुम्हारों के खिले चेहरे

पवित्र और शुभ माने जाते हैं मिट्टी के दीये
ज्योतिष बिपिन बाबा ने बताया कि के शास्त्रों में मिट्टी के दीये का प्रयोग पवित्र और शुभ माना गया है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे लाभदायक बताया गया है. मिट्टी के दीये जलाने से दैविक और दैहिक खुशहाली बनी रहती है.

समस्तीपुर: दीपावली का पर्व नजदीक आ गया है. कुम्हार इस अवसर पर जलने वाले मिट्टी के दीये को अंतिम रूप देने में लगे हैं. बाजार में आकर्षक और रंग-बिरंगे रेडीमेड दीये उपलब्ध हैं, लेकिन मिट्टी के दिये जलाने का अलग महत्व है.

पूर्वजों की तरह बनाते हैं मिट्टी के दीये
जिले के उजियारपुर प्रखंड के बिदुलिया पंचायत में कुम्हारों की घनी आबादी है. वे लोग अपने पूर्वजों की तरह मिट्टी के दीये और अन्य सामान बनाते हैं. आज के समय में मिट्टी के दीये का प्रचलन कम होने लगा है. इसकी जगह लोग बिजली से चलने वाली एलईडी और लेजर लाइट का प्रयोग करने लगे हैं. इसके बावजूद लोग अपनी पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए दीयों की खरीदारी करते हैं.

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दीये बनाते कुम्हार

चाइनीज सामान बंद होने से दीयों की बिक्री बढ़ी
बिदुलिया पंचायत के कुम्हार ने बताया कि दीयों की पकाई का काम शुरू हो चुका है. इस बार 25 से 30 लाख दीये बनाकर बाजार भेजने की तैयारी है. चाइनीज सामान बंद होने से दीयों की बिक्री बढ़ गई है. जिससे यहां के सभी परिवार दीये बनाने में लगे हैं.

समस्तीपुर में कुम्हारों के खिले चेहरे

पवित्र और शुभ माने जाते हैं मिट्टी के दीये
ज्योतिष बिपिन बाबा ने बताया कि के शास्त्रों में मिट्टी के दीये का प्रयोग पवित्र और शुभ माना गया है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे लाभदायक बताया गया है. मिट्टी के दीये जलाने से दैविक और दैहिक खुशहाली बनी रहती है.

Intro:दीपावली एक्सक्लूसिव
समस्तीपुर दीपावली का पर्व नजदीक आ गया है ।लोग अपने घर आंगन के सफाई में लग चुके हैं। वहीं दीपावली के अवसर पर जलने वाले मिट्टी के दिए कुम्हार अंतिम रूप देने में लगे हैं। आधुनिकता के दौर में भले ही आकर्षक और रंग-बिरंगे रेडीमेड दिए बाजार में उपलब्ध हैं। परंतु मिट्टी के दिया जलाने का एक अलग ही महत्व है। इसलिए प्राकृतिक महक से चारों तरफ खुशबू बिखर जाती है बिखर जाती है।


Body:परंतु आज इसका प्रचलन कम होने लगा है ।इसकी वजह लोग बिजली से चलने वाली एलईडी तथा लेजर लाइट का प्रयोग करने लगे हैं। दीप जलाने का प्रचलन कम होने लगा है इन सबों के बावजूद वैसे लोग कम नहीं हैं जो अपनी पुरानी पद्धति को बरकरार रखने के लिए कटिबद्ध है। इन्हीं लोगों के बल पर कुम्हारों की रोजी रोटी जीविका निर्भर रहती है। कुम्हार मिट्टी के दीए का निर्माण करके सुखाकर पकाई करना शुरू कर चुके हैं। काफी मेहनत और हस्त कौशल से सपरिवार दिए बनाने में लगे हैं।उजियारपुर प्रखंड के बिदुलिया पंचायत में कुम्हार जाति की घनी आबादी अपने पूर्वजों की भांति आज भी मिट्टी के घड़े और दिए सहित अन्य सामान बनाने की कला जानते हैं ।दीपावली को लेकर यहां के लोग इस बार 25 से 30 लाख दिए बनाकर बाजार भेजने की तैयारी में हैं ।चाइनीज समान बंद होने से इनके चेहरे पर रौनक देखी जा रही है ।कुम्हारजाति के लोगों का बताना है सरकार ने कश्मीर मुद्दे को लेकर जो चाइनीस समान को बंद किया है उसको लेकर दिए की बिक्री बढ़ गई है ।जिसको लेकर सभी परिवार दीए बनाने में लगे रहते हैं और इस बार सबसे अधिक दिए बनाया जा रहा है ।


Conclusion:वही शास्त्र में भी दिए का महत्व बताया गया है ।ज्योतिष के अनुसार मिट्टी के दीए प्रयोग को शास्त्र विधान के अनुसार उचित बताते हुए ज्योतिषाचार्य का बताना है कि मिट्टी के दीए पवित्र और शुभ होते हैं। इनमें जलने वाले घी या तेल दोनों वातावरण को शुद्ध करने में सहायता करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मिट्टी में कई स्वास्थ्य के लिए लाभदायक तत्वों का समावेश बताया गया है। अगर मिट्टी के दिए जलाते हैं तो दैविक और दैहिक दोनों चीजों में खुशहाली बनी रहती है ।और लक्ष्मी घर में प्रवेश करती है। दीपावली के दिन अपने घरों में मिट्टी के बने दिए को जरूर जलाना चाहिए ताकि घर में लक्ष्मी का वास हो।
बाईट कुशेश्वर पंडित
बाईट: चंदन कुमार
बाईट: बिपिन बाबा ज्योतिष
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