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समस्तीपुर: प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भुना रहा विपक्ष, बैकफुट पर सत्तापक्ष

बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष प्रवासी मजदूरों का मुद्दा अपने लिए ब्रह्मास्त्र की तरह उपयोग कर रहा है. कोरोना संकट में बड़ी मुश्किल से अपने घर लौटे प्रवासियों को रोजगार देने वाले वादे का खामियाजा सत्तापक्ष को उठाना पड़ सकता है.

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Published : Oct 5, 2020, 12:22 PM IST

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प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भुना रहा विपक्ष

समस्तीपुर: बिहार विधानसभा चुनाव में जिले के दस सीटों पर जंग जारी है. एक दूसरे को कैसे पटकनी दी जाए और कैसे सत्ता के शीर्ष तक पंहुचा जाए इसको लेकर पक्ष हो या फिर विपक्ष एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. कुछ इसी सियासी सरगर्मी के बीच जिले के सियासत में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा गर्माने लगा है.

कोरोना काल में आए थे लाखों मजदूर
दरअसल कोरोना संकट के बीच जिले के लाखों मजदूर जान हथेली पर लेकर बड़ी मुश्किल से अपने घर पंहुचे थे. वैसे सरकार ने उन्हें घर पर रोजगार देने का वादा जरूर किया, लेकिन धरातल पर वह असरदार नहीं हुआ. बहरहाल धीरे-धीरे इन मजदूरों का पलायन फिर शुरू हो गया है, लेकिन विरोधियों को यह सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा देता गया. विपक्ष इस मामले पर जहां सरकार को घेर रहा है. वहीं जिले में इससे प्रभावित लोगों का सहानुभूति लेने में भी जुट गया है.

देखें रिपोर्ट.
मजदूरों का मुद्दा विरोधियों को दे सकता है संजीविनी वैसे वर्तमान चुनाव के दौरान प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर जिले में विरोधियों के बढ़ते शोर को देखते हुए सत्तापक्ष भी अपने तरकस से इसका तोड़ ढूंढने में लगा है. वैसे महीनों बाद खाली हाथ अपने घर को छोड़ते इन प्रवासी मजदूरों के मसले पर जदयू अजब गजब सफाई दे रहा है. बहरहाल वर्तमान कोरोना संकट के बीच लोकतंत्र के इस महापर्व में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा विरोधियों को संजीविनी दे सकता है. वैसे इस मामले पर सत्ताधारी दल पूरी तरह बैकफुट पर दिख रहा.

समस्तीपुर: बिहार विधानसभा चुनाव में जिले के दस सीटों पर जंग जारी है. एक दूसरे को कैसे पटकनी दी जाए और कैसे सत्ता के शीर्ष तक पंहुचा जाए इसको लेकर पक्ष हो या फिर विपक्ष एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. कुछ इसी सियासी सरगर्मी के बीच जिले के सियासत में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा गर्माने लगा है.

कोरोना काल में आए थे लाखों मजदूर
दरअसल कोरोना संकट के बीच जिले के लाखों मजदूर जान हथेली पर लेकर बड़ी मुश्किल से अपने घर पंहुचे थे. वैसे सरकार ने उन्हें घर पर रोजगार देने का वादा जरूर किया, लेकिन धरातल पर वह असरदार नहीं हुआ. बहरहाल धीरे-धीरे इन मजदूरों का पलायन फिर शुरू हो गया है, लेकिन विरोधियों को यह सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा देता गया. विपक्ष इस मामले पर जहां सरकार को घेर रहा है. वहीं जिले में इससे प्रभावित लोगों का सहानुभूति लेने में भी जुट गया है.

देखें रिपोर्ट.
मजदूरों का मुद्दा विरोधियों को दे सकता है संजीविनी वैसे वर्तमान चुनाव के दौरान प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर जिले में विरोधियों के बढ़ते शोर को देखते हुए सत्तापक्ष भी अपने तरकस से इसका तोड़ ढूंढने में लगा है. वैसे महीनों बाद खाली हाथ अपने घर को छोड़ते इन प्रवासी मजदूरों के मसले पर जदयू अजब गजब सफाई दे रहा है. बहरहाल वर्तमान कोरोना संकट के बीच लोकतंत्र के इस महापर्व में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा विरोधियों को संजीविनी दे सकता है. वैसे इस मामले पर सत्ताधारी दल पूरी तरह बैकफुट पर दिख रहा.
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