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इस अस्पताल को है खुद के इलाज की जरूरत! डॉक्टर के बजाए NM कराती हैं प्रसव

डॉक्टर का बताना है कि पीएचसी में व्यवस्था की कमी के कारण कर्मी किसी तरह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है.

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Published : Jul 14, 2019, 7:25 PM IST

समस्तीपुर: स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति केवल एक-दो अस्पतालों में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में है. समस्तीपुर के वारिसनगर प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी वेंटिलेटर के सहारे जीवित है. 20 पंचायतों वाले इस प्रखंड के पीएचसी का हाल-बेहाल है. जिस कारण यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

samastipur
खाली पड़ा पूछताछ केंद्र

आलम यह है कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है. जिस कारण यहां इलाज के लिए आने वाली महिला मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ता है. यहां के डॉक्टर और कर्मी सिर्फ दिन काटते नजर आते हैं. नतीजतन यह पीएचसी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है.

samastipur
डॉक्टर

20 पंचायतों के लोग निर्भर
20 पंचायतों का भार लिए हुए वारिसनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुविधा नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अस्पताल को खुद ही इलाज की जरूरत है. हैरत की बात यह है कि वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए बेड पर चादर तक नहीं है. बता दें कि बदहाली इतनी है कि महिलाएं एनएम के भरोसे प्रसव कराने आती हैं. स्थिति जब अनियंत्रित हो जाती है तो महिला मरीज को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

भगवान भरोसे चल रहा पीएचसी
यहां कार्यरत एएनएम का बताना है कि यहां स्वास्थ्य कर्मियों को रहने के लिए आवास भी नहीं है. महिला डॉक्टर नहीं है. जिससे प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर का बताना है कि पीएचसी में व्यवस्था की कमी के कारण कर्मी किसी तरह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. जो भी सुविधाएं हैं बस उसी के सहारे किसी तरह इलाज होता है.

समस्तीपुर: स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति केवल एक-दो अस्पतालों में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में है. समस्तीपुर के वारिसनगर प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी वेंटिलेटर के सहारे जीवित है. 20 पंचायतों वाले इस प्रखंड के पीएचसी का हाल-बेहाल है. जिस कारण यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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खाली पड़ा पूछताछ केंद्र

आलम यह है कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है. जिस कारण यहां इलाज के लिए आने वाली महिला मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ता है. यहां के डॉक्टर और कर्मी सिर्फ दिन काटते नजर आते हैं. नतीजतन यह पीएचसी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है.

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डॉक्टर

20 पंचायतों के लोग निर्भर
20 पंचायतों का भार लिए हुए वारिसनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुविधा नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अस्पताल को खुद ही इलाज की जरूरत है. हैरत की बात यह है कि वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए बेड पर चादर तक नहीं है. बता दें कि बदहाली इतनी है कि महिलाएं एनएम के भरोसे प्रसव कराने आती हैं. स्थिति जब अनियंत्रित हो जाती है तो महिला मरीज को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

भगवान भरोसे चल रहा पीएचसी
यहां कार्यरत एएनएम का बताना है कि यहां स्वास्थ्य कर्मियों को रहने के लिए आवास भी नहीं है. महिला डॉक्टर नहीं है. जिससे प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर का बताना है कि पीएचसी में व्यवस्था की कमी के कारण कर्मी किसी तरह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. जो भी सुविधाएं हैं बस उसी के सहारे किसी तरह इलाज होता है.

Intro:समस्तीपुर जिले के वारिसनगर प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वेंटिलेटर के सहारे जीवित है ।यहां कोई भी महिला डॉक्टर नहीं है और ना ही अस्पताल में आने जाने वाले मरीजों के लिए कोई सुविधा है ।यहां के डॉक्टर और कर्मी सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा कर काम पूरा करते हैं ।यह अस्पताल आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है ।


Body:20 पंचायत का भार लिए हुए वारिसनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आज बदहाल हालत में रहने को मजबूर है । इस बीमार अस्पताल को इलाज की जरूरत है यह अस्पताल पूरे प्रखंड के लोगों के लिए बनाया गया था ।लेकिन यहां किसी भी तरह का कोई सुविधा नहीं है ।सबसे हैरत की बात है कि वार्ड में रहने वाले मरीज को बेड पर चादर नहीं हैं उतना ही नहीं यहां प्रसव कराने जो भी महिलाएं आती है उनके नर्स और दाई के द्वारा प्रसव कराया जाता है। कोई भी महिला डॉक्टर नहीं होने से प्रसव पीड़ित महिलाओं को ज्यादा तबीयत खराब होने के बाद उसे दूसरे हॉस्पिटल में भगवान भरोसे रेफर कर दिया जाता है। उन्हें कोई देखने वाला नहीं है । वहीं यहां कार्यरत एएनएम का बताना है कि यहां स्वास्थ्य कर्मियों को रहने के लिए आवास भी नहीं है ।महिला डॉक्टर नहीं है जिससे प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।हम लोगों से जो बन पड़ता है हम लोग उसे करते हैं ।ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर दूसरे अस्पताल रेफर कर के भगवान भरोसे छोड़ देते हैं ।


Conclusion:वही ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर का बताना है। कि व्यवस्था के कमी के कारण हम लोग किसी तरह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं ।स्वास्थ्य विभाग के तरफ से किसी भी तरह का कोई विशेष व्यवस्था नहीं किया गया है ।जो भी सुविधा दी गई है उसी सुविधा के सहारे हम लोग मरीज का इलाज करते हैं ।महिला डॉक्टर नहीं होने से हम लोगों को काफी परेशानी होती है ।जब और दाई से नर्स नहीं संभलता है उस परिस्थिति में हम लोग प्रसव पीड़ित महिला को दूसरे हॉस्पिटल में रेफर कर देते हैं।
बाईट:अनिता देवी नर्स
बाईट: अरुण कुमार डॉक्टर
वकथ्रो
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