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उपचुनाव की तैयारी: महागठबंधन ने समस्तीपुर में उठाए दो अहम मुद्दे, NDA के पास नहीं कोई तोड़

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Published : Oct 18, 2019, 10:39 PM IST

भले हवा का रुख एनडीए के पक्ष में चल रहा हो. लेकिन महागठबंधन ने जिस अंदाज से स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे के जरिए जनता की नब्ज टटोलनी शुरू की है. उससे लगता है कि यह आखिरी दिन चुनाव के परिणामों पर असर डालेगा.

समस्तीपुर

समस्तीपुर: जिले में उपचुनाव के महज चंद दिन शेष बचे हैं. सत्तारूढ़ दल ने अपनी इस सीट को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. वहीं, महागठबंधन ने सेंटीमेंटल तरीके से वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि महागठबंधन ने स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे जैसे दो अहम मुद्दों पर अचानक अपना स्टैंड लिया है.

समस्तीपुर लोकसभा सीट की जंग निर्णायक मोड़ पर है. एनडीए जहां इसे अपना सुरक्षित गढ़ मानकर हुंकार भर रही है. वहीं, उसे एक बड़े सहानुभूति वोट की आस भी है. वहीं, दूसरी तरफ संगठन और अन्य कई मामलों में कमजोर महागठबंधन के पास खोने को कुछ खास नहीं. लेकिन उसे यह पता है कि कैसे आखिरी वक्त में मतदाताओं का मन बदला जा सकता है. यही वजह है कि महागठबंधन ने अचानक दो अहम मुद्दों के जरिए जनता को सेंटीमेंटल तरीके से अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू किया है.

समस्तीपुर से खास रिपोर्ट

महागठबंधन का स्टैंड...
महागठबंधन इस लोकसभा क्षेत्र के हर एक वोटर से स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे पर वोट करने की अपील कर रहा है. इस लोकसभा क्षेत्र के सभी बंद उद्योगों का मुद्दा मजबूती से उठाया जा रहा है. साथ ही जनता को यह भी समझाने का प्रयास शुरू हो गया है कि इस क्षेत्र का विकास स्थानीय सांसद कर सकता है न की कोई बाहरी.

महागठबंधन का लगा रहा पूरा जोर
महागठबंधन लगा रहा पूरा जोर

एनडीए के पास नहीं कोई तोड़
वैसे सही मायनों में महागठबंधन के पास इन दो मुद्दों का तोड़ एनडीए के पास नहीं है. बीते कई वर्षों में यहां न तो कोई उद्योग लगा है और जो भी उद्योग-धंधे थे वे भी बंद हो गए हैं. वहीं, एनडीए गठबंधन में लोजपा ने स्थानीय चेहरे को कभी मैदान में नहीं उतारा है. यहां एनडीए पीएम मोदी के विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ रहा है.

  • भले हवा का रुख एनडीए के पक्ष में चल रहा हो. लेकिन महागठबंधन ने जिस अंदाज से स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे के जरिए जनता की नब्ज टटोलनी शुरू की है. उससे लगता है कि ये आखिरी दिन चुनाव के परिणामों पर असर डालेगा.

समस्तीपुर: जिले में उपचुनाव के महज चंद दिन शेष बचे हैं. सत्तारूढ़ दल ने अपनी इस सीट को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. वहीं, महागठबंधन ने सेंटीमेंटल तरीके से वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि महागठबंधन ने स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे जैसे दो अहम मुद्दों पर अचानक अपना स्टैंड लिया है.

समस्तीपुर लोकसभा सीट की जंग निर्णायक मोड़ पर है. एनडीए जहां इसे अपना सुरक्षित गढ़ मानकर हुंकार भर रही है. वहीं, उसे एक बड़े सहानुभूति वोट की आस भी है. वहीं, दूसरी तरफ संगठन और अन्य कई मामलों में कमजोर महागठबंधन के पास खोने को कुछ खास नहीं. लेकिन उसे यह पता है कि कैसे आखिरी वक्त में मतदाताओं का मन बदला जा सकता है. यही वजह है कि महागठबंधन ने अचानक दो अहम मुद्दों के जरिए जनता को सेंटीमेंटल तरीके से अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू किया है.

समस्तीपुर से खास रिपोर्ट

महागठबंधन का स्टैंड...
महागठबंधन इस लोकसभा क्षेत्र के हर एक वोटर से स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे पर वोट करने की अपील कर रहा है. इस लोकसभा क्षेत्र के सभी बंद उद्योगों का मुद्दा मजबूती से उठाया जा रहा है. साथ ही जनता को यह भी समझाने का प्रयास शुरू हो गया है कि इस क्षेत्र का विकास स्थानीय सांसद कर सकता है न की कोई बाहरी.

महागठबंधन का लगा रहा पूरा जोर
महागठबंधन लगा रहा पूरा जोर

एनडीए के पास नहीं कोई तोड़
वैसे सही मायनों में महागठबंधन के पास इन दो मुद्दों का तोड़ एनडीए के पास नहीं है. बीते कई वर्षों में यहां न तो कोई उद्योग लगा है और जो भी उद्योग-धंधे थे वे भी बंद हो गए हैं. वहीं, एनडीए गठबंधन में लोजपा ने स्थानीय चेहरे को कभी मैदान में नहीं उतारा है. यहां एनडीए पीएम मोदी के विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ रहा है.

  • भले हवा का रुख एनडीए के पक्ष में चल रहा हो. लेकिन महागठबंधन ने जिस अंदाज से स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे के जरिए जनता की नब्ज टटोलनी शुरू की है. उससे लगता है कि ये आखिरी दिन चुनाव के परिणामों पर असर डालेगा.
Intro:उपचुनाव के वोटिंग में अब महज चंद दिन शेष बचे है । सत्तारूढ़ दल जंहा अपने इस सीट को बचाने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है । वंही महागठबंधन ने सेंटीमेंटल तरीके से वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू किया है । खासबात यह है की , स्थानीय मुद्दे व स्थानीय चेहरे जैसे दो अहम मुद्दों पर महागठबंधन अचानक से केंद्रित हो गया है ।


Body:समस्तीपुर लोकसभा सीट का जंग निर्णायक मोड़ पर है । एनडीए जंहा इसे अपना सुरक्षित गढ़ मानकर हुंकार भर रहा , वंही उसे एक बड़े सहानुभूति वोट की आस भी है । वंही दूसरी तरफ संगठन व अन्य कई मामलों में कमजोर महागठबंधन के पास खोने को कुछ खास नही , लेकिन उसे यह पता है की , कैसे आखरी वक्त में मतदाताओं का मन बदला जा सकता है । यही वजह है की , महागठबंधन ने अचानक दो अहम मुद्दों के जरिये जनता को सेंटीमेंटल तरीके से अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू किया है । सभी मंच व इस लोकसभा क्षेत्र के हर एक वोटर से , स्थानीय मुद्दे व स्थानीय चेहरे पर वोट करने की अपील की जा रही । इस लोकसभा क्षेत्र के सभी बंद उधोग का मुद्दा मजबूती से उठाया जा रहा । साथ ही जनता को यह समझाने का प्रयास भी शुरू हो गया है की , इस क्षेत्र का विकास स्थानीय सांसद कर सकता है , न की बाहरी लोग ।

बाईट - डॉ अशोक कुमार , प्रत्याशी , महागठबंधन ।
बाईट - अख्तरूल इस्लाम शाहीन , विधायक व प्रवक्ता , राजद ।

वीओ - वैसे महागठबंधन के इन दोनों मुद्दों का तोड़ सही मायनों में एनडीए के पास नही । बीते कई वर्षों में न यंहा कोई नए उधोग लगे , जो थे वे भी बंद हो गए । वंही एनडीए गठबंधन में लोजपा ने स्थानीय चेहरे को कभी तरजीह नही दिया । बहरहाल एनडीए नेता , मोदी व विकास का महिमामंडन करने लगे ।

बाईट - मिनी ठाकुर , पूर्व जिला अध्यक्ष , महिला भाजपा ।


Conclusion:गौरतलब है की , भले हवा का रुख एनडीए के पक्ष में चल रहा हो । लेकिन महागठबंधन ने जिस अंदाज से स्थानीय मुद्दे व स्थानीय चेहरे के जरिये , जनता का नब्ज टटोलना शुरू किया है , जीत व हार में आखिर के यह कुछ दिन निर्णायक हो सकते है ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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