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समस्तीपुर में सरकार के रोजगार देने का दावा खोखला, मनरेगा में तय लक्ष्य का आधा भी नहीं दिया काम

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Published : Jan 26, 2022, 8:02 AM IST

सरकार जल जीवन हरियाली योजना के तहत मजदूरों को काम दिलाने की बात कह रही है. ऐसे में भी अगर रोजगार नहीं मिला तो काम की तलाश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तरह ही तीसरी लहर के बाद भी बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन होगा.

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समस्तीपुर: जिले में मनरेगा योजना (MNREGA Scheme) का हाल बेहाल है. समस्तीपुर जिला मजदूरों को काम देने में तय लक्ष्य से काफी पीछे है. इसकी वजह से कई योजनाओं का काम (Employment in Bihar) भी प्रभावित हो रहा है. अधिकारी कोरोना और अत्यधिक सर्दी के असर को इसकी एक वजह मानते हैं.

ये भी पढ़ें: किसानों के लिए अच्छी खबर: अब समस्तीपुर में सरकारी मदद से कर सकेंगे सेब और रजनीगंधा की खेती


कोरोना के कारण कई राज्यों से लौटे मजदूरों को घर पर काम देने का वादा समस्तीपुर में खोखला साबित हुआ. जिले में मनरेगा मजदूरों को काम देने की जो रफ्तार है, वह कुछ इसी नाकामियों की तरफ इशारा कर रहा है. दरअसल मनरेगा योजना से काम देने से सम्बंधित विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में यहां करीब 46.77 लाख मानव दिवस सृजन का लक्ष्य तय किया गया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब महज दो महीने शेष हैं, वहीं यहां तय लक्ष्य से आधा ही मानव दिवस सृजन पूरा हुआ है.

लाजमी है कि रोजी-रोटी की तलाश में कोरोना के पहले और दूसरी वेब की तरह ही तीसरे वेब के बाद भी बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन संभव है. जानकारी के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में यहां 54035 योजनाओं पर काम शुरू हुआ, जिसमें करीब 23 हजार योजना अभी अपूर्ण ही है. यही नहीं जिले के 20 में से 9 प्रखंडों में तो 26 से 46 फीसदी मजदूरों को ही काम मिल सका है.

ये भी पढ़ें: यादों में कर्पूरी नहर, किसानों को लेकर 'जननायक' का वो सपना जो कभी पूरा नहीं हो सका


गौरतलब है कि विभाग लक्ष्य के करीब पहुंचने के मद्देनजर अब जल जीवन हरियाली योजना के तहत मजदूरों को काम दिलाने की तैयारी में जुटा है. ऐसे में भी अगर रोजगार नहीं मिला तो काम की तलाश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तरह ही तीसरी लहर के बाद भी बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन होगा.

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समस्तीपुर: जिले में मनरेगा योजना (MNREGA Scheme) का हाल बेहाल है. समस्तीपुर जिला मजदूरों को काम देने में तय लक्ष्य से काफी पीछे है. इसकी वजह से कई योजनाओं का काम (Employment in Bihar) भी प्रभावित हो रहा है. अधिकारी कोरोना और अत्यधिक सर्दी के असर को इसकी एक वजह मानते हैं.

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कोरोना के कारण कई राज्यों से लौटे मजदूरों को घर पर काम देने का वादा समस्तीपुर में खोखला साबित हुआ. जिले में मनरेगा मजदूरों को काम देने की जो रफ्तार है, वह कुछ इसी नाकामियों की तरफ इशारा कर रहा है. दरअसल मनरेगा योजना से काम देने से सम्बंधित विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में यहां करीब 46.77 लाख मानव दिवस सृजन का लक्ष्य तय किया गया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब महज दो महीने शेष हैं, वहीं यहां तय लक्ष्य से आधा ही मानव दिवस सृजन पूरा हुआ है.

लाजमी है कि रोजी-रोटी की तलाश में कोरोना के पहले और दूसरी वेब की तरह ही तीसरे वेब के बाद भी बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन संभव है. जानकारी के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में यहां 54035 योजनाओं पर काम शुरू हुआ, जिसमें करीब 23 हजार योजना अभी अपूर्ण ही है. यही नहीं जिले के 20 में से 9 प्रखंडों में तो 26 से 46 फीसदी मजदूरों को ही काम मिल सका है.

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गौरतलब है कि विभाग लक्ष्य के करीब पहुंचने के मद्देनजर अब जल जीवन हरियाली योजना के तहत मजदूरों को काम दिलाने की तैयारी में जुटा है. ऐसे में भी अगर रोजगार नहीं मिला तो काम की तलाश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तरह ही तीसरी लहर के बाद भी बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन होगा.

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