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समस्तीपुर: चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं प्रवासी मजदूर

कोरोना महामारी के बीच जिले में करीब 75,619 प्रवासी मजदूर घर लौटे हैं. जिनमें से 54 हजार प्रवासियों का नाम मतदाता सूची में जुड़ा गया है. ये प्रवासी चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं.

Samastipur
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Published : Oct 21, 2020, 5:28 PM IST

समस्तीपुर: कोरोना संकट के बीच घर लौटे प्रवासी वर्तमान चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. दरअसल बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है, जो किसी दल के जीत और हार में अहम भूमिका निभा सकते हैं. बहरहाल पक्ष हो या फिर विपक्ष इस बड़े वोट बैंक को रिझाने में जुट गया है.

54 हजार प्रवासियों का नाम जुड़ा मतदाता सूची
कोरोना संकट के बीच हो रहा यह चुनाव कई मायनों में खास हो गया है. दरअसल आमतौर पर चुनावों के दौरान, रोजगार को लेकर अपने घर से दूर प्रवासी मजदूरों का एक बड़ा वोट बैंक लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा नहीं ले पाता था. वैसे वर्तमान कोरोना संकट में बड़ी संख्या ने प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट आए हैं. जिला निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार विशेष अभियान के तहत अबतक करीब 54 हजार प्रवासी मजदूरों का नाम मतदाता सूची में जोड़ा गया है. वैसे श्रम संसाधन विभाग के आंकड़ों को देखें तो, कोरोना संकट के बीच विभिन्न राज्यों से करीब 75,619 प्रवासी मजदूर घर लौटे हैं.

देखें वीडियो

सरकार को घेर रहा विपक्ष
जिले में कम अंतर से जीत-हार वाली विधानसभा सीटों पर ये प्रवासी मजदूर गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. यही कारण है सभी सभी दलों और गठबंधनों पर इनपर नजर है. सत्ता पक्ष कोरोना संकट में सरकार की ओर से प्रवासियों के लिए किए गए कामों की दुहाई दे रहे हैं तो विपक्ष उस दौरान सरकार की ओर से किए गए कामों को नाकाफी बताकर सरकार को घेर रहा है.

किसके साथ प्रवासी मजदूर?
बहरहाल प्रवासी मजदूरों के मामले पर सत्ता पक्ष पूरी तरह बैकफुट पर है. विपक्ष लगातार उनके रोजगार और फिर से हो रहे पलायन के मुद्दे के जरिए सरकार को घेर रहा है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में प्रवासी मजदूरों की भूमिका क्या असर दिखाती है.

समस्तीपुर: कोरोना संकट के बीच घर लौटे प्रवासी वर्तमान चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. दरअसल बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है, जो किसी दल के जीत और हार में अहम भूमिका निभा सकते हैं. बहरहाल पक्ष हो या फिर विपक्ष इस बड़े वोट बैंक को रिझाने में जुट गया है.

54 हजार प्रवासियों का नाम जुड़ा मतदाता सूची
कोरोना संकट के बीच हो रहा यह चुनाव कई मायनों में खास हो गया है. दरअसल आमतौर पर चुनावों के दौरान, रोजगार को लेकर अपने घर से दूर प्रवासी मजदूरों का एक बड़ा वोट बैंक लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा नहीं ले पाता था. वैसे वर्तमान कोरोना संकट में बड़ी संख्या ने प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट आए हैं. जिला निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार विशेष अभियान के तहत अबतक करीब 54 हजार प्रवासी मजदूरों का नाम मतदाता सूची में जोड़ा गया है. वैसे श्रम संसाधन विभाग के आंकड़ों को देखें तो, कोरोना संकट के बीच विभिन्न राज्यों से करीब 75,619 प्रवासी मजदूर घर लौटे हैं.

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सरकार को घेर रहा विपक्ष
जिले में कम अंतर से जीत-हार वाली विधानसभा सीटों पर ये प्रवासी मजदूर गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. यही कारण है सभी सभी दलों और गठबंधनों पर इनपर नजर है. सत्ता पक्ष कोरोना संकट में सरकार की ओर से प्रवासियों के लिए किए गए कामों की दुहाई दे रहे हैं तो विपक्ष उस दौरान सरकार की ओर से किए गए कामों को नाकाफी बताकर सरकार को घेर रहा है.

किसके साथ प्रवासी मजदूर?
बहरहाल प्रवासी मजदूरों के मामले पर सत्ता पक्ष पूरी तरह बैकफुट पर है. विपक्ष लगातार उनके रोजगार और फिर से हो रहे पलायन के मुद्दे के जरिए सरकार को घेर रहा है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में प्रवासी मजदूरों की भूमिका क्या असर दिखाती है.

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