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नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, 4 दिन तक सूर्यदेव की अराधना में रहेंगे लोग

जिले में नहाय-खाय के साथ ही चार दिवसीय चैती छठ का अनुष्ठान शुरु हो गया. पर्व को लेकर जिले में तैयारी जोरों पर है.

छठ घाट
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Published : Apr 9, 2019, 9:30 PM IST

समस्तीपुर: नहाय-खाय के साथ ही चार दिवसीय चैती छठ का अनुष्ठान शुरु हो गया. जिले में इस पर्व को लेकर तैयारी दिखने लगी है. चार दिवसीय इस पर्व में बुधवार को जहां छठ व्रती खरना करेंगे. वहीं गुरुवार को अस्ताचलगामी और शुक्रवार को उदयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा.

छठ व्रती और पंडित जी का बयान

चैती छठ सबसे पहले भगवान श्रीराम ने मनाया था
चैती छठ पर्व बिहार समेत कई अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है. जिले में अगर इस महापर्व की बात की जाए तो चैती छठ मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय के साथ शुरु हो गया आस्था, साधना, आराधना का महापर्व चैती छठ सबसे पहले भगवान श्रीराम ने बनवास समाप्त होने के बाद सपरिवार अयोध्या में इस पर्व को मनाया था. इसके बाद महाभारत युद्ध के बाद द्रोपदी ने भी चैती छठ पूजा की थी. लोगों का कहना है कि थोड़ी देर के उपासना से धन वैभव आदि की प्राप्ति होती है. व्रती संतान सुख और उनके सुखद भविष्य के लिए चैती छठ व्रत करतीं हैं. जानकार के अनुसार इस पर्व की महत्ता काफी खास है. वहीं सादगी और स्वच्छता का यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है.

गुरुवार को शाम का अर्घ्य

चार दिवसीय इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय को लेकर जिले के विभिन्न नदी तालाब पर छठ व्रतीयों ने स्नान किया. बुधवार को खारना होगा, जबकि गुरुवार को शाम का अर्घ्य. वहीं इस पर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को उदय मान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा.

समस्तीपुर: नहाय-खाय के साथ ही चार दिवसीय चैती छठ का अनुष्ठान शुरु हो गया. जिले में इस पर्व को लेकर तैयारी दिखने लगी है. चार दिवसीय इस पर्व में बुधवार को जहां छठ व्रती खरना करेंगे. वहीं गुरुवार को अस्ताचलगामी और शुक्रवार को उदयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा.

छठ व्रती और पंडित जी का बयान

चैती छठ सबसे पहले भगवान श्रीराम ने मनाया था
चैती छठ पर्व बिहार समेत कई अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है. जिले में अगर इस महापर्व की बात की जाए तो चैती छठ मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय के साथ शुरु हो गया आस्था, साधना, आराधना का महापर्व चैती छठ सबसे पहले भगवान श्रीराम ने बनवास समाप्त होने के बाद सपरिवार अयोध्या में इस पर्व को मनाया था. इसके बाद महाभारत युद्ध के बाद द्रोपदी ने भी चैती छठ पूजा की थी. लोगों का कहना है कि थोड़ी देर के उपासना से धन वैभव आदि की प्राप्ति होती है. व्रती संतान सुख और उनके सुखद भविष्य के लिए चैती छठ व्रत करतीं हैं. जानकार के अनुसार इस पर्व की महत्ता काफी खास है. वहीं सादगी और स्वच्छता का यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है.

गुरुवार को शाम का अर्घ्य

चार दिवसीय इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय को लेकर जिले के विभिन्न नदी तालाब पर छठ व्रतीयों ने स्नान किया. बुधवार को खारना होगा, जबकि गुरुवार को शाम का अर्घ्य. वहीं इस पर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को उदय मान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा.

Intro:नहा खाय के साथ ही शुरु हो गया चार दिवसीय चैती छठ का अनुष्ठान। जिले में इस पर्व को लेकर दिखने लगी तैयारी। चार दिवसीय इस पर्व में बुधवार को जहां छठ व्रती करेंगे खरना वही गुरुवार को असताचलगामी वह शुक्रवार को उदयमान भगवान भास्कर को दिया जाएगा अरघ।


Body:चेती छठ पर्व बिहार समेत कई अन्य राज्यों में भी होता है। जिले में अगर इस महा पर्व की बात की जाए तो शेती छठ मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय के साथ शुरु हो गया आस्था, साधना, आराधना का महापर्व जैसी छठ सबसे पहले भगवान श्रीराम ने बनवास समाप्त होने के बाद सपरिवार अयोध्या में इस पर्व को मनाया था। इसके बाद महाभारत युद्ध के बाद द्रोपती ने भी चेती छठ पूजा की थी। लोगों किया था है थोड़ी देर के उपासना से धन वैभव आदि की प्राप्ति होती है । व्रती संतान सुख और उनके सुखद भविष्य के लिए चेती छठ व्रत करती है। जानकार के अनुसार इस पर्व की महत्ता काफी खास है। वही सादगी वह स्वच्छता का यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है।

बाईट-पंडित जी

चार दिवसीय इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय को लेकर जिले के विभिन्न नदी तालाब पर छठ व्रतीयो ने स्नान किया। वह कल यानी बुधवार को खारना होगा। जबकि गुरुवार को शाम का अरघ वही इस पर्व की आखिरी दिन शुक्रवार को उदय मान भगवान भास्कर को अरघ दिया जाएगा। कल क्यों ना था इस पर्व की शुरुआत की है।

बाईट-छठ व्रती।


Conclusion:बाहरहाल इस महा पर्व को लेकर नदी तालाब उसे लेकर घर के छत पर बने स्थानों पर साफ-साफ शुरु हो गई है

अमित कुमार की रिपोर्ट।
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