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समस्तीपुर में कागजों पर ही चल रही है जन औषधि योजना, हमेशा रहता है 'शटर डाउन' - samastipur news

समस्तीपुर में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की पोल खुलती नजर आ रही है. जिले में एक तो दवाखाना खुले नहीं हैं, जहां खुले भी हैं वहां अक्सर बंद ही रहते हैं. लोग बताते हैं कि ये सारी योजनाएं सिर्फ कागजी हैं.

जनऔषधि योजना
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Published : Oct 16, 2021, 8:42 AM IST

समस्तीपुरः देश के गरीब लोगों की बेहतरी के लिए केन्द्र सरकार साल 2015 में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना योजना (Jan Aushadhi Yojana) लाई थी. इस योजना का मकसद सस्ते दरों पर लोगों को दवाइयां उपलब्ध कराना था. लेकिन समस्तीपुर जिले में यह योजना सिर्फ कागजों पर ही चल रही है.

इसे भी पढ़ें- DMCH की नर्सों ने किया अनिश्चितकालीन हड़ताल, अस्पताल प्रबंधन पर वादा खिलाफी का आरोप

इस योजना के तहत जिले में एक तो इक्का-दुक्का औषधि केन्द्र ही खोले गए. जो खोले भी गए हैं, उनमें से ज्यादातर बंद ही रहते हैं. हालात तो ये है कि सदर अस्पताल, पीएचसी, अनुमंडल व रेफरल अस्पताल में औषधि केन्द्र खुलना था, लेकिन यहां खुला ही नहीं.

देखें वीडियो

इस पूरे मामले को लेकर जिले के सिविल सर्जन से भी बात करने की कोशिश गई, लेकिन कैमरे पर उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार किया है. वैसे बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल समेत अन्य पीएचसी में साल 2018 में सरकार के एक आदेश के बाद अगले निर्देश तक औषधि केद्रों पर रोक लगाई गई है.

इसे भी पढ़ें- गोपालगंज सदर अस्पताल: सुस्त सिस्टम के आगे जेनेरिक दवा दुकान ने घुटने टेके, दर-दर भटक रहे मरीज

गौरतलब है कि इस पीएम जन औषधि योजना का मकसद ब्रांडेड या फार्मा कंपनियों की दवाईयों की तुलना में 60 से 70 फीसदी कम कीमत पर लोगों को मुहैया करवाना था. जानकार बताते हैं कि जेनरिक दवाइयां क्वालिटी और प्रभाव में किसी ब्रांडेड दवाइयों से कम नहीं होती हैं.

समस्तीपुरः देश के गरीब लोगों की बेहतरी के लिए केन्द्र सरकार साल 2015 में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना योजना (Jan Aushadhi Yojana) लाई थी. इस योजना का मकसद सस्ते दरों पर लोगों को दवाइयां उपलब्ध कराना था. लेकिन समस्तीपुर जिले में यह योजना सिर्फ कागजों पर ही चल रही है.

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इस योजना के तहत जिले में एक तो इक्का-दुक्का औषधि केन्द्र ही खोले गए. जो खोले भी गए हैं, उनमें से ज्यादातर बंद ही रहते हैं. हालात तो ये है कि सदर अस्पताल, पीएचसी, अनुमंडल व रेफरल अस्पताल में औषधि केन्द्र खुलना था, लेकिन यहां खुला ही नहीं.

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इस पूरे मामले को लेकर जिले के सिविल सर्जन से भी बात करने की कोशिश गई, लेकिन कैमरे पर उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार किया है. वैसे बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल समेत अन्य पीएचसी में साल 2018 में सरकार के एक आदेश के बाद अगले निर्देश तक औषधि केद्रों पर रोक लगाई गई है.

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गौरतलब है कि इस पीएम जन औषधि योजना का मकसद ब्रांडेड या फार्मा कंपनियों की दवाईयों की तुलना में 60 से 70 फीसदी कम कीमत पर लोगों को मुहैया करवाना था. जानकार बताते हैं कि जेनरिक दवाइयां क्वालिटी और प्रभाव में किसी ब्रांडेड दवाइयों से कम नहीं होती हैं.

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