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मध्याह्न भोजन योजना के बोरे का हिसाब लगाने में उलझे हेड मास्टर साहब, जानिये क्यों...

बिहार (Bihar) के सरकारी स्कूलों के हेड मास्टरों से मध्याह्न भोजन योजना के तहत मिले अनाज के खाली बोरे का हिसाब मांगा गया है. सभी हेड मास्टरों को एक सप्ताह में रिपोर्ट जमा देना है. पढ़ें पूरी खबर...

समस्तीपुर
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Published : Aug 8, 2021, 2:49 PM IST

समस्तीपुर: मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal Plan) के निदेशक के निर्देशों के बाद जिले के सरकारी स्कूलों में खाली बोरे की तलाश शुरू हो गयी है. विभागीय जानकारी के अनुसार डीपीओ (DPO) ने जिले के सभी सरकारी स्कूलों के हेड मास्टरों (Head Master) से 2014-15 और 2015-16 में मिले अनाज के खाली बोरे से जुड़ा आंकड़ा एक सप्ताह में मांगा है.

ये भी पढ़ें:'मैं बिहार के सरकारी स्कूल का शिक्षक हूं, सरकार के आदेश पर बोरा बेच रहा हूं'

बहरहाल विभागीय निर्देशों के बाद सरकारी विद्यालयों के हेड मास्टर पांच वर्ष पहले के खाली बोरे की तलाश में जुट गए हैं. डीपीओ कार्यालय के अनुसार निदेशक ने चावल के इन खाली बोरे को 10 रुपये प्रति बैग के हिसाब से बिक्री कर मध्याह्न भोजन योजना के रोकड़ पंजी में प्रविष्ट करने का निर्देश दिया है.

विभाग की ओर से निर्देश जारी होने के बाद जिले के 989 मिडिल स्कूल और 1552 प्राइमरी स्कूलों में इन खाली बोरे की तलाश शुरू हो गयी है. वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में इन सभी विद्यालयों को करीब पौने छह लाख बोरे का हिसाब देना होगा. अब विभाग की ओर से निर्देश मिलने के बाद सरकारी स्कूलों के हेड मास्टर साहब खाली बोरों के हिसाब में उलझ गए हैं.

ये भी पढ़ें:बिहार में लड़कियों को कैसे मिलेगी मुफ्त शिक्षा, कई साल से बकाये हैं विश्वविद्यालयों के फंड

समस्तीपुर: मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal Plan) के निदेशक के निर्देशों के बाद जिले के सरकारी स्कूलों में खाली बोरे की तलाश शुरू हो गयी है. विभागीय जानकारी के अनुसार डीपीओ (DPO) ने जिले के सभी सरकारी स्कूलों के हेड मास्टरों (Head Master) से 2014-15 और 2015-16 में मिले अनाज के खाली बोरे से जुड़ा आंकड़ा एक सप्ताह में मांगा है.

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बहरहाल विभागीय निर्देशों के बाद सरकारी विद्यालयों के हेड मास्टर पांच वर्ष पहले के खाली बोरे की तलाश में जुट गए हैं. डीपीओ कार्यालय के अनुसार निदेशक ने चावल के इन खाली बोरे को 10 रुपये प्रति बैग के हिसाब से बिक्री कर मध्याह्न भोजन योजना के रोकड़ पंजी में प्रविष्ट करने का निर्देश दिया है.

विभाग की ओर से निर्देश जारी होने के बाद जिले के 989 मिडिल स्कूल और 1552 प्राइमरी स्कूलों में इन खाली बोरे की तलाश शुरू हो गयी है. वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में इन सभी विद्यालयों को करीब पौने छह लाख बोरे का हिसाब देना होगा. अब विभाग की ओर से निर्देश मिलने के बाद सरकारी स्कूलों के हेड मास्टर साहब खाली बोरों के हिसाब में उलझ गए हैं.

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