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5 अंधे बच्चों के लिए सबकुछ लुटा चुके मां-बाप, अब सरकार से ही मदद की आस

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Published : Aug 4, 2019, 4:06 PM IST

मोहम्मद आजिम ने बच्चों के इलाज के लिए ने सबकुछ गिरवी रख दिया. लेकिन जन्मजात अंधे बच्चों की आंखों में रौशनी नहीं दे पाए. जिलाधिकारी ने इस परिवार को दो दिन के अंदर सारी सुविधा मुहैया कराने का आदेश दिया है.

एक ही परिवार में पांच अंधे बच्चे

समस्तीपुर: जिले का एक परिवार जहां एक साथ पांच बच्चे जन्मजात अंधे हैं. मां-बाप अपने बच्चों को दिखाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. बच्चों के आंखे की रौशनी के लिए अपना सबकुछ लुटा दिया. आखों की रौशनी तो नहीं आयी लेकिन जमीन जायदाद जरूर बिक गया. परिवार को बस एक ही चिंता है. बिटिया की शादी कैसे होगी.

जन्मजात अंधेपन का शिकार मोहम्मद आजिम के बच्चे

जिले का वारिसनगर प्रखंड अन्तर्गत सतमलपुर पंचायत. जहां बड़ीबाग वार्ड नंबर 9 में एक परिवार रह रहा है. टूटी-फूटी झोपड़ी में अपने पांचों बच्चे के साथ बैठे हैं. मो. आजिम और उनकी पत्नी. पति-पत्नी अपनी किस्मत को कोस रहे हैं. हमारे बच्चे दूसरे बच्चों की तरह क्यों नहीं हुए. ऐसी कौन सी खता हो गई जो कुदरत ने एक साथ 5 बच्चों को जन्मजात अंधा बनाया. बेटों को लेकर डर नहीं है. बस एक ही चिंता खाये जाती है, बिटिया की शादी कैसे होगी.

अंधेपन के कारण का पता नहीं
मो. आजिम चार बेटे और एक बेटी की आंखों की रौशनी के लिए डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक गए. लेकिन रौशनी लौटाना तो दूर अंधेपन के पीछे का कारण भी नहीं ढूंढ़ पाए. आखिर सारे बच्चे अंधेपन का शिकार कैसे हुए इसका जबाव किसी के पास नहीं है.

samstipur
टूटी-फूटी झोपड़ी में बच्चों के साथ परिजन

बेटी का दर्द देखा नहीं जाता
ईटीवी भारत को अपना दुखड़ा सुनाते हुए बाप आजिम का
गला रूंध जाता है. कहते हैं, लड़कों की परेशानी तो झेल लेंगे. लेकिन बेटी का दर्द देखा नहीं जाता. बच्चों को दिखाने के लिए हर जगह गए. अपना सबकुछ गिरवी रख दिया. लेकिन कुछ नहीं हुआ. अंधापन के पीछे का कारण भी नहीं बताया गया. थक हार कर बैठ गए. इस मजबूर परिवार को सिर्फ पेंशन दिया जा रहा है. समय और हालात से समझौता कर लिए इस परिवार को सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है.

mohamad azim
मोहम्मद आजिम

बेटी को देख थम नहीं रहा आंसू
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बच्चों की मां मुसरत खातून की आंखों में आंसू झर-झर बहने लगे. आंसुओं को पोंछती हुई कहती हैं, बच्चों की परेशानी देखा नहीं जाता. लड़की की शादी नहीं हो पा रही. जब लड़की को देखती हूं तो कलेजा फटने लगता है. बहते आंसूओं को पोछते हुए कहती है, हम गरीब लोग हैं. लड़की की शादी नहीं होने से आखों में आंसू आ जाता है. क्या करें, कोई रास्ता भी नहीं दिखता है. आगे क्या होगा, पता नहीं. मो. आजिम के 5 बच्चे हैं. जिसमें बड़ा बेटा 32 वर्ष, बेटी रोशन खातून 21 वर्ष, मोहम्मद उमर 18 वर्ष, मोहम्मद कमरे आलम 10 वर्ष और मोहम्मद अमजद 7 वर्ष का है. सभी भाई बहन जन्म से ही अंधे हैं. परिवार बेटी की शादी के लिए परेशान है. लेकिन अंधेपन के कारण उनकी बेटी की शादी नहीं हो पा रही.

parents
अंधे बच्चों के माता-पिता

दो दिन के अंदर मिलेगी सहायता- DM
इस अंधे परिवार की जानकारी ईटीवी भारत की टीम ने जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह को दी. ईटीवी की टीम को धन्यवाद देते हुए जिलाधिकारी ने समुचित इलाज कराने का आश्वासन दिया. जिलाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी, सिविल सर्जन और सामाजिक सुरक्षा सहायक निदेशक को जांच करने का आदेश दिए. जांच के बाद दो दिनों के अंदर सरकारी सहायता उपलब्ध कराने के भी आदेश उन्होंने दी है.

samastipur dm
चंद्रशेखर सिंह, जिलाधिकारी

समस्तीपुर: जिले का एक परिवार जहां एक साथ पांच बच्चे जन्मजात अंधे हैं. मां-बाप अपने बच्चों को दिखाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. बच्चों के आंखे की रौशनी के लिए अपना सबकुछ लुटा दिया. आखों की रौशनी तो नहीं आयी लेकिन जमीन जायदाद जरूर बिक गया. परिवार को बस एक ही चिंता है. बिटिया की शादी कैसे होगी.

जन्मजात अंधेपन का शिकार मोहम्मद आजिम के बच्चे

जिले का वारिसनगर प्रखंड अन्तर्गत सतमलपुर पंचायत. जहां बड़ीबाग वार्ड नंबर 9 में एक परिवार रह रहा है. टूटी-फूटी झोपड़ी में अपने पांचों बच्चे के साथ बैठे हैं. मो. आजिम और उनकी पत्नी. पति-पत्नी अपनी किस्मत को कोस रहे हैं. हमारे बच्चे दूसरे बच्चों की तरह क्यों नहीं हुए. ऐसी कौन सी खता हो गई जो कुदरत ने एक साथ 5 बच्चों को जन्मजात अंधा बनाया. बेटों को लेकर डर नहीं है. बस एक ही चिंता खाये जाती है, बिटिया की शादी कैसे होगी.

अंधेपन के कारण का पता नहीं
मो. आजिम चार बेटे और एक बेटी की आंखों की रौशनी के लिए डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक गए. लेकिन रौशनी लौटाना तो दूर अंधेपन के पीछे का कारण भी नहीं ढूंढ़ पाए. आखिर सारे बच्चे अंधेपन का शिकार कैसे हुए इसका जबाव किसी के पास नहीं है.

samstipur
टूटी-फूटी झोपड़ी में बच्चों के साथ परिजन

बेटी का दर्द देखा नहीं जाता
ईटीवी भारत को अपना दुखड़ा सुनाते हुए बाप आजिम का
गला रूंध जाता है. कहते हैं, लड़कों की परेशानी तो झेल लेंगे. लेकिन बेटी का दर्द देखा नहीं जाता. बच्चों को दिखाने के लिए हर जगह गए. अपना सबकुछ गिरवी रख दिया. लेकिन कुछ नहीं हुआ. अंधापन के पीछे का कारण भी नहीं बताया गया. थक हार कर बैठ गए. इस मजबूर परिवार को सिर्फ पेंशन दिया जा रहा है. समय और हालात से समझौता कर लिए इस परिवार को सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है.

mohamad azim
मोहम्मद आजिम

बेटी को देख थम नहीं रहा आंसू
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बच्चों की मां मुसरत खातून की आंखों में आंसू झर-झर बहने लगे. आंसुओं को पोंछती हुई कहती हैं, बच्चों की परेशानी देखा नहीं जाता. लड़की की शादी नहीं हो पा रही. जब लड़की को देखती हूं तो कलेजा फटने लगता है. बहते आंसूओं को पोछते हुए कहती है, हम गरीब लोग हैं. लड़की की शादी नहीं होने से आखों में आंसू आ जाता है. क्या करें, कोई रास्ता भी नहीं दिखता है. आगे क्या होगा, पता नहीं. मो. आजिम के 5 बच्चे हैं. जिसमें बड़ा बेटा 32 वर्ष, बेटी रोशन खातून 21 वर्ष, मोहम्मद उमर 18 वर्ष, मोहम्मद कमरे आलम 10 वर्ष और मोहम्मद अमजद 7 वर्ष का है. सभी भाई बहन जन्म से ही अंधे हैं. परिवार बेटी की शादी के लिए परेशान है. लेकिन अंधेपन के कारण उनकी बेटी की शादी नहीं हो पा रही.

parents
अंधे बच्चों के माता-पिता

दो दिन के अंदर मिलेगी सहायता- DM
इस अंधे परिवार की जानकारी ईटीवी भारत की टीम ने जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह को दी. ईटीवी की टीम को धन्यवाद देते हुए जिलाधिकारी ने समुचित इलाज कराने का आश्वासन दिया. जिलाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी, सिविल सर्जन और सामाजिक सुरक्षा सहायक निदेशक को जांच करने का आदेश दिए. जांच के बाद दो दिनों के अंदर सरकारी सहायता उपलब्ध कराने के भी आदेश उन्होंने दी है.

samastipur dm
चंद्रशेखर सिंह, जिलाधिकारी
Intro:एक्ससीलुसिव
समस्तीपुर एक परिवार ऐसा जिसके पांच पांच बच्चे जन्मजात अंधे ।आखिर इसके पीछे क्या है वजह, वारिसनगर प्रखंड के सतमलपुर पंचायत के बड़ीबाग वार्ड नंबर 9 के रहने वाले मोहम्मद अजीम के चार बेटे और एक बेटी जन्मजात अंधे हैं ।यह अपने बच्चों के आंख की रोशनी के खातिर रुपया पैसा से लेकर जमीन तक को बेच डाला लेकिन नहीं लौट पाया इनके बच्चों की आंख की रोशनी।


Body:टूटी फूटी झोपड़ी में अपने पांचों बच्चे के साथ बैठे ये मोहमद आजिम और उनकी पत्नी है ।जिन्होंने सपने में भी यह नहीं सोचा होगा किकोख से पैदा होने बच्चे बच्चे अंधे होंगे। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। इनके 5 बच्चे जन्मजात अंधे हैं जिनमें चार बेटे और एक बेटी है। यह सभी जन्मजात अंधे हैं ।अजीम ने इन सभी बच्चों के आंख की रोशनी के लिए डॉक्टर के पास गए स्वास्थ्य विभाग के पास गए ।लेकिन किसी ने भी इनके बच्चे की आंख की रोशनी नहीं लौटा पाए और ना ही यह पता लगा पाए कि आखिर किस बीमारी से इनके होने वाले बच्चे अंधे होते चले गए। अपने बच्चे के आंख क रोशनी के खातिर इन्होंने रुपया पैसा से लेकर जमीन तक बेच डाला लेकिन नहीं लौट पाई इन सभी बच्चों के आंख की रोशनी ।जिसका नतीजा है कि यह अपने पांचों बच्चों का भरण पोषण के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। वहीं वार्ड सदस्य का बताना है कि हम लोग अपने स्तर से भी सभी जगह गए लेकिन कहीं से भी कुछ फायदा नहीं हुआ। सरकारी स्तर पर सिर्फ पेंशन दिया जा रहा है ।और किसी तरह का सरकारी मदद इन परिवारों को नहीं दियाजा रहा है ।जिसका नतीजा है यह पूरा परिवार अपने इस हालात से समझौता कर सरकारी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है ।वहीं परिवारों को सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है ।


Conclusion:जिससे परिवार के लोग अपने आप को असहाय और मजबूर नजर आ रहे हैं ।मोहम्मद अजीम के 5 बच्चे जिसमें मोहम्मद अजीम उम्र 32 वर्ष मोहम्मद उमर 18 वर्ष और रोशन खातून 21 वर्ष मोहम्मद कमरे आलम उम्र 10 वर्ष मोहम्मद अमजद 7 वर्ष यह सभी अंधे हैं। सबसे ज्यादा इस परिवार को इस बात चिंता सता रही है इकलौती बेटी की शादी नहीं हो रही है। और वह अपनी बेटी के शादी के लिए परेशान हैं ।लेकिन अंधेपन के कारण उनकी बेटी की शादी नहीं हो रही है ।वही इस अंधे परिवार की जानकारी जिलधिकारी को ईटीवी भारत के टीम के द्वारा दिया गया तो उन्होंने तुरंत ही इसके जांच के आदेश देते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी को उस परिवार से संपर्क कर विस्तृत विवरण देने को कहा गया है ।ताकि इस परिवार को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जा सके।
बाईट : मोहमद आजिम
बाईट: मुसरत खातून
बाईट: मोहमद लाल बाबू
बाईट:चंद्रशेखर सिंह जिलाधिकारी
पीटीसी
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