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खरीफ की तरह रबी फसल को लेकर अन्नदाता हलकान, प्रकृति और सिस्टम की दोहरी मार

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Published : Nov 26, 2019, 11:34 PM IST

इस बार किसानों को अनुदान पर मिलने वाले बीज को लेकर किसानों में जानकारी का आभाव है. इससे जुड़ी प्रक्रियाओं को भी काफी जटिल कर दिया गया है. सरकार से जुड़े लोगों का भी मानना है कि किसानों को लेकर केंद्र और राज्य की सरकार गंभीर है लेकिन अधिकारी स्तर पर उस काम सही से नहीं हो रहा है.

समस्तीपुर से अमित की रिपोर्ट
समस्तीपुर से अमित की रिपोर्ट

समस्तीपुर: खरीफ फसल को लेकर जंहा अन्नदाताओं के हाथ खाली रह गए. वहीं, रबी की फसल में भी प्रकृति और सिस्टम ने दगा देना शुरू कर दिया. ऐसे तो किसानों ने लक्ष्य के अनुरूप खेती में पूरी ताकत झोंक दी है. अब सबकुछ ऊपर वाले और नीचे वालों के मेहरबानी पर निर्भर है.

कृषि विभाग ने इस बार जिले में रबी फसल की खेती को लेकर 10 लाख 9 हजार 330 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में किसान अपनी तैयारी में जरूर जुटे हैं. लेकिन शुरुआती वक्त में ही कई बाधाएं इनकी राह में खड़ी हैं. अगर विभागीय आंकड़ो पर गौर करें, तो जिले में इस बार 60 हजार हेक्टेयर में गेहूं, करीब 36 हजार हेक्टेयर में मक्का, दलहन के लिए 46.10 और तिलहन को लेकर 82.70 हेक्टेयर लक्ष्य है. अब तक जिले में 33.41 प्रतिशत के करीब रबी की बोआई हो चुकी है. लेकिन शुरुआती वक्त में ही प्रकृति ने दगा देना शुरू कर दिया है.

समस्तीपुर से अमित की रिपोर्ट

'60 फीसदी बीज खराब'
तापमान अनुरूप से कम होने के कारण गेहूं के बीजों का जर्मीनेशन खराब हो सकता है. सरकारी अनुदान पर मिलने वाले बीज में भी खेल हो गया. जानकार तो यह आरोप लगा रहे है कि गेहूं का बीज 60 फीसदी से ज्यादा खराब ही है.

खेतों के हाल
खेतों के हाल

जानकारी का अभाव...
दरअसल, इस बार किसानों को अनुदान पर मिलने वाले बीज को लेकर किसानों में जानकारी का आभाव है. इससे जुड़ी प्रक्रियाओं को भी काफी जटिल कर दिया गया है. सरकार से जुड़े लोगों का भी मानना है कि किसानों को लेकर केंद्र और राज्य की सरकार गंभीर है लेकिन अधिकारी स्तर पर उस काम सही से नहीं हो रहा है. बहरहाल, अन्नदाताओं ने तो पूरी ताकत झोंक दी है. अब देखना होगा प्रकृति और सम्बंधित प्रशासन कितना मेहरबान रहता है.

समस्तीपुर: खरीफ फसल को लेकर जंहा अन्नदाताओं के हाथ खाली रह गए. वहीं, रबी की फसल में भी प्रकृति और सिस्टम ने दगा देना शुरू कर दिया. ऐसे तो किसानों ने लक्ष्य के अनुरूप खेती में पूरी ताकत झोंक दी है. अब सबकुछ ऊपर वाले और नीचे वालों के मेहरबानी पर निर्भर है.

कृषि विभाग ने इस बार जिले में रबी फसल की खेती को लेकर 10 लाख 9 हजार 330 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में किसान अपनी तैयारी में जरूर जुटे हैं. लेकिन शुरुआती वक्त में ही कई बाधाएं इनकी राह में खड़ी हैं. अगर विभागीय आंकड़ो पर गौर करें, तो जिले में इस बार 60 हजार हेक्टेयर में गेहूं, करीब 36 हजार हेक्टेयर में मक्का, दलहन के लिए 46.10 और तिलहन को लेकर 82.70 हेक्टेयर लक्ष्य है. अब तक जिले में 33.41 प्रतिशत के करीब रबी की बोआई हो चुकी है. लेकिन शुरुआती वक्त में ही प्रकृति ने दगा देना शुरू कर दिया है.

समस्तीपुर से अमित की रिपोर्ट

'60 फीसदी बीज खराब'
तापमान अनुरूप से कम होने के कारण गेहूं के बीजों का जर्मीनेशन खराब हो सकता है. सरकारी अनुदान पर मिलने वाले बीज में भी खेल हो गया. जानकार तो यह आरोप लगा रहे है कि गेहूं का बीज 60 फीसदी से ज्यादा खराब ही है.

खेतों के हाल
खेतों के हाल

जानकारी का अभाव...
दरअसल, इस बार किसानों को अनुदान पर मिलने वाले बीज को लेकर किसानों में जानकारी का आभाव है. इससे जुड़ी प्रक्रियाओं को भी काफी जटिल कर दिया गया है. सरकार से जुड़े लोगों का भी मानना है कि किसानों को लेकर केंद्र और राज्य की सरकार गंभीर है लेकिन अधिकारी स्तर पर उस काम सही से नहीं हो रहा है. बहरहाल, अन्नदाताओं ने तो पूरी ताकत झोंक दी है. अब देखना होगा प्रकृति और सम्बंधित प्रशासन कितना मेहरबान रहता है.

Intro:खरीफ फसल को लेकर जंहा अन्नदाताओं के हाथ खाली रह गए , वंही रबी फसल में भी प्रकृति व सिस्टम ने दगा देना शुरू कर दिया । वैसे किसानों ने लक्ष्य के अनुरूप खेती में पूरी ताकत झोंक दी है , अब सबकुछ ऊपर वाले व निचेवालों के मेहरबानी पर निर्भर है ।


Body:कृषि विभाग ने इस बार जिले में रबी फसल के खेती को लेकर 109330 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया है । वैसे किसान अपनी तैयारी में जरूर जुटे है , लेकिन शुरुआती वक्त में ही कई बाधाएं इनके राह में खड़े है । वैसे अगर विभागीय आंकड़ो पर गौर करे तो , जिले में इस बार 60 हजार हेक्टेयर में गेंहू , करीब 36 हजार हेक्टेयर में मक्का वंही दलहन के लिए 46.10 व तेलहन को लेकर 82.70 हेक्टेयर लक्ष्य है। वैसे अब तक जिले में 33.41 प्रतिशत के करीब रबी की बोआई हो चुकी है । लेकिन शुरुआती वक्त में ही प्रकृति ने जंहा दगा देना शुरू कर दिया है । तापमान अनुरूप से कम होने के कारण गेंहू के बीज का जर्मीनेशन खराब हो सकता है । वंही सरकारी अनुदान पर मिलने वाले बीज में भी खेल हो गया । जानकर तो यह आरोप लगा रहे है की , गेंहू का बीज 60 फीसदी से ज्यादा खराब ही है ।

बाईट - जयशंकर सिंह , विशेषज्ञ ।

वीओ - दरअसल इस बार किसानों को अनुदान पर मिलने वाले बीज को लेकर किसानों में जानकारी का आभाव है , वंही इससे जुड़ी प्रक्रियाओं को काफी जटिल कर दिया गया है । वैसे सरकार से जुड़े लोगों का भी मानना है की , किसानों को लेकर केंद्र व राज्य की सरकार गंभीर है लेकिन अधिकारी स्तर पर उस अनुरूप काम नही हो रहा ।

बाईट - उमाशंकर मिश्र , नेता , लोजपा ।


Conclusion:बहरहाल अन्नदाताओं ने तो पूरी ताकत झोंक दी है , अब देखना होगा प्रकृति व सम्बंधित प्रशासन कितना मेहरबान रहता है ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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