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समस्तीपुर में अन्नदाताओं के लिए जी का जंजाल बना धान - बिचौलियों

समस्तीपुर में अन्नदाताओं को पहले जहां मौसम की बेरुखी ने रुलाया था. वहीं, अब सिस्टम की मार ने परेशान कर रखा है. धान खरीद को लेकर सुस्त मशीनरी के कारण बेबस अन्नदाता अब बिचौलियों के चंगुल में फंस रहे हैं.

किसान
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Published : Dec 9, 2020, 3:40 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 4:18 PM IST

समस्तीपुर: जिले में बीते साल की तुलना में इस साल धान की पैदावार 7 से 8 लाख टन कम हुई है. बाढ़ और भारी बारिश की वजह से इस साल महज 14.83 लाख टन ही धान का उत्पादन हुआ है. बहरहाल पहले अन्नदाताओं पर प्रकृति का प्रकोप पड़ा है. वहीं, अब धान खरीद प्रक्रिया में लचर सरकारी व्यवस्था के चलते किसानों को परेशानी का समना करना पड़ रहा है.

धान बिक्री केंद्रों पर लचर व्यवस्था
धान बिक्री केंद्रों पर लचर व्यवस्था

बिचौलियों के चंगुल में फंस रहे किसान
जहां सरकारी मशीनरी नियमों में उलझी है. वहीं, किसान बिचौलियों के चंगुल में फंसते जा रहे हैं. अगर जिले में धान क्रय केंद्रों पर गौर करें तो, वर्तमान साल में 8 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य तय किया है. जिले में 283 समितियां और 12 प्रखंड में बने व्यापार मंडल के जरिये किसान अपने धान को बेच सकते हैं.

सुस्त मशीनरी के कारण बेबस अन्नदाता
सुस्त मशीनरी के कारण बेबस अन्नदाता

धान बिक्री केंद्रों पर लचर व्यवस्था
जिला सहकारिता विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक यहां 5 हजार किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. लेकिन धान बिक्री केंद्रों पर नियमों की लचर व्यवस्था के चलते किसान क्रय केंद्रों से ज्यादा औने पौने दामों में बिचौलियों के हाथों धान बेचने को मजबूर है. वैसे धान खरीद को लेकर हो रही देरी और नियमों को लेकर जिला सहकारिता समिति के अध्यक्ष ने भी माना कि धान खरीद की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है. साथ ही उन्होंने किसानों को सरकारी क्रय केंद्रों पर ही धान बेचने की अपील की है.

अन्नदाताओं के लिए जी का जंजाल बना धान

किसान औने पौने दामों में बेच रहे धान
गौरतलब है कि वर्तमान में धान का सरकारी मूल्य 1868 रूपये तय किया गया है. जो पिछले साल से करीब 51 रुपये अधिक है, लेकिन क्रय केंद्रों पर धान में नमी को लेकर जारी नियम और लेटलतीफी के कारण किसान अपनी फसल को बिचौलियों के हाथों ही औने पौने दामों में बेच रहे हैं.

समस्तीपुर: जिले में बीते साल की तुलना में इस साल धान की पैदावार 7 से 8 लाख टन कम हुई है. बाढ़ और भारी बारिश की वजह से इस साल महज 14.83 लाख टन ही धान का उत्पादन हुआ है. बहरहाल पहले अन्नदाताओं पर प्रकृति का प्रकोप पड़ा है. वहीं, अब धान खरीद प्रक्रिया में लचर सरकारी व्यवस्था के चलते किसानों को परेशानी का समना करना पड़ रहा है.

धान बिक्री केंद्रों पर लचर व्यवस्था
धान बिक्री केंद्रों पर लचर व्यवस्था

बिचौलियों के चंगुल में फंस रहे किसान
जहां सरकारी मशीनरी नियमों में उलझी है. वहीं, किसान बिचौलियों के चंगुल में फंसते जा रहे हैं. अगर जिले में धान क्रय केंद्रों पर गौर करें तो, वर्तमान साल में 8 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य तय किया है. जिले में 283 समितियां और 12 प्रखंड में बने व्यापार मंडल के जरिये किसान अपने धान को बेच सकते हैं.

सुस्त मशीनरी के कारण बेबस अन्नदाता
सुस्त मशीनरी के कारण बेबस अन्नदाता

धान बिक्री केंद्रों पर लचर व्यवस्था
जिला सहकारिता विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक यहां 5 हजार किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. लेकिन धान बिक्री केंद्रों पर नियमों की लचर व्यवस्था के चलते किसान क्रय केंद्रों से ज्यादा औने पौने दामों में बिचौलियों के हाथों धान बेचने को मजबूर है. वैसे धान खरीद को लेकर हो रही देरी और नियमों को लेकर जिला सहकारिता समिति के अध्यक्ष ने भी माना कि धान खरीद की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है. साथ ही उन्होंने किसानों को सरकारी क्रय केंद्रों पर ही धान बेचने की अपील की है.

अन्नदाताओं के लिए जी का जंजाल बना धान

किसान औने पौने दामों में बेच रहे धान
गौरतलब है कि वर्तमान में धान का सरकारी मूल्य 1868 रूपये तय किया गया है. जो पिछले साल से करीब 51 रुपये अधिक है, लेकिन क्रय केंद्रों पर धान में नमी को लेकर जारी नियम और लेटलतीफी के कारण किसान अपनी फसल को बिचौलियों के हाथों ही औने पौने दामों में बेच रहे हैं.

Last Updated : Dec 14, 2020, 4:18 PM IST
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