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पति की दीर्घायु के लिए किए जाने वाले मधुश्रावणी पूजन पर दिखा कोरोना का असर - effect of corona seen on madhushravani puja

मिथिलांचल में नवविवाहिता का सबसे बड़ा पर्व माने जाने वाले मधुश्रावणी पूजन पर इस बार कोरोना का खासा असर देखने को मिला. महिलाएं घरों में ही पूजा करके पति की लंबी उम्र की कामना करती नजर आई.

मधुश्रावणी पूजन
मधुश्रावणी पूजन
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Published : Jul 23, 2020, 4:21 PM IST

समस्तीपुर: मधुश्रावणी पूजन मिथिलांचल में नवविवाहिताओं का सबसे बड़ा पर्व कहा जाता है. लेकिन, कोरोना और लॉकडाउन का असर इस साल इसपर भी देखने को मिला. बीते 14 जुलाई से मधुश्रावणी पूजन शुरू हुआ है. इसका समापन गुरुवार को पूजा-पाठ के साथ हुआ. इस साल त्योहार की रंगत फीकी नजर आई.

samastipur
मधुश्रावणी पूजन पर दिखा कोरोना का असर

गुरुवार को मधुश्रावणी पूजन के आखिरी दिन जिले के विभिन्न जगहों पर नवविवाहिता ने पूजा-पाठ किया. मिथिलांचल से सटे होने के कारण समस्तीपुर जिले में भी इसकी बड़ी आस्था है. मधुश्रावणी पूजा विषैले सांपों से अपने पति की रक्षा के लिए मनाया जाता है. परंपरा है कि इस दौरान नवविवाहिताएं भगवान से रंग-बिरंगे फूल-पत्ती चुनकर उसे रात भर सुरक्षित रखती हैं और सुबह में उस बासी फूल-पत्ते से नाग-नागिन और शिव-पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

samastipur
मधुश्रावणी पूजा करने पहुंची नवविवाहिताएं

कम संख्या में नजर आईं महिलाएं
मिथिलांचल में सिर्फ यही एक पर्व है जिसमें पुरोहित भी महिलाएं ही होती हैं. महिलाएं समूह में निकलकर फूल चुनती हैं. आपस में हंसी-ठिठोली करती हैं. यह दृश्य बड़ा ही मनमोहक होता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के भय के कारण इक्का-दुक्का महिलाएं ही सड़कों और मंदिरों में नजर आई. पूजा-अर्चना के बाद महिलाएं समूह बनाकर कथा सुनती हैं. लेकिन, इस साल कोरोना के कारण ऐसी तस्वीरें देखने को नहीं मिली.

समस्तीपुर: मधुश्रावणी पूजन मिथिलांचल में नवविवाहिताओं का सबसे बड़ा पर्व कहा जाता है. लेकिन, कोरोना और लॉकडाउन का असर इस साल इसपर भी देखने को मिला. बीते 14 जुलाई से मधुश्रावणी पूजन शुरू हुआ है. इसका समापन गुरुवार को पूजा-पाठ के साथ हुआ. इस साल त्योहार की रंगत फीकी नजर आई.

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मधुश्रावणी पूजन पर दिखा कोरोना का असर

गुरुवार को मधुश्रावणी पूजन के आखिरी दिन जिले के विभिन्न जगहों पर नवविवाहिता ने पूजा-पाठ किया. मिथिलांचल से सटे होने के कारण समस्तीपुर जिले में भी इसकी बड़ी आस्था है. मधुश्रावणी पूजा विषैले सांपों से अपने पति की रक्षा के लिए मनाया जाता है. परंपरा है कि इस दौरान नवविवाहिताएं भगवान से रंग-बिरंगे फूल-पत्ती चुनकर उसे रात भर सुरक्षित रखती हैं और सुबह में उस बासी फूल-पत्ते से नाग-नागिन और शिव-पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

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मधुश्रावणी पूजा करने पहुंची नवविवाहिताएं

कम संख्या में नजर आईं महिलाएं
मिथिलांचल में सिर्फ यही एक पर्व है जिसमें पुरोहित भी महिलाएं ही होती हैं. महिलाएं समूह में निकलकर फूल चुनती हैं. आपस में हंसी-ठिठोली करती हैं. यह दृश्य बड़ा ही मनमोहक होता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के भय के कारण इक्का-दुक्का महिलाएं ही सड़कों और मंदिरों में नजर आई. पूजा-अर्चना के बाद महिलाएं समूह बनाकर कथा सुनती हैं. लेकिन, इस साल कोरोना के कारण ऐसी तस्वीरें देखने को नहीं मिली.

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