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समस्तीपुर: मन्नीपुर माता मंदिर में 115 वर्षो का टूटेगा परंपरा, भक्त नहीं भर पाएंगे खोईंछा

नवरात्र जैसे मौके पर मन्नीपुर स्थित मां दुर्गा का शक्ति स्थल पर खोईंछा भरने पर प्रतिबंध है. प्रशासन ने कोविड-19 प्रोटोकॉल के निर्देश जारी किए.

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Published : Oct 23, 2020, 5:42 PM IST

समस्तीपुर: इस बार नवरात्र में कोरोना के कारण 115 वर्षों का पुरानी पंरपरा टुटेगा. क्योंकि इस बार दुर्गा पूजा में शक्ति स्थल मन्नीपुर मंदिर में भक्त मां का खोईंछा नहीं भर पाएंगे. दरअसल कोविड-19 प्रोटोकॉल के निर्देशों को लेकर मंदिर प्रशासन नें सार्वजनिक पूजा पाठ पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दी है.

बता दें कि वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र के मन्नीपुर स्थित मां दुर्गा का शक्ति स्थल पर सामान्य दिनों में जंहा दूर-दूर से भक्त दर्शन को आते हैं. वहीं नवरात्र जैसे मौके पर तो यहां खोईंछा भरने को लेकर तो भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है. लेकिन इस शारदीय नवरात्र सिर्फ यहां संकल्पकर्ता के परिवार के अलावे अन्य भक्तों के खोईंछा भरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

भक्तों के खोईंछा भरने पर प्रतिबंध
मंदिर के पुजारी जगरनाथ झा ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत प्रशासनिक प्रतिबंध को देखते हुए, मंदिर प्रशासन ने लोगों के हित में यह फैसला लिया है. वहीं उन्होंने कहा कि सिर्फ यहां संकल्पकर्ता के परिवार के सदस्य ही खोईंछा भर पाएंगे. वैसे नवरात्र के मौके पर दूर दराज से आने वाले भक्तों के लिए मुख्य द्वार पर प्रसाद लेने का व्यवस्था किया जाएगा और साथ ही मंदिर समिति के सदस्य भक्तों का प्रसाद खुद माता को चढ़ाकर बांटेंगे.

कोरोना ने तोड़ा परंपरा
गौरतलब हैं कि 1904 से ही यहां माता के आपरूपी स्वरूप की पूजा अर्चना हो रही है. वैष्णवी स्वरूप में अवस्थित माता का आराधना यहां मिथिला पद्धति से होता है. वहीं 115 वर्षों का यह परंपरा इस वर्ष कोरोना के कारण टूट रहा है.

समस्तीपुर: इस बार नवरात्र में कोरोना के कारण 115 वर्षों का पुरानी पंरपरा टुटेगा. क्योंकि इस बार दुर्गा पूजा में शक्ति स्थल मन्नीपुर मंदिर में भक्त मां का खोईंछा नहीं भर पाएंगे. दरअसल कोविड-19 प्रोटोकॉल के निर्देशों को लेकर मंदिर प्रशासन नें सार्वजनिक पूजा पाठ पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दी है.

बता दें कि वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र के मन्नीपुर स्थित मां दुर्गा का शक्ति स्थल पर सामान्य दिनों में जंहा दूर-दूर से भक्त दर्शन को आते हैं. वहीं नवरात्र जैसे मौके पर तो यहां खोईंछा भरने को लेकर तो भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है. लेकिन इस शारदीय नवरात्र सिर्फ यहां संकल्पकर्ता के परिवार के अलावे अन्य भक्तों के खोईंछा भरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

भक्तों के खोईंछा भरने पर प्रतिबंध
मंदिर के पुजारी जगरनाथ झा ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत प्रशासनिक प्रतिबंध को देखते हुए, मंदिर प्रशासन ने लोगों के हित में यह फैसला लिया है. वहीं उन्होंने कहा कि सिर्फ यहां संकल्पकर्ता के परिवार के सदस्य ही खोईंछा भर पाएंगे. वैसे नवरात्र के मौके पर दूर दराज से आने वाले भक्तों के लिए मुख्य द्वार पर प्रसाद लेने का व्यवस्था किया जाएगा और साथ ही मंदिर समिति के सदस्य भक्तों का प्रसाद खुद माता को चढ़ाकर बांटेंगे.

कोरोना ने तोड़ा परंपरा
गौरतलब हैं कि 1904 से ही यहां माता के आपरूपी स्वरूप की पूजा अर्चना हो रही है. वैष्णवी स्वरूप में अवस्थित माता का आराधना यहां मिथिला पद्धति से होता है. वहीं 115 वर्षों का यह परंपरा इस वर्ष कोरोना के कारण टूट रहा है.

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