समस्तीपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को कम करने और दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन कराने के लिए पहली बार पितृपक्ष मेले पर प्रतिबंध लगा है. विश्व में मोक्षधाम से प्रसिद्ध गया जी में पितृपक्ष में राजकीय मेला का आयोजन किया जाता था. इस वर्ष कोरोना वायरस से बचाव को लेकर राज्य सरकार ने मेला को स्थगित कर दिया है.
प्रत्येक वर्ष 15 दिनों का यह खास पर्व पितृपक्ष में लोग गया जाकर अपने पूर्वजों का पिंडदान किया करते थे. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण लोग घर पर ही अपने पूर्वजों का किया पिंडदान कर रहे है.
श्राद्ध पक्ष का आज अंतिम दिन
श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और अब सभी को सर्वपितृ अमावस्या का इंतजार है. उस दिन ज्ञात-अज्ञात पिरतों का श्राद्ध किया जाता है. इस बार सर्वपितृ अमावस्या आज है. इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है. सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है. यह पितरों की विदाई का दिन होता है. इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. जो की लोग आज सर्व पितृ अमावस्या मना रहे है. शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के नाम श्राद्ध कर्म करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. पूर्वजों के आशीर्वाद से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है.
घर पर ही कर रहे पिंडदान
गौरतलब है कि पितृपक्ष में मोक्ष नगरी गया जाकर जहां लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान किया करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में लोग अपने घर पर ही अपने पूर्वजों के नाम किया पिंड दान कर रहे है. इस वर्ष पितृपक्ष स्थगित रखा गया है इसमें गाइडलाइंस बहुत क्लियर है कि पितृपक्ष के दौरान लोग गया नहीं आये लोगों को विभिन्न माध्यम से सूचीत किया गया है. इस वर्ष पूरे देश मे पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं किया गया है, यहां तक कि श्रवणी मेला का भी आयोजन नहीं किया गया था. ऐसे मेला में सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो इस वर्ष पितृपक्ष स्थगित रखा गया है.