समस्तीपुर: नीतीश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट, वर्तमान चुनाव में सत्ताधारी दल के लिए ही समस्या का कारण बन सकता है. दूसरे शासनकाल के दौरान नीतीश सरकार ने 2011 में बख्तियारपुर ताजपुर फोर लेन का शिलान्यास किया था. इसे पूरा करने के लिए डेडलाइन 2016 तय किया गया था. धरातल पर इसका हाल देखें तो, अभी इसमे 50 फीसदी से भी ज्यादा काम बाकी है.
सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट अधूरा
गंगा के दक्षिण बख्तियारपुर और उत्तर दिशा में अवस्थित समस्तीपुर जिले को जोड़ने वाला बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु, सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसके बनने से उत्तर और दक्षिण बिहार के लोगों के सड़क यातायात की सुविधा में बढ़ोतरी होगी. वहीं इस फोर लेन को लेकर मोरवा विधानसभा की बात करें तो ,यहां एक दो पाये जरूर बनाये गये हैं. किसानों के जमीनों का अधिग्रहण भी कर लिया गया हैं. लेकिन शिलान्यास के करीब 10 सालों बाद भी योजना ठंडे बस्ते में बंद है.
' फोर लेन चुनाव का बड़ा मुद्दा '
मोरवा विधानसभा क्षेत्र में यह फोर लेन इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा है. इस विधानसभा क्षेत्र के ताजपुर तक आने वाले इस सड़क को लेकर , स्थानीय स्तर पर भी विरोध के स्वर सुनायी देने लगे हैं. सवाल ये कि, क्या यह सड़क इस बार मोरवा सीट के जीत की राह में ब्रेकर बन सकता है. वैसे 2008 में नए परिसीमन के बाद बने इस विधानसभा सीट पर जेडीयू का ही कब्जा रहा है. वहीं इस बार के चुनाव में इस मुद्दे के हावी होते ही जेडीयू डैमेज कंट्रोल में लगा है. और अधूरे काम का ठीकरा निर्माण में लगे एजेंसी पर फोड़ रहा है.
स्थानीय लोगों में रोष
बख्तियारपुर-ताजपुर फोर लेन के बन जाने से इस क्षेत्र का बेहतर विकास होगा. साथ ही यहां के लोगों के आय का जरिया भी बढ़ेगा. लेकिन लंबे इंतजार के बाद भी ये फोरलेन पूरा नहीं किया जा सका है. ऐसे में स्थानीय लोगों में भी नाराजगी है. और इस बार के बिहार विधानसभा 2020 के चुनाव में ये एक अहम मुद्दा बना हुआ है.