समस्तीपुर: सरकार बाल मजदूरी रोकने को लेकर चाहे जितनी कठोर कानून बना ले, लेकिन बाल मजदूरी रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा उदाहरण है जयपुर के चूड़ी बनाने वाली फैक्ट्री का, जहां से बिहार के 129 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया. सभी बच्चों को पुनर्वास के लिए उनके अपने जिले में लाया गया.
समस्तीपुर जिले के हैं 28 बच्चे
सबसे पहले मासूम बच्चों को बस से स्वास्थ्य जांच करवाने के लिए सदर अस्पताल लाया गया. मुक्त कराये गए सारे बच्चे दलालों के चंगुल में फंस कर चन्द रुपयों की खातिर अपने भविष्य को गिरवी रख कर जयपुर शहर में चूड़ी फैक्ट्री में बाल मजदूरी कर रहे थे. प्रयास संस्था ने जयपुर शहर में बाल मजदूरी की शिकायत पर कार्रवाई की, जिसमें बिहार के अलग-अलग जिले के 129 बच्चों को निकाला गया. इसमें 28 बच्चे समस्तीपुर जिले के हैं. सभी बच्चों को समस्तीपुर जिले के प्रयास संस्था के हवाले कर दिया गया. प्रयास संस्था ने सारे मासूम बच्चों को बस के जरिए समस्तीपुर सदर अस्पताल ले जाकर उनका स्वास्थ्य जांच कराया.
2,000 से 2,500 रूपये महीने पर करवाते थे काम
बाल मजदूरी से मुक्त हुए मासूम बच्चों का कहना है कि उन्हें दो हजार से पच्चीस सौ रुपये मजदूरी मिलती थी. इतनी ही मजदूरी में वे चूड़ी फैक्ट्री में दिन रात काम कर रहे थे. बच्चों ने बताया कि उनके अगल-बगल के लोग वहां पहले से काम कर रहे थे. वही लोग इन्हें भी इनके माता-पिता से बात कर काम कराने की बात कह कर अपने साथ ले गए और चूड़ी फैक्ट्री में 2000 से 2500 रूपये महीने पर नौकरी दिलवा दी.
बच्चों में खुशी का माहौल
घर लौटे बच्चों में खुशी का माहौल देखा गया. इनके साथ आए प्रयास संस्था के कॉर्डिनेटर का कहना है कि इन मासूमों को फिलहाल प्रयास संस्था में रखकर इनकी काउंसलिंग की जाएगी. उसके बाद इनके माता-पिता को खबर कर इन बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा. फिलहाल सभी बच्चे प्रयास संस्था के हवाले हैं.