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कचरे में फेकें जा रहे हैं नवजात, लेकिन बाल संरक्षण विभाग का 'पालना' सूना ! - foundation of palna three years ago

नवजात बच्चों की देखभाल करने और उनको पालने के लिए जिले में तीन वर्षों से पालना शिशु स्वागत योजना संचालित की जा रही है. लेकिन तमाम प्रसार के बाद किसी ने बच्चे को पालना में नहीं दिया.

सुना पड़ा पालना
सुना पड़ा पालना
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Published : Jan 17, 2021, 7:52 AM IST

Updated : Jan 17, 2021, 8:00 AM IST

समस्तीपुर: नवजात बच्चे जिनके लालन-पालन में उनके माता-पिता असहाय है कई बार वह लालन-पालन करने में सक्षम नहीं होते, ऐसे बच्चों को पालने के लिए बाल संरक्षण इकाई ने पालना शिशु स्वागत योजना की शुरूआत की थी. तीन वर्ष बीत जाने के बाद एक भी बच्चे को इस योजना के लिए लोगों ने नहीं दिया. जबकि लोग कई जगहों पर नवजात को कूड़े और कचरे में फेंके जा रहे हैं. जोकि बाल संरक्षण इकाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं.


तीन वर्ष पूर्व रखा गया था पालना
"इधर -उधर फेंके नहीं , हमें दें , हम करेंगे उसका पालन" बाल संरक्षण इकाई ने इसी स्लोगन के साथ बीते तीन वर्ष पूर्व जिले में पालना शिशु स्वागत योजना की नींव रखी थी. जिससे माता-पिता जो अपने नवजात को किसी कारण से लालन-पालन करने में असमर्थ हों, वह अपने नवजात को बाल संरक्षण इकाई के पालना में रख दें. इस योजना के तहत जिले में करीब पंद्रह सार्वजनिक स्थानों पर पालना रखा गया है. जिसमें सदर अस्पताल समेत अन्य कई सरकारी अस्पताल शामिल हैं. कूड़े और कचरे में नवजात फेंके जाने की जानकारी मिलती रहती है. लेकिन इस योजना के तहत बाल संरक्षण इकाई का पालना अबतक सूना है.

पालना
पालना
जिला अस्पताल, सभी पीएचसी और ममता केंद्र पर पालना लगाया गया है. लेकिन आज तक हमेंं एक भी बच्चा पालने से नहीं मिला है- गायत्री कुमारी, सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई
देखें रिपोर्ट

इसे भी पढे़ं- 'बिहार में अपराध' के सवाल पर भड़के DGP, कहा- मेरे कार्यकाल में नहीं, 2019 में हुए ज्यादा अपराध

जागरूकता का रहा अभाव

नवजात बच्चों को कूड़े कचरे में फेंका जा रहा है लेकिन बाल संरक्षण इकाई का पालना सूना है. इसमें कहीं न कहीं विभाग भी जिम्मेदार है. दरअसल यह योजना शुरू कर खुद विभाग इसे भूल गया. विभाग ने योजना शुरू करने के बाद न तो जागरूकता और न ही पालना को लेकर गंभीरता दिखाई. जिले के कई स्थानों पर अब यह पालना ढूंढने से भी नहीं मिल रहा. जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में इसका हाल बखूबी देखा व समझा जा सकता है. जहां शौचालय के पास कोने में यह पालना फेंका हुआ है. बहरहाल सिस्टम के लापरवाह रवैये पर कई सामाजिक कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं.

समस्तीपुर: नवजात बच्चे जिनके लालन-पालन में उनके माता-पिता असहाय है कई बार वह लालन-पालन करने में सक्षम नहीं होते, ऐसे बच्चों को पालने के लिए बाल संरक्षण इकाई ने पालना शिशु स्वागत योजना की शुरूआत की थी. तीन वर्ष बीत जाने के बाद एक भी बच्चे को इस योजना के लिए लोगों ने नहीं दिया. जबकि लोग कई जगहों पर नवजात को कूड़े और कचरे में फेंके जा रहे हैं. जोकि बाल संरक्षण इकाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं.


तीन वर्ष पूर्व रखा गया था पालना
"इधर -उधर फेंके नहीं , हमें दें , हम करेंगे उसका पालन" बाल संरक्षण इकाई ने इसी स्लोगन के साथ बीते तीन वर्ष पूर्व जिले में पालना शिशु स्वागत योजना की नींव रखी थी. जिससे माता-पिता जो अपने नवजात को किसी कारण से लालन-पालन करने में असमर्थ हों, वह अपने नवजात को बाल संरक्षण इकाई के पालना में रख दें. इस योजना के तहत जिले में करीब पंद्रह सार्वजनिक स्थानों पर पालना रखा गया है. जिसमें सदर अस्पताल समेत अन्य कई सरकारी अस्पताल शामिल हैं. कूड़े और कचरे में नवजात फेंके जाने की जानकारी मिलती रहती है. लेकिन इस योजना के तहत बाल संरक्षण इकाई का पालना अबतक सूना है.

पालना
पालना
जिला अस्पताल, सभी पीएचसी और ममता केंद्र पर पालना लगाया गया है. लेकिन आज तक हमेंं एक भी बच्चा पालने से नहीं मिला है- गायत्री कुमारी, सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई
देखें रिपोर्ट

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जागरूकता का रहा अभाव

नवजात बच्चों को कूड़े कचरे में फेंका जा रहा है लेकिन बाल संरक्षण इकाई का पालना सूना है. इसमें कहीं न कहीं विभाग भी जिम्मेदार है. दरअसल यह योजना शुरू कर खुद विभाग इसे भूल गया. विभाग ने योजना शुरू करने के बाद न तो जागरूकता और न ही पालना को लेकर गंभीरता दिखाई. जिले के कई स्थानों पर अब यह पालना ढूंढने से भी नहीं मिल रहा. जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में इसका हाल बखूबी देखा व समझा जा सकता है. जहां शौचालय के पास कोने में यह पालना फेंका हुआ है. बहरहाल सिस्टम के लापरवाह रवैये पर कई सामाजिक कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं.

Last Updated : Jan 17, 2021, 8:00 AM IST
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