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तारे जमीन पर! मिलिए बिहार के कुंदन से, कलर ब्लाइंडनेस के बावजूद भर रहे हैं रंग

कुंदन रंगों को देख नहीं पाते हैं पर उनकी बनाई रंगीन कलाकृतियों को देख लोग दांतो तले उंगली दबा लेते हैं.

कागज पर उकेरी कला
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Published : Mar 27, 2019, 12:26 PM IST

समस्तीपुर: टूटकर बिखरने वाले की नैया यूं ही पार नहीं होती और मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती. समस्तीपुर जिले के होनहार कुंदन कुमार पर यह पंक्तिया सटीक बैठती हैं. कुंदन रंगों को देख नहीं पाते हैं पर उनकी बनाई रंगीन कलाकृतियों को देख लोग दांतो तले उंगली दबा लेते हैं.

बचपन से ही कुंदन को कलर ब्लाइंडनेस है, बावजूद इसके आज वो यूथ मोटिवेटर बन चुके हैं. अपने कलर ब्लाइंडनेस को दरकिनार कर कुंदन मूर्ति और चित्र में रंग भरने में पारंगत हो चुके हैं. इसके लिए उनको कई सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.

painting
मिल चुके हैं कई अवार्ड

टीचर ने दिया साथ
आज जो रंग बिरंगी कलाकृतियां कुंदन कागज और कार्ड बोर्ड पर उकेर रहे हैं, उसका श्रेय वे अपनी टीचर और बहन को देते हैं. बचपन से ही पेंटिग का शौक रखने वाले कुंदन कुमार ने स्नातक के बाद एमबीए किया. आर्टस में गहरी रूचि थी पर सामने बड़ी चुनौती थी कलर ब्लाइंडनेस. रंगों में फेरबदल के चलते कई बार उनका मजाक बनाया गया. मगर ऐसे हालातों के बावजूद उन्होंने आर्टिस्ट बनने का सपना नहीं छोड़ा.

painting
कलाकृतियों के माध्यम से देते हैै संदेश

नागपुर में पढ़ाई के दौरान कुंदन ने अपने एचओडी मैडम के कहने पर पेंटिंगकॉम्पिटिशनमें भाग लिया था. अब उनके सामने पेंटिंग में रंग कैसे भरा जाए, ये समस्या थी. इस बारे में कुंदन बताते हैं कि मेरी बहन मुझसे कहा कि रंग भरने के लिए मैं डिब्बे से पढ़कर तुम्हें दूंगी और तुम रंग भरो इस तरीके से मैफर्स्ट रनरअप रहा.

रंग बिरंगी कलाकृतियों से जीत रहे लोगों का दिल

लोकगीतों पर बनाई पेंटिंग
बिहार आने के बाद कुंदन ने प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों पर मिथिला पेंटिंग बनाई. इसके साथ ही शारदा सिन्हा को उनकी ही मूर्ति भेंट स्वरूप देकर अपना बरसों पुराना सपना पूरा किया. मजबूरी और तकलीफों को झेलने के बाद कुंदन आज इस मुकाम पर जहां वो आज पहचान के मोहताज नहीं हैं, बल्कि उनकी बनाई कलाकृतियां बोलती है.

समस्तीपुर: टूटकर बिखरने वाले की नैया यूं ही पार नहीं होती और मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती. समस्तीपुर जिले के होनहार कुंदन कुमार पर यह पंक्तिया सटीक बैठती हैं. कुंदन रंगों को देख नहीं पाते हैं पर उनकी बनाई रंगीन कलाकृतियों को देख लोग दांतो तले उंगली दबा लेते हैं.

बचपन से ही कुंदन को कलर ब्लाइंडनेस है, बावजूद इसके आज वो यूथ मोटिवेटर बन चुके हैं. अपने कलर ब्लाइंडनेस को दरकिनार कर कुंदन मूर्ति और चित्र में रंग भरने में पारंगत हो चुके हैं. इसके लिए उनको कई सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.

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मिल चुके हैं कई अवार्ड

टीचर ने दिया साथ
आज जो रंग बिरंगी कलाकृतियां कुंदन कागज और कार्ड बोर्ड पर उकेर रहे हैं, उसका श्रेय वे अपनी टीचर और बहन को देते हैं. बचपन से ही पेंटिग का शौक रखने वाले कुंदन कुमार ने स्नातक के बाद एमबीए किया. आर्टस में गहरी रूचि थी पर सामने बड़ी चुनौती थी कलर ब्लाइंडनेस. रंगों में फेरबदल के चलते कई बार उनका मजाक बनाया गया. मगर ऐसे हालातों के बावजूद उन्होंने आर्टिस्ट बनने का सपना नहीं छोड़ा.

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कलाकृतियों के माध्यम से देते हैै संदेश

नागपुर में पढ़ाई के दौरान कुंदन ने अपने एचओडी मैडम के कहने पर पेंटिंगकॉम्पिटिशनमें भाग लिया था. अब उनके सामने पेंटिंग में रंग कैसे भरा जाए, ये समस्या थी. इस बारे में कुंदन बताते हैं कि मेरी बहन मुझसे कहा कि रंग भरने के लिए मैं डिब्बे से पढ़कर तुम्हें दूंगी और तुम रंग भरो इस तरीके से मैफर्स्ट रनरअप रहा.

रंग बिरंगी कलाकृतियों से जीत रहे लोगों का दिल

लोकगीतों पर बनाई पेंटिंग
बिहार आने के बाद कुंदन ने प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों पर मिथिला पेंटिंग बनाई. इसके साथ ही शारदा सिन्हा को उनकी ही मूर्ति भेंट स्वरूप देकर अपना बरसों पुराना सपना पूरा किया. मजबूरी और तकलीफों को झेलने के बाद कुंदन आज इस मुकाम पर जहां वो आज पहचान के मोहताज नहीं हैं, बल्कि उनकी बनाई कलाकृतियां बोलती है.

Intro:समस्तीपुर टूट कर बिखरने वाले की नैया यूं ही पार नहीं होती और मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती ।यह उक्तियां सटीक बैठती है समस्तीपुर जिले के होनहार कुंदन कुमार पर। कुंदन रंगों को देख नहीं पाते हैं पर उनकी बनाई रंगीन कलाकृतियां को देख लोग दांत तले उंगली दबा लेते हैं। अपने कलर ब्लाइंडनेस को दरकिनार कर कुंदन मूर्ति व चित्र में रंग भरने में पारंगत हो चुके हैं यूथ मोटिवेटर बन चुके हैं। कुंदन को कईएक सम्मान भी मिल चुका है ।


Body:समस्तीपुर जिले के रहने वाले कुंदन कुंदन कुमार जिले में स्नातक करने के बाद नागपुर से एमबीए की शिक्षा ग्रहण की लेकिन बचपन से ही कुंदन को आर्ट्स में गहरी रुची थी। और कुंदन का पेंटिंग करना परिवार में किसी को पसंद नहीं था ।इस समस्या से परेशान थे ही। लेकिन उनके सामने असल परेशानी थी रंगों की कलर ब्लाइंडनेस ने उनके इस शौक को हासिल करने में दिक्कतें बढ़ा दी। रंगों में फेरबदल के चलते कई बार उनका मजाक बनाया गया ।मगर ऐसे हालातों के बावजूद उन्होंने आर्टिस्ट बनने का सपना नहीं छोड़ा। और हासिल कर लिया अपने मुकाम को। नागपुर में पढ़ाई के दौरान कुंदन ने अपने एचडी मैडम के कहने पर पेंटिंग कंपटीशन में भाग लिया था ।अब उनके सामने पेंटिंग में रंग कैसे भरा जाय । इस बारे में कुंदन बताते हैं कि मेरी बहन मुझसे कहा कि रंग भरने के लिए मैं डिब्बे से पढ़कर तुम्हें दूंगी और तुम रंग भरो इस तरीके से मैं फर्स्ट रनरअप रहा।
बाईट : कुंदन कुमार आर्टिस्ट


Conclusion:बिहार आने के बाद कुंदन ने प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों पर मिथिला पेंटिंग बनाई इसके साथ ही शारदा सिन्हा को उनके ही मूर्ति भेंट स्वरूप देकर अपना बरसों पुराना सपना पूरा किया मजबूरी और तकलीफों को झेलने के बाद कुंदन आज इस मुकाम पर जहां वो आज पहचान के मोहताज नही है ।बल्कि उनकी बनाई कलाकृतियां बोलती है और एक से बढ़कर एक पेंटिंग से लेकर चित्र कला बनाकर अपने देश मे जिले का नाम रौशन करने का काम किया है।
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