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सरकारी स्कूलों में किताब के इंतजार में बीत गया पूरा साल, अकाउंट में अभी तक नहीं आए पैसे

समस्तीपुर के सरकारी विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर होते जा रही है. यहां बच्चों के पास पढ़ने के लिए पुस्तकें नहीं हैं.

सरकारी विद्यालय
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Published : Apr 19, 2019, 5:40 PM IST

समस्तीपुर: बिहार सरकार राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लाख दावे कर लें मगर आज भी सरकारी स्कूलों की स्थिति बद से बदतर है. यहां पढ़ने वाले बच्चे को समय पर न किताबें मिलती है न ही कोई सुविधा. बच्चे इसी अभाव में पढ़ने को मजबूर हैं.

बिना पुस्तक के ही पढ़ते हैं बच्चे
समस्तीपुर में लगभग 2,542 सरकारी विद्यालय हैं, जिनमें करीब-करीब 6.62 लाख बच्चे पढ़ते हैं. मगर इन सभी के पास स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पुस्तकें नहीं है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 के बीतने में लगभग 19 दिन बचे हैं, मगर आजतक इनके हक की सुविधा इन बच्चों की मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं.

स्कूल के प्रिंसिपल का बयान

नहीं मिले पुस्तक खरीदने के पैसे
सरकार के तरफ से 15-30 अप्रैल के बीच पुस्तक खरीद पखवाड़ा मनाने का एलान भी किया. मगर इसके पैसे अभी तक अकाउंट में नहीं आए हैं. यही नहीं इन प्राइमरी बच्चों से जुड़ी कई किताबें बजार में भी उपल्बध नहीं है. ऐसे में बच्चे बिना पुस्तक के ही पढ़ने को मजबूर हैं.

राशी निर्गत होते ही खरीदी जाएगी पुस्तक
स्कूल की प्रधानाध्यापिका के अनुसार, किताबों को खरीदने का ऐलान कर दिया गया है. राशि निर्गत होने में थोड़ समय लग रहा है, जैसे ही राशी निर्गत हो जाएगी किताबें तुरंत खरीद ली जाएंगी.

समस्तीपुर: बिहार सरकार राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लाख दावे कर लें मगर आज भी सरकारी स्कूलों की स्थिति बद से बदतर है. यहां पढ़ने वाले बच्चे को समय पर न किताबें मिलती है न ही कोई सुविधा. बच्चे इसी अभाव में पढ़ने को मजबूर हैं.

बिना पुस्तक के ही पढ़ते हैं बच्चे
समस्तीपुर में लगभग 2,542 सरकारी विद्यालय हैं, जिनमें करीब-करीब 6.62 लाख बच्चे पढ़ते हैं. मगर इन सभी के पास स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पुस्तकें नहीं है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 के बीतने में लगभग 19 दिन बचे हैं, मगर आजतक इनके हक की सुविधा इन बच्चों की मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं.

स्कूल के प्रिंसिपल का बयान

नहीं मिले पुस्तक खरीदने के पैसे
सरकार के तरफ से 15-30 अप्रैल के बीच पुस्तक खरीद पखवाड़ा मनाने का एलान भी किया. मगर इसके पैसे अभी तक अकाउंट में नहीं आए हैं. यही नहीं इन प्राइमरी बच्चों से जुड़ी कई किताबें बजार में भी उपल्बध नहीं है. ऐसे में बच्चे बिना पुस्तक के ही पढ़ने को मजबूर हैं.

राशी निर्गत होते ही खरीदी जाएगी पुस्तक
स्कूल की प्रधानाध्यापिका के अनुसार, किताबों को खरीदने का ऐलान कर दिया गया है. राशि निर्गत होने में थोड़ समय लग रहा है, जैसे ही राशी निर्गत हो जाएगी किताबें तुरंत खरीद ली जाएंगी.

Intro:लाख कोशिश के बावजूद भी शिक्षा विभाग कछुए के रफ्तार से आगे नहीं बढ़ रहा। बीते वर्ष भी बच्चों को कई महीने के बाद पढ़ने को किताबें मिली। इस वित्तीय वर्ष भी इस पुस्तक को लेकर अब तक कोई अतापता नहीं।


Body:समस्तीपुर जिले के लगभग2542 सरकारी विद्यालय में प्राइमरी के करीब6.62लाख बच्चे बिन किताब हैं शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। वैसे वर्तमान वित्तीय वर्ष2019-20 मैं लगभग19 दिन बीतने को है, लेकिन इन बच्चों के किताब से जुड़ी समस्या सुलझ नहीं रहा। बच्चे को समय पर किताब उपलब्ध कराया जा सके इसको लेकर विभाग ने15-30 अप्रैल के बीच पुस्तक खरीद पखवाड़ा मनाने का एलान भी किया है। लेकिन अब तक बच्चों के अकाउंट में किताब खरीद की राशि नहीं आई है। सवाल क्या बच्चे इस बार बिन किताब ही पढ़ेंगे। वही सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले प्राइमरी स्कूल के बच्चे ने इसको लेकर अपना दर्द भी बयां किया। वैसे कुछ बच्चे ने अपने सीनियर से पुराने किताब जरुर मिल गए। अब उसी के सारे बहुतेरे छात्र पढ रहे।


बाईट- छात्र।

वीओ- वैसे बच्चों को सही वक्त पर किताब उपलब्ध कराने को लेकर यही दावा किया गया था कि, पुरानी किताबों को बच्चों से वापस लेकर जरुरतमंद बच्चों को दिया जाएगा। लेकिन योजन भी धरातल पर असरदार नही दिख रहा। यही नहीं इन प्राइमरी बच्चों से जुड़ी कई किताब बाजार में अब तक उपलब्ध भी नहीं है। वैसे स्कूल के प्रधानाध्यापिका के अनुसार, जलते हैं प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। वैसे बच्चे कुछ पुरानी किताबों से काम चला रहे है। राशि निर्गत होते किताबों की तुरंत ही खरीदारी की जाएगी।

बाईट-नीलम कुमारी( प्रधानाध्यापिका)


Conclusion:गौरतलब है कि, बच्चों से किताबें सिर्फ इसी बार दूर नहीं। व्हिच कई वर्षों मैं कुछ यही हाल रहा है। इसी लेटलतीफी को दूर करने को लेकर ही बच्चों के खाते में किताब की राशि हस्तांतरण करने का योजना बना। यही नहीं किताब खरीद फखवाड़ा धी विभाग ने अपने कलेंडर में तय किया। लेकिन सवाल पैसे आये तभी न बच्चे इस पखवाड़े में अपना किताब खरीदे।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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