सहरसा: हौसला बुलंद हो तो मंजिल मिल ही जाती है. इसे सहरसा के मनीष कुमार (Success Story Of Manish Kumar) ने साबित कर दिखाया है. मनीष ने अपने बुलंद हौसलों की बदौलत गरीबी और मुफलिसी के बीच यूपीएससी (UPSC) जैसी कठिन परीक्षा को पास कर न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल की है, बल्कि कोशी जैसे पिछड़े इलाके का नाम भी रौशन किया है.
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एक साधारण परिवार से आने वाले मनीष के पिताजी मुसाफिर सिंह दवा दुकान में सेल्समैन की नौकरी करते थे और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. लेकिन अचानक मुसाफिर सिंह का 2010 में निधन हो गया. पिता के आकास्मिक निधन के बाद पूरे परिवार के भरण पोषण का दायित्व मनीष पर आ गया.
"बहुत से छात्रों को शिकायत होती है कि आर्थिक विपन्ता के कारण लोग सफल नहीं हो पाते हैं. लेकिन मेरा मानना है कि अगर व्यक्ति में ढृढ़ इच्छाशक्ति हो तो वह कुछ भी कर सकता है. अगर अपना 100% दिया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. मुझे विश्वास था कि सफलता मिलेगी. आप भी अपने आप पर भरोसा रखिए."- मनीष, सफल अभ्यर्थी, यूपीएससी
छोटी उम्र से ही मनीष प्राइवेट ट्यूशन देते थे और इन पैसों से परिवार का भरण पोषण करते थे. साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. कोरोना काल में इन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि अपने प्रथम प्रयास में ही मनीष ने सफलता प्राप्त करते हुये 581वां रैंक हासिल किया.
मनीष ने शैक्षणिक शिक्षा सहरसा के न्यू कॉलोनी स्थित मध्य विद्यालय से की है. 8वीं पास कर जिला स्कूल से 10वीं पास किया, फिर सर्वनारायण सिंह,रामकुमार सिंह महाविद्यालय से स्नातक की शिक्षा 2013 में प्राप्त की. अपनी पढ़ाई के साथ ही मनीष ने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया.
मनीष का एक छोटा भाई अनिष कुमार और बहन मनीषा कुमारी है. तीन महीने पहले बहन की शादी हो चुकी है. वहीं छोटा भाई बीपीएससी की तैयारी कर रहा है. आर्थिक तंगी से जूझते हुये इसने न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल की है, बल्कि दूसरों के लिए आज प्रेरणास्त्रोत भी बन चुके हैं.
मनीष ने निराश और हताश छात्रों को कहा कि कभी हार मत मानिए. मेहनत करते रहिए, इसके लिए पैसों की जरुरत नहीं है. सच्ची लगन से सारी बाधाओं को दूर करते हुए सफलता पाई जा सकती है. अपनी सफलता से खुश होने के बावजूद मनीष ने कहा कि तैयारी आगे भी जारी रहेगी. मनीष का लक्ष्य आईएएस व आईपीएस रैंक हासिल करना है.
अपने जीवन के संघर्ष को साझा करते हुए मनीष ने बताया कि आर्थिक तंगी से जूझते हुए पढ़ाई करना आसान नहीं था. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और सहरसा जैसे छोटे शहर में ट्यूशन पढ़ाने के साथ अपनी पढ़ाई भी करते रहे. आखिरकार मनीष को उनकी मेहनत का फल मिला और उन्होंने पहल बार में ही यूपीएससी क्लियर कर लिया. मनीष को 581वां रैंक प्राप्त हुआ है.
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