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सहरसा में तीन दिवसीय श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का आगाज, कलाकारों ने बिखेरे जलवे

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Published : Oct 1, 2019, 10:06 AM IST

ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत वाले महिषी में आयोजित इस कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी शैलजा शर्मा ने कहा कि भविष्य के निर्माण के लिए अपने सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करना चाहिए. उद्घाटन के मौके पर अतिथियो की ओर से स्मारिका धरोहर का विमोचन किया गया.

श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव

सहरसाः जिले में 3 दिवसीय श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव का उद्घाटन कोसी रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक सुरेश चौधरी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस अवसर पर जिलाधिकारी शैलजा शर्मा, पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.

पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए. कार्यक्रम में नामचीन कलाकारों ने अपनी गायकी का जलवा बिखेरा. वहीं, कार्यक्रम में 2 दिनों के सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा.

पेश है रिपोर्ट

गीतों से किया गया गया अतिथियों का स्वागत
कार्यक्रम में गीत के माध्यम से अतिथियों का स्वागत किया गया. इसमें स्वरांजली के कलाकारों की ओर से डांस की भी प्रस्तुति की गई. वहीं, वेद विद्यापीठ के छात्रों ने मंच से वेद पाठ किया. ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत वाले महिषी में आयोजित इस कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी शैलजा शर्मा ने कहा कि भविष्य के निर्माण के लिए अपनी सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करना चाहिए. वहीं, उद्घाटन के मौके पर अतिथियों की ओर से स्मारिका धरोहर का विमोचन किया गया.

Saharsa
कार्यक्रम में नृत्य करती युवतियां

महिषी प्रखंड में ऐतिहासिक महत्व वाले कई स्थान हैं
महिषी प्रखंड स्थित कई स्थलों का ऐतिहासिक महत्त्व रहा है. सिद्धपीठ माना जाने वाले मां उग्रतारा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान शंकर सती का शव लेकर तांडव कर रहे थे, तो सती का एक आंख यहीं गिरा था. इसके अलावा भी कई ऐसे जगह हैं, जो पुरातात्विक दृष्टिकोण से खास महत्त्व रखते हैं. यहां कई ऐसे अवशेष भी मिले हैं जो सनातन और बौद्ध धर्म के समन्वय को दर्शाते हैं. यही वजह है कि इस महोत्सव से इलाके के लोग यहां के सुनहरे उज्जवल भविष्य की उम्मीद करते हैं. इस दौरान डीआईजी ने महोत्सव की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि महोत्सव एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति के हस्तांतरण उद्देश्य से आयोजित होता है.

Saharsa
स्मारिका धरोहर का विमोचन

राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने की पहल
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने इस महोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए पर्यटन विभाग से पहल करने की बात कही. उन्होंने कहा कि बंगाल स्थित मां तारापीठ स्थल से कहीं अधिक मान्यता मां उग्रतारा स्थान का माना जाता है. मिथिला की पवित्र भूमि और यहां रहने वाले लोगों के संस्कार और विद्वता का पचरम देश में ही नहीं विदेशों में भी लहरा रहा है. वहीं डीएम शैलजा शर्मा ने अपने संबोधन में मिथिला के गौरवमयी इतिहास की चर्चा करते हुए मिथिला में स्थित माहिष्मती अब के महिषी के प्राचीन संस्कृति पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि महिषी की भूमि ऐसे विद्वानों की भूमि रही है, जहां आदि शंकराचार्य भी ज्ञान परिचर्चा की जिज्ञासा से पहुंचे थे. यहां के नारी शिक्षा से काफी प्रभावित हुए थे. डीएम ने कहा कि हमें उस संस्कृति को बचाने का प्रयास करना होगा.

सहरसाः जिले में 3 दिवसीय श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव का उद्घाटन कोसी रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक सुरेश चौधरी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस अवसर पर जिलाधिकारी शैलजा शर्मा, पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.

पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए. कार्यक्रम में नामचीन कलाकारों ने अपनी गायकी का जलवा बिखेरा. वहीं, कार्यक्रम में 2 दिनों के सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा.

पेश है रिपोर्ट

गीतों से किया गया गया अतिथियों का स्वागत
कार्यक्रम में गीत के माध्यम से अतिथियों का स्वागत किया गया. इसमें स्वरांजली के कलाकारों की ओर से डांस की भी प्रस्तुति की गई. वहीं, वेद विद्यापीठ के छात्रों ने मंच से वेद पाठ किया. ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत वाले महिषी में आयोजित इस कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी शैलजा शर्मा ने कहा कि भविष्य के निर्माण के लिए अपनी सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करना चाहिए. वहीं, उद्घाटन के मौके पर अतिथियों की ओर से स्मारिका धरोहर का विमोचन किया गया.

Saharsa
कार्यक्रम में नृत्य करती युवतियां

महिषी प्रखंड में ऐतिहासिक महत्व वाले कई स्थान हैं
महिषी प्रखंड स्थित कई स्थलों का ऐतिहासिक महत्त्व रहा है. सिद्धपीठ माना जाने वाले मां उग्रतारा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान शंकर सती का शव लेकर तांडव कर रहे थे, तो सती का एक आंख यहीं गिरा था. इसके अलावा भी कई ऐसे जगह हैं, जो पुरातात्विक दृष्टिकोण से खास महत्त्व रखते हैं. यहां कई ऐसे अवशेष भी मिले हैं जो सनातन और बौद्ध धर्म के समन्वय को दर्शाते हैं. यही वजह है कि इस महोत्सव से इलाके के लोग यहां के सुनहरे उज्जवल भविष्य की उम्मीद करते हैं. इस दौरान डीआईजी ने महोत्सव की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि महोत्सव एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति के हस्तांतरण उद्देश्य से आयोजित होता है.

Saharsa
स्मारिका धरोहर का विमोचन

राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने की पहल
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने इस महोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए पर्यटन विभाग से पहल करने की बात कही. उन्होंने कहा कि बंगाल स्थित मां तारापीठ स्थल से कहीं अधिक मान्यता मां उग्रतारा स्थान का माना जाता है. मिथिला की पवित्र भूमि और यहां रहने वाले लोगों के संस्कार और विद्वता का पचरम देश में ही नहीं विदेशों में भी लहरा रहा है. वहीं डीएम शैलजा शर्मा ने अपने संबोधन में मिथिला के गौरवमयी इतिहास की चर्चा करते हुए मिथिला में स्थित माहिष्मती अब के महिषी के प्राचीन संस्कृति पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि महिषी की भूमि ऐसे विद्वानों की भूमि रही है, जहां आदि शंकराचार्य भी ज्ञान परिचर्चा की जिज्ञासा से पहुंचे थे. यहां के नारी शिक्षा से काफी प्रभावित हुए थे. डीएम ने कहा कि हमें उस संस्कृति को बचाने का प्रयास करना होगा.

Intro:आज तीन दिवसीय उग्रतारा महोत्सव का उदघाटन हुआ। कोशी क्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक सुरेश चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया।इस अवसर पर ,जिलाधिकारी शैलजा शर्मा,पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार एवम अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में जहाँ आज स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये जायेंगे वहीँ कई नामचीन कलाकारों द्वारा अपनी गायिकी का जलवा बिखेरेगें ।जबकि कल से दो दिनों का सेमिनार का आयोजन होगा जिसमे कई नामचीन विद्वान भाग लेंगे साथ ही महोत्सव के तीसरे दिन सुप्रसिद्ध सिने कलाकार का गायिकी होगा।
Body:सहरसा जिला स्थित महिषी जहाँ डीआईजी सुरेश चौधरी निर्धारित समय पर उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का उदघाटन करने पहुंचे। सबसे पहले मंदिर पहुँच माँ तारा की पूजा अर्चना किया फिर वहां से कार्यक्रम स्थल पर पहुँच "उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव" का दीप जला कर विधिवत उदघाटन किया । कार्यक्रम के प्रारंभ मे अतिथियो के लिए स्वागत गान गाया गया । स्वरांजली के कलाकार ने अपनी नृत्य की प्रस्तुति दी । वेद विद्यापीठ के छात्रो ने मंच से वेद पाठ भी किया । ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत वाले महिषी मे आयोजित इस कार्यक्रम मे जिला पदाधिकारी शैलजा शर्मा ने कहा कि भविष्य के निर्माण के लिए अपने सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करना चाहिए । तीन दिवसीय उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव के उदघाटन के अवसर पर एक स्मारिका का भी विमोचन किया ।महिषी प्रखंड स्थित विभिन्न एतिहासिक स्थलों का ।जिसका अपना एक एतिहासिक महत्त्व रहा है मसलन माँ उग्रतारा मंदिर जिसे सिद्धपीठ माना जाता है ।कहा जाता है की जब भगवान शंकर सती का शव लेकर तांडव कर रहे थे तो सती का एक आँख यहीं गिरे थे ।वहीँ दूसरा यहाँ मंडनधाम है जो पं मंडन मिश्र एवं शंकराचार्य के शास्त्रार्थ के लिए ख्यातिलब्ध रहा है\इसके अलावे कई ऐसे स्थल जो पुरातात्विक दृष्टिकोण से अपना एक खास महत्त्व रखता है यहाँ कई ऐसे अवशेष भी मिले है जो सनातन एवं बौद्ध धर्म के समन्वय को दर्शाती है और यही वजह है की इस महोत्सव से इलाके लोग यहाँ के सुनहरे उज्जवल भविष्य की उम्मीद करते है।डीआईजी ने महोत्सव की महत्ता पर चर्चा करते हुये कहा कि महोत्सव एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति के हस्तांतरण उद्देश्य से आयोजित होता है।
Conclusion:सच मायने में प्रत्येक वर्ष होने वाले इस महोत्सव के आयोजन से यहाँ विकास का मार्ग प्रसस्त होगा ।इसकी चर्चाये बाहर होगी तो यहाँ जानने एवं शोध करने वाले छात्र पहुचेंगे।नए नए रहस्यों पर से पर्दा उठेगा फिर यह पर्यटन क्षेत्र के मानचित्र पर अंकित होगा तो यहाँ खुद विकास का मार्ग प्रसस्त होगा।परंतु महोत्सव के नाम पर भले ही यहाँ आयोजन होता है पर यह महज खानापूर्ति होके रह जाता है।जरूरत है सरकार व प्रशासन को जब इसका आयोजन प्रत्येक वर्ष होता है तो उसे गंभीरता से ले तब ही इस तरह का आयोजन अपने मकसद में कामयाब हो पायेगा।
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