सहरसा : बिहार के सहरसा में एक ऐसा स्कूल है, जहां दस सालों से किसी शिक्षक को नियुक्त ही नहीं किया गया. ऐसे में बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल क्या है इसका अनुमान लगाया जा सकता है. एक तरफ शिक्षा विभाग के एसीएसस केके पाठक विद्यालयों के कायाकल्प में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ सूबे में ऐसे विद्यालय भी हैं, जहां भवन, डेस्क, बेंच और विद्यार्थी सब कुछ है, लेकिन शिक्षक ही नहीं हैं. ऐसे में शिक्षा के स्तर में कैसे सुधार आ पाएगा. यह एक बड़ा सवाल है.
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10 साल से नहीं हुई शिक्षकों की नियुक्ति : जिले के सत्तरकटैया प्रखंड अन्तर्गत उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय बिहरा को सरकार ने वर्ष 2014 में माध्यमिक विद्यालय का दर्जा दिया. इसके बाद से लेकर आजतक लगभग 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए. इस विद्यालय में नौवीं में 123 बच्चे, दसवीं में 118 और 11वीं में अब तक सिर्फ 6 बच्चों ने दाखिला लिया है. अब बड़ा सवाल यह है कि जब यहां शिक्षक ही नहीं है तो बच्चे कैसे पढ़ेंगे.
बिना कोचिंग के परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे बच्चे : स्कूल की इस स्थिति की ओर शिक्षा विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है. एक ओर केके पाठक आदेश निकालते हैं कि विद्यालय अवधि में कोचिंग नहीं चलाई जाए. वहीं दूसरी ओर ऐसे स्कूल भी हैं जहां शिक्षक ही नहीं हैं, तो बच्चे पढ़ाई कहां करें. स्कूल में पढ़ाई हो नहीं रही है, इसलिए तो कोचिंग इनका सहारा बन रहा है. क्योंकि अगर ऐसे स्कूलों के बच्चे कोचिंग भी न जाएं तो इनका परीक्षा तक पास करना मुश्किल हो सकता है.
मध्य विद्यालय में भी काफी संख्या में हैं बच्चे: बहरहाल, मध्य विद्यालय बिहरा के शिक्षक निरंजन कुमार ने बताया कि "उत्क्रमित उच्य माध्यमिक विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं हैं. मध्य विद्यालय हकपड़ा के प्रधानाध्यापक शशि शेखर भारती प्रभार में है. वह भी यहां कम आते हैं. मध्य विद्यालय बिहरा में पहली से आठवीं तक में 908 बच्चे नामांकित हैं. इसमें लगभग 21 शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं यहां नौवीं से बारहवीं तक विद्यालय का तो संचालन हो रहा है लेकिन जब परीक्षा आयोजित होती है और बच्चे जब खास कर परीक्षा में आते हैं तो उस समय भी जर्जर भवन में बैठने से कतराते हैं".
मध्य विद्यालय के शिक्षकों का पढ़ा पाना मुश्किल : सबसे बड़ी बात यहा है कि मध्य विद्यालय के शिक्षक भी अपने बच्चों को पढ़ाने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि इधर झांकना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी जियाउल होदा खांसे विद्यालय को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि स्कूल में शिक्षक नहीं है. वहां कोई व्यवस्था जरूर होगी. नीचे कक्षा वाले शिक्षक जरूर पढ़ाते होंगे.
"हमलोगों के संज्ञान में आता है तो हम लोग शिक्षक प्रतिनियुक्त करते हैं. अभी दो शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है. सभी जगह प्रधानाध्यापक है. जहां नहीं है वहां बहाली हो रही है. बीपीएससी से 24 अगस्त को शिक्षकों की भर्ती परीक्षा हो ही रही है. उसके बाद शिक्षक आ ही जाएंगे". - जियाउल होदा खां, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सहरसा